कितने सार्थक होंगे भुगतान बैंक!

Last Updated 03 Sep 2015 12:51:25 AM IST

भुगतान बैंक के लिए आये 41 आवेदनों में से 11 आवेदकों को रिजर्व बैंक ने हाल ही में लाइसेंस दिया है.


कितने सार्थक होंगे भुगतान बैंक!

लाइसेंस प्राप्त आवेदकों को 100 करोड़ रु पए की शुरु आती पूंजी के साथ 18  महीनों के अंदर परिचालन शुरू करना होगा. प्रवर्तकों को आरंभ में ही पांच साल तक के लिए अपना न्यूनतम 40 प्रतिशत योगदान देना सुनिश्चित करना होगा. वैसे चार सालों के अंदर शुरु आती पूंजी को बढ़ाकर 400 करोड़ रु पए करने का भी प्रस्ताव है. इस बैंक पर अन्य बैंकों की तरह सीआरआर सुनिश्चित करने की भी बाध्यता रहेगी. भुगतान बैंक का स्वरूप सामान्य बैंक से अलग होगा. मौजूदा बैंक नकदी जमा और निकासी पर लेन-देन शुल्क नहीं लेते हैं क्योंकि वे जमा राशि का उपयोग ब्याज पर कर्ज देने में करते हैं, जबकि भुगतान बैंक जमा का इस्तेमाल कर्ज देने में नहीं कर सकेंगे. वे लाभ अर्जित करने के लिए लेन-देन पर शुल्क लगाएंगे. रिजर्व के निर्देशानुसार भुगतान बैंक में चालू एवं बचत खाता के तहत एक लाख रुपए तक की जमाएं स्वीकार की जा सकेंगी.

यह बैंक एटीएम या डेबिट कार्ड, इंटरनेट बैंकिंग आदि की सुविधा दे सकेगा, लेकिन क्रेडिट कार्ड एवं कर्ज देने की अनुमति इसे नहीं होगी. इस बैंक को एक साल तक की परिपक्वता वाले सरकारी बांडों में उनकी मांग का न्यूतनम 75 प्रतिशत निवेश करना अनिवार्य होगा, जबकि अधिकतम 25 प्रतिशत जमाएं बैंकों के सावधि व मियादी जमाओं के रूप में रखी जा सकेंगी. भुगतान बैंक में रकम जमा और निकासी की जा सकेगी. यह चेकबुक जारी करने एवं बीमा करने का भी कार्य कर सकेगा. इन्हें शाखाओं के विस्तार या एटीएम नेटवर्क पर भारी-भरकम पूंजी लगाने की जरूरत नहीं होगी, क्योंकि ये अपने प्रतिबद्ध प्रतिनिधियों की मदद से लक्ष्य को पूरा करने एवं अपने उत्पादों को लोकप्रिय बनाने में सक्षम होंगे.

रिजर्व बैंक के निर्देशों के मुताबिक भुगतान बैंकों को शाखा खोलने की जरूरत नहीं होगी. ये ग्राहक संपर्क केंद्रों की मदद से अपना परिचालन करने में समर्थ होंगे. ग्राहक मोबाइल पर प्राप्त पार्सवड को बैंक द्वारा दी गई मशीन में डालकर भुगतान कर सकेगा. भुगतान बैंक में नकदी के लेन-देन की गुंजाइश नहीं होगी. भुगतान बैंक के आगाज के बाद ग्राहक डेबिट कार्ड के बगैर मोबाइल की मदद से अपने खाते से रकम दुकानदार के खाते में ट्रांसफर कर सकेगा. हालांकि भुगतान बैंक डेबिट कार्ड भी जारी कर सकेंगे, जिसका इस्तेमाल सभी एटीएम और पॉइंट ऑफ सेल में किया जा सकेगा. इसका यूएसपी मोबाइल के जरिये भुगतान करने में होगा.

मोबाइल की मदद से भुगतान करने के लिए भुगतान बैंक टेलीकॉम मच्रेट के साथ करार करेंगे ताकि ग्राहक इलेक्ट्रॉनिकली किसी भी सेवा का भुगतान कर सकें. अब दैनिक दिनचर्या से जुड़ी जरूरतों जैसे, किराना सामान, रेस्टोरेंट का बिल, पेट्रोल आदि का भुगतान मोबाइल से किया जा सकेगा. भुगतान बैंक विदेशी यात्रियों को फोरेक्स कार्ड एवं अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग के विविध उत्पाद मौजूदा उपलब्ध उत्पादों से सस्ती दर पर उपलब्ध कराएंगे. ये बैंक र्थडपार्टी कार्ड भी जारी करेंगे, जिसका नाम एप्पल रखा गया है. वर्तमान में इंटरनेट बैंकिंग के जरिये रकम ट्रांसफर करने के लिए बैंक का आईएफएस कोड और खाता संख्या डालना, लाभार्थी को जोड़ना आदि कार्य करना होता है. माना जा रहा भुगतान बैंक के आने से ग्राहकों को इन सब झमेलों से छुटकारा मिल जाएगा.

कहा जा रहा है कि भुगतान बैंक की नजर नकदी लेन-देन पर लगने वाले शुल्क से हर साल करोड़ों-अरबों रुपए की अतिरिक्त आय प्राप्त करने पर है. कंपनियां लेन-देन पर 2 से 3 प्रतिशत शुल्क लगा सकेंगी. एक तरफ प्रेषित की जाने वाली रकम पर 2 प्रतिशत और दोनों तरफ रकम हस्तांतरण करने पर 3 प्रतिशत शुल्क लगाया जाएगा. लेकिन बड़ी रकम के मामले में शुल्क में रियायत दी जा सकती है. शुरू में नकदी प्रबंधन की लागत दोनों तरफ लेन-देन करने पर लगभग 2 प्रतिशत और एक तरफ हस्तांतरण करने पर तकरीबन 1 प्रतिशत होगी. देश में अभी भी 18 करोड़ परिवारों के पास बैंकिंग सुविधाएं नहीं है. इस आधार पर लाइसेंस प्राप्त करने वाले उम्मीद कर रहे हैं कि एक परिवार हर साल लगभग 18,000 रु पए खर्च करेगा, जिससे उन्हें कारोबार में प्रतिवर्ष करीब 3,24,000 करोड़ रु पए हासिल होंगे. इस पर 3 प्रतिशत की दर से लेन-देन शुल्क लगाकर वे लगभग 10,000 करोड़ रु पए हर साल में कमा सकते हैं.  

प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत 8 जुलाई, 2015 तक 16.73 करोड़ खाते खोले जा चुके थे. इसमें 10.1 करोड़ खाते ग्रामीण इलाकों में खोले गए हैं. इस अवधि तक 14.87 करोड़ रु पे कार्ड भी खाताधारकों को जारी किए गए हैं. आजादी के 68 सालों के बाद भी देश की आबादी का एक बड़ा तबका अपनी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए साहूकारों पर निर्भर है, जो गरीबों का शोषण करने में माहिर हैं. उम्मीद की जा रही है कि भुगतान बैंक की मदद से देश के सुदूर इलाकों में रहने वाले आर्थिक रूप से कमजोर और बुनियादी सुविधाओं से वंचित लोगों को बैंकिंग प्रणाली से जोड़ा जा सकेगा. 

मौजूदा समय में कुछ बैंक सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, ट्विटर, व्हाटसऐप आदि की मदद से रकम ट्रांसफर की सुविधा उपलब्ध करा रहे हैं, लेकिन ये लोकप्रिय माध्यम नहीं हैं. साथ ही इस प्रणाली में जोखिम भी है. ऐसी समस्या भुगतान बैंक के समक्ष भी आ सकती है. आमतौर पर ग्राहक नई सुविधाओं का इस्तेमाल करने से बचना चाहते हैं. ऐसा डर की वजह से होता है. हालांकि इसके पीछे जागरूकता की कमी और अशिक्षा भी महत्वपूर्ण कारण हैं. इसलिए भुगतान बैंक की मदद से डिजिटल तकनीक का फायदा उठाते हुए लोग नई प्रणाली को आसानी से अपना लेंगे, कहना मुश्किल है.

सितम्बर, 2014 तक भारत में कुल 930.20 मिलियन मोबाइल उपभोक्ता थे, जिसमें ग्रामीण उपभोक्ताओं की संख्या 382.50 मिलियन थी. मोबाइल उपभोक्ताओं की बड़ी संख्या भुगतान बैंक के लक्ष्य को पूरा करने में मददगार हो सकती है. जाहिर है, बदलते आर्थिक परिवेश में भुगतान बैंक की सार्थकता को सिरे से खारिज नहीं किया जा सकेगा, क्योंकि यह वित्तीय समावेशन को अमलीजामा पहनाने और लोगों की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने की दिशा में सार्थक भूमिका निभा सकता है. इसलिए हमें इनके परिचालन का इंतजार करना चाहिए.

सतीश सिंह
लेखक


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