फर्जी विश्वविद्यालयों का मर्ज
इस सप्ताह उर्दू प्रेस पर वकील रोहाणी सालियान पर मालेगांव बम धमाकों के आरोपियों से नरमी बरतने का एनआईए अधिकारी का दबाव, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों डिजिटल इंडिया सप्ताह का उद्घाटन, फर्जी विश्वविद्यालयों पर शिंकजा सबसे ज्यादा छाए रहे.
यूजीसी (फाइल फोटो) |
इनके अलावा, देश में भिखारियों की बढ़ती संख्या, महाराष्ट्र सरकार द्वारा मदरसों को स्कूल न मानने के फैसले पर विवाद, आईएस की हमास को धमकी, रमजान में भी आईएस और अन्य आतंकवादी संगठनों के हमले जारी, यूनान का आर्थिक संकट और यमन पर सऊदी व उसके सहयोगियों के हमलों को अमेरिकी समर्थन जैसे मुद्दों पर अधिकांश उर्दू अखबारों ने संपादकीय लिखे.
उर्दू दैनिक \'मुंसिफ\' ने \'अत्यधिक गलत रुझान\' शीषर्क के तहत अपने संपादकीय में लिखा है कि कुछ दिन पहले मीडिया में यह खबर घूम रही थी कि एनआईए के एक पदाधिकारी ने वकील रोहाणी सालियान को निर्देश दिया कि वे मालेगांव व अन्य बम धमाकों में गिरफ्तार आरोपियों के विरुद्ध केस में नरमी दिखाएं और उनकी जमानत का मार्ग प्रशस्त करें. इस सिलसिले में एक दिन पहले रोहिणी सालियान ने सर्वोच्च न्यायालय को भी इस संबंध में आगाह किया था और आवश्यकता पड़ने पर इस आरोप को सिद्ध करने के लिए पक्का सबूत भी पेश करने का दावा किया है. यह और बात है कि हमेशा की तरह सरकारी एजेंसी की ओर से इस खबर को गलत बताया गया लेकिन सालियान ने देश की सबसे बड़ी अदालत को भी जानकारी दे दी है कि एनआईए पदाधिकारियों की ओर से उन्हें केस में नरमी बरतने के लिए कहा जा रहा है ताकि मुकदमे का पक्ष कमजोर हो जाए और आरोपियों की रिहाई का रास्ता आसान हो जाए. इन हालात में कई प्रश्न उठना अनिवार्य है.
उर्दू दैनिक \'राष्ट्रीय सहारा\' ने \'फर्जी विश्वविद्यालय\' शीषर्क के तहत अपने संपादकीय में लिखा है कि शिक्षा माफिया ने स्कूलों में नकल कराने के धंधे के साथ फर्जी विश्वविद्यालयों का जाल बिछाना भी शुरू कर दिया है. ये विश्वविद्यालय किसी एक राज्य में नहीं बल्कि भारत के कई राज्यों में अपने जाल फैलाकर भोले-भाले छात्रों को फांस कर उनसे मोटी रकम ही वसूल नहीं कर रहे हैं बल्कि उनके भविष्य के साथ भी बहुत बड़ा फरेब करने का अपराध भी कर रहे हैं. अब यूजीसी ने इन फर्जी विश्वविद्यालयों पर शिंकजा कसते हुए अपनी वेबसाइट पर एक लिस्ट जारी की है जिसमें कई राज्यों में स्थापित फर्जी विश्वविद्यालयों के कच्चे चिट्ठे को दिखाया गया है.
दुख इस बात का है कि शिक्षा जैसे पवित्र और साफ क्षेत्र में भी माफिया ने अपने पैर फैला दिए हैं. अभी तक तो यही सुनने में आता था कि बोर्ड की परीक्षा में शिक्षा माफिया सक्रिय हैं. प्रोफेशनल परीक्षाओं जैसे मेडिकल, इंजीनियरिंग इत्यादि में शिक्षा माफिया की करतूत किसी से ढकी हुई नहीं हैं. अब फर्जी कौंसिल ही नहीं बल्कि पूरा विश्वविद्यालय कायम करके देश के नौनिहालों को फरेब देने वाले ये माफिया बेखौफ होकर अपना जाल फैलाते जा रहे है. फर्जी विश्वविद्यालयों की बहुत सी शिकायतें मिलने पर यूजीसी ने इस मामले पर गंभीरता से कदम उठाया और गहराई से जांच कराई तो पता चला कि विषय बहुत ही संगीन है और केवल एक दो राज्यों में नहीं बल्कि यह बुराई कैंसर की तरह कई राज्यों में अपनी जड़ें जमा चुकी है. यूजीसी ने 21 फर्जी विश्वविद्यालयों की लिस्ट जारी की है. उसका कहना है कि ये विश्वविद्यालय उसके नियमों व प्रावधानों का पालन नहीं कर रहे हैं और फर्जी तरीके से कार्य कर रहे हैं. जनसंख्या की दृष्टि से उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा राज्य है. फर्जी विश्वविद्यालयों के मामले में भी वह पहले स्थान पर है.
उर्दू दैनिक \'इंकलाब\' ने \'भिखारियों की भीड़\' शीषर्क के तहत अपने संपादकीय में लिखा है कि गरीबों पर तरस खाना और दरिंद्रों की मदद करना हर समाज की तरह भारतीय समाज की भी आदतों में शामिल है. यही कारण है कि पूजा स्थलों के निकट या फिर सार्वजनिक स्थलों पर भीख मांगने वाले स्त्री-पुरुष और बच्चे हर जगह दिखाई देते हैं. देश का शायद ही कोई ऐसा कोना हो जहां भिखारियों की भीड़ न मिलती हो. यद्यपि इस सिलसिले में आंकड़े उपलब्ध नहीं है लेकिन अंदाज से कहा जा सकता है कि देश में भिखारियों या फकीरों की संख्या आठ से दस लाख से कम हो, यह संभव ही नहीं है.
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