विचार को अमल में लाने की चुनौती

Last Updated 22 Apr 2015 01:11:14 AM IST

भारत में छोटे कारोबारियों का एक बड़ा समूह आज भी बैंकिंग सुविधा से महरूम है.


विचार को अमल में लाने की चुनौती

ऐसे में माइक्रो यूनिट डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी (मुद्रा बैंक) को शुरू करने के पीछे सरकार का मकसद कारोबारी खंड में छोटे और पिछड़े लोगों को ऋण मुहैया कराना है, जिन्हें कारोबार शुरू करने के लिए कर्ज नहीं मिल पाता है.

एक अनुमान के अनुसार हमारे देश में इस समय 5.75 करोड़ से ज्यादा छोटे कारोबारी हैं, जो अब भी परंपरागत रूप से कारोबार कर रहे हैं और उनकी पहुंच बैंकों तक नहीं है. भारत में बचत करने की पुरानी परंपरा रही है. जब बैंक नहीं थे, तब भी लोग कारोबार करते थे. लोगों को अपनी बचत से कारोबार करने की आदत है. फिर भी कारोबार में कई बार आपातकाल की स्थिति बन जाती है और कारोबारी, दोस्तों एवं रिश्तेदारों की मदद से भी पूंजी की व्यवस्था नहीं कर पाता है. इस तरह के आपातकाल के दृष्टिगत मुद्रा बैंक शुरू करने का प्रस्ताव है. वैसे, पूर्व में भी सरकार इस दिशा में कार्य करती रही है, लेकिन उसे प्रभावशाली नहीं कहा जा सकता है. इस संदर्भ में कुछ दिनों पहले सूक्ष्म वित्त पोषण करने में पारंगत एक वित्तीय संस्थान ‘बंधन’ को बैंकिंग लाइसेंस दिया गया था. इस बैंक का मकसद भी सूक्ष्म वित्तीय संस्थानों को बढ़ावा देना है.

मौजूदा समय में सूक्ष्म स्तर पर वित्त प्रदान करने वाले सरकारी बैंक नाममात्र के हैं. बड़े बैंक जरूर हैं, लेकिन उन तक अमूमन छोटे कारोबारी नहीं पहुंच पाते हैं. छोटे कारोबारियों को कारोबार के परिचालन के लिए बार-बार कर्ज लेना पड़ता है और इस प्रक्रिया में उनका शोषण होता है. देश का एक बड़ा तबका छोटे कारोबार से जुड़ा है, लेकिन बड़े बैंक उन्हें कर्ज नहीं देना चाहते हैं, जबकि छोटे कारोबारी कर्ज लेने पर किश्त एवं ब्याज का भुगतान समय पर करते हैं. मुद्रा बैंक की मदद से रोजगार सृजन और स्व-रोजगार को बढ़ावा मिल सकता है. साथ ही, इससे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और आर्थिक विकास में भी तेजी आ सकती है.

छोटे कारोबारियों को ऋण मुहैया कराने के लिए फिलहाल, ‘मुद्रा’ गैर-बैंकिंग वित्त कंपनी के तौर पर भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) के तहत भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के साथ पंजीकृत हैं. कालांतर में मुद्रा बैंक को एक विधेयक के जरिये आकार देने का प्रस्ताव है. माना जा रहा है कि इस साल के अंत तक इस विधेयक को संसद में पेश किया जाएगा. इस बैंक को शुरू करने के लिए शुरुआती दौर में सरकार 20,000 करोड़ रु पये मुहैया कराएगी और भरोसा बढ़ाने के लिए वह 3,000 करोड़ रुपए की साख गारंटी भी देगी.

मुद्रा बैंक के प्रस्ताव के मुताबिक मुद्रा बैंक पंजीकृत छोटे उद्योगों को सीधे तौर पर ऋण देगा. वहीं छोटे कारोबारियों के लिए मुद्रा बैंक अलग-अलग एनजीओ की भी सहायता ले सकता है. मुद्रा बैंक सभी राज्यों में अपनी शाखा भी स्थापित कर सकता है. मुद्रा बैंक छोटी इकाइयों को वित्त उपलब्ध कराने के लिए नीति बनाने के साथ-साथ उन्हें कर्ज भी उपलब्ध कराएगा. नए बैंक द्वारा छोटे कारोबारियों को अधिकतम 10 लाख रुपए तक का कर्ज दिया जाएगा. मुद्रा बैंक का गठन वैधानिक संस्था के रूप में किया जाएगा. इसका मुख्य कार्य छोटे कारोबारी, स्वयं सहायता समूह, छोटी माइक्रो फाइनेंस कंपनियों, एनबीएफसी, ट्रस्ट आदि को सस्ता कर्ज मुहैया कराना होगा. मुद्रा बैंक पुनर्वित्त एजेंसी होगा. मुद्रा बैंक की ब्याज दर वाणिज्यिक बैंकों से कम होगी.

मुद्रा बैंक के लिए उत्पाद और उसकी डिलिवरी के लिए योजनाएं तैयार की जा चुकी हैं. उत्पादों के नाम ‘शिशु’, ‘किशोर’ और ‘तरु ण’ रखे गए हैं. शिशु उत्पाद के तहत 50 हजार रुपए, किशोर के तहत 50 हजार से लेकर 5 लाख रुपए और तरु ण उत्पाद के तहत 5 लाख से लेकर 10 लाख रुपए तक का कर्ज दिया जाएगा. उम्मीद है कि तीनों उत्पाद छोटे कारोबारियों की जरूरत को पूरा करने में सक्षम होंगे.

देश भर में तकरीबन पौने छह करोड़ छोटी-मोटी कारोबार इकाइयां हैं, जो लघु विनिर्माण, व्यापारिक एवं सेवा व्यवसायों का संचालन करती हैं. इनमें से 62 प्रतिशत इकाइयों का स्वामित्व अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और पिछड़े वगरे के हाथों में है. आमतौर पर कड़ी मेहनत करने वाले इन कारोबारियों को कर्ज की औपचारिक प्रणाली तक पहुंच बनाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है.

कर्ज देने में मुद्रा बैंक के द्वारा अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति के कारोबारियों को प्राथमिकता दी जाएगी. मुद्रा बैंक ठेले और खोमचे वालों को भी ऋण उपलब्ध कराएगा. इसके अलावा पापड़, अचार आदि का व्यापार कर रहीं महिला कारोबारियों को भी इस बैंक की ओर से ऋण मुहैया कराया जाएगा. छोटी दुकान, ब्यूटी पार्लर, मैकेनिक, दर्जी, कुम्हार तथा अन्य छोटे कारोबारियों को इस बैंक के द्वारा कर्ज देने का प्रावधान है.

वर्तमान में सूक्ष्म वित्त पोषण को नुकसान का कारोबार नहीं कहा जा सकता, क्योंकि इस क्षेत्र में विस्तार की अपार संभावना है. इसलिए जल्द ही यह छोटे कारोबारियों के बीच लोकप्रिय, रोजगार सृजन के मामले में दूसरे क्षेत्रों पर वर्चस्व, कमाई आदि के मामले में मिसाल कायम कर सकता है. वर्तमान समय में बड़े कारोबारी समूह लगभग 1.25 करोड़ लोगों को रोजगार देते हैं. सूक्ष्म क्षेत्र के कारोबारी, जिनमें विविध तरह के दुकानदार, ब्यूटी पार्लर, मैकेनिक, दर्जी, कुम्हार, स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) तथा अन्य छोटे कारोबारी लगभग 12 करोड़ लोगों को रोजगार देते हैं.

इसमें दो राय नहीं है कि छोटे कारोबारियों के कारोबार को स्थायित्व देने एवं उसे आगे बढ़ाने के बाद देश में रोजगार सृजन, आर्थिक गतिविधियों में तेजी और विकास दर में इजाफा आदि सकारात्मक कार्यों को अंजाम दिया जा सकता है, लेकिन यह भी सच है कि फिलवक्त सरकारी बैंक बढ़ते एनपीए से परेशान हैं. मुद्रा बैंक द्वारा दिए गए कर्ज भी एनपीए हो सकते हैं, क्योंकि अधिकांश छोटे कारोबारी कुशल नहीं हैं. कारोबारी सिद्धांतों से अवगत नहीं होने के कारण उन्हें अक्सर नुकसान का सामना करना पड़ता है. छोटे कारोबारियों में शिक्षा एवं जागरूकता का भी अभाव है. छोटे कारोबारी के पास बैंक के समक्ष गिरवी या बंधक रखने लायक परिसंपत्ति भी नहीं होती है. इस वजह से बैंकर्स उन्हें कर्ज देने से परहेज करते हैं, क्योंकि बैंक में कर्ज के एनपीए होने पर संबंधित अधिकारी को दंडित किया जाता है.   

कहा जा सकता है कि मुद्रा बैंक की संकल्पना बहुत ही अच्छी है. यह छोटे कारोबारियों को बैंकिंग प्रणाली से जोड़ने का अच्छा माध्यम बन सकता है. लेकिन इस संकल्पना को अमलीजामा पहनाना बड़ी चुनौती है. मुद्रा बैंक को सिर्फ शुरू करने से छोटे कारोबारियों की समस्याओं का निराकरण नहीं हो सकता है. बैकिंग प्रणाली में पारदर्शिता, सरकार द्वारा बैकिंग कामकाज में न्यूनतम हस्तक्षेप और भ्रष्टाचार पर नियंत्रण आदि की मदद से मुद्रा बैंक को सफल बनाया जा सकता है. उम्मीद है कि इस बैंक की मदद से युवा, शिक्षित एवं कुशल कामगारों का विश्वास बढ़ेगा और वे बेहतर कारोबारी बनने के लिए प्रेरित होंगे.

(लेखक बैंकिंग क्षेत्र से जुड़े हैं)

सतीश सिंह
लेखक


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