गंभीर मसला है ऑनलाइन छेड़खानी
उत्पीड़न ऐसी प्रवृत्ति है, जो मानव-सभ्यता के साथ ही चली आ रही है. जो भी बलशाली हुआ है, वह अपने से कमजोर का उत्पीड़न करता आया है.
उत्पीड़न एक गंभीर समस्या. |
बात जब स्त्री और पुरुष की हो तो ज्यादातर मामलों में पुरूष ने ही स्त्री का उत्पीड़न किया है. फिर चाहे वह रामायण में सीता का हो या महाभारत में द्रौपदी का. आज के समय में भी हर दूसरे घर में एक स्त्री ऐसी मिल जाएगी, जो कभी न कभी किसी न किसी प्रकार के उत्पीड़न का शिकार हुई होगी. बदलती दुनिया में जहां जीवन के हर क्षेत्र में तकनीक ने अपनी जगह बनायी है, वहीं इन्टरनेट के बढ़ते संसार में उत्पीड़न भी नए रूप (सायबर-स्टाकिंग या सायबर-पीछागर्दी) में सामने आया है, जो मौजूदा समय की बड़ी समस्या है.
ऐसा भी नहीं है कि सायबर स्टाकिंग के मामले में सिर्फ एक स्त्री ही पीड़ित होती है. मौजूदा दौर में अनेक पुरुषों की तरफ से भी इस प्रकार की शिकायतें दर्ज की गयी हैं. लेकिन यहां भी प्रमुख रूप से यह अपराध स्त्रियों के साथ ही हो रहा है. सायबर स्टाकिंग की परिभाषा हर देश के कानून के अनुसार बदलती रहती है. सामान्य शब्दों में सायबर स्टाकिंग से तात्पर्य ऐसी ईमेल या चैट मैसेज से है, जो किसी को परेशान करने के उद्देश्य से अपनी पहचान के साथ या बिना पहचान के भेजे गए हों. अब तक दर्ज किये गए सायबर स्टाकिंग के मामलों में 75 फीसद से भी ज्यादा मामलों में पीड़ित पक्ष बच्चे और स्त्रियां ही हैं. भारतीय दंड संहिता की धारा 354 सी, 354 डी और इनफोर्मेशन एंड टेक्नोलोजी एक्ट के अंतर्गत इसे अपराध माना गया है.
भारत में सायबर स्टाकिंग का पहला मामला 2001 में दर्ज किया गया था. इस केस में आरोपी मनीष कथूरिया नाम के शख्स को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया. मनीष पर आरोप था कि उसने एक महिला के बारे में एक वेबसाइट पर आपत्तिजनक और अश्लील बातें कहीं और इसके साथ ही वेबसाइट पर उसका फोन नंबर फोन चैटिंग के लिए डाल दिया. फलस्वरूप उक्त महिला के पास लगातार अभद्र फोन कॉल्स आने लगे. महिला द्वारा पुलिस में शिकायत किये जाने पर दिल्ली पुलिस ने अभियुक्त के खिलाफ धारा 509 (भारतीय दंड संहिता) के अंतर्गत मामला दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया.
आज के समय में इन्टरनेट के बिना जीवन संभव ही नहीं है. हमारे दिन प्रतिदिन के लगभग सभी कार्यों के लिए हमें इन्टरनेट की आवश्यकता पड़ती है. ऐसे में चैटिंग और मेलिंग भी सामान्य सी बात होती है. वास्तविक दुनिया की तरह ही इन्टरनेट की दुनिया में भी हर तरह के लोग पाए जाते हैं. कुछ तो यहां अपने काम से मतलब रखते हैं और इन्टरनेट का सकारात्मक प्रयोग करते हैं लेकिन कुछ इसका उपयोग सिर्फ अपनी कुंठा निकालने के लिए करते दिखते हैं. ऐसे कुंठित लोगों की वजह से ही आज सायबर स्टाकिंग के मामले बढ़ते जा रहे हैं. इन लोगों का सबसे आसान शिकार महिलाएं और बच्चे होते हैं जो तमाम जानकारियों से अनिभज्ञ होते हैं और बहुत ही आसानी से इनके जाल में फंस जाते हैं. विश्व के 24 देशों में कराये गये एक सर्वे के अनुसार भारत में इस तरह के अपराधों से पीड़ित बच्चों की संख्या सबसे ज्यादा 32 प्रतिशत है, जो अमेरिका के 15 और ब्रिटेन के 11फीसद के मुकाबले बहुत ज्यादा है. ऐसे लोग या तो अश्लील मैसेज या फोटो भेज कर सामने वाले को तंग करते हैं या कभी-कभी वे सामने वाले को ब्लैकमेल करके धन की मांग भी कर बैठते हैं.
ऐसे ही एक मामले में पीड़ित एक महिला के मेल बॉक्स में किसी अनजान व्यक्ति की ओर से इस मांग के साथ अश्लील सन्देश आने लगे कि या तो एक लाख रुपए दो अन्यथा वह उसके फोटो वेबसाइट पर डाल देगा. कुछ समय बाद अपराधी ने पीड़िता की फोटो और उसका फोन नंबर एक अश्लील वेबसाइट पर डाल दिया. पुलिस में इस बारे में शिकायत करने के बाद अपराधी पकड़ा गया, और उसे दोषी करार दिया गया. उसने पीड़ित महिला के ई-मेल को हैक करके उसकी फोटो के साथ छेड़ छाड़-करके वेबसाइट पर डाला था. इंटरनेट का जहां तक सवाल है तो ज्यादातर महिलाएं और बच्चे इस आभासी संसार के नियमों को नहीं समझ पाते हैं और आसानी से इनका शिकार बन जाते हैं. भारत में इनफार्मेशन और टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 और भारतीय दंड संहिता में सायबर स्टाकिंग को अपराध घोषित करके दंडनीय बनाया गया है. ऐसे किसी भी अपराध की सूचना आप अपने निकटतम साइबर क्राइम सेल या फिर सीबीआई को दे सकते हैं. इसी के साथ आपको मेल या मैसेज जिस भी मेल प्रोवाइडर (जीमेल, याहू इत्यादि) से मिल रहे हों, उसको मेल करके इसके बारे में सूचना दे सकते हैं.
सायबर स्टाकिंग छेड़छाड़ और उत्पीड़न का ऐसा स्वरूप है जो वास्तविक संसार से होता हुआ आभासी दुनिया में आ गया है. बेशक यहां भी ज्यादातर महिलाएं ही शिकार होती हैं लेकिन कभी-कभी अपवादस्वरूप पुरुष भी शिकार हो जाते हैं. पिछले दिनों मुंबई में एक विदेशी महिला का सोशल मीडिया अपडेट काफी चर्चा में रहा, जिसमें उसने कहा था कि एक व्यक्ति ने उसे देख कर अश्लील हरकत की. महिला ने उस व्यक्ति की फोटो भी सोशल मीडिया पर अपडेट कर दी लेकिन जब उस व्यक्ति को पकड़ा गया तो मामला कुछ और ही निकला. इसी प्रकार हाल ही में दिल्ली की एक लड़की द्वारा एक पोस्ट अपडेट की गयी, जिसमें कहा गया कि फोटो में दिखनेवाले लड़के ने उसके साथ अभद्र भाषा का प्रयोग किया, लेकिन पकड़े जाने पर लड़के का कहना था कि उसने लड़की के साथ किसी भी प्रकार की अभद्रता नहीं की थी.
इन सारे मामलों का सच क्या है, यह जांच का विषय हो सकता है लेकिन इसी के साथ यह भी जरूरी है कि इन्टरनेट की शक्ति को समझा जाए और इसका उपयोग सही ढंग से किया जाए न कि यह बंदर के हाथ में उस्तरा साबित हो. सायबर स्टाकिंग एक ऐसा मुद्दा है जिस पर खुल कर बहस होनी चाहिए. इस के बारे में क्या कानून है और सायबर-स्टाकिंग से कैसे बचा जा सकता है, लोगों को शिक्षित किया जाना चाहिए. सही जानकारी के साथ ही हम सुरक्षित और सकारात्मक नेट सर्फिंग कर पाएंगे जो हर नागरिक का अधिकार है.
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