सबसे जुदा हालात में हो रहा है दिल्ली विधान सभा चुनाव

Last Updated 02 Feb 2015 04:14:45 AM IST

इस सप्ताह उर्दू प्रेस पर अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा और मोदी सरकार को ओबामा का धर्मनिरपेक्ष उपदेश और राजधानी दिल्ली में विधानसभा चुनावों की हलचल सबसे ज्यादा छाए रहे.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली विधान सभा के लिए चुनाव प्रचार करते हुए.

इनके अलावा, अन्ना हजारे का मोदी सरकार को अल्टीमेटम, भारतीय संविधान से धर्म निरपेक्ष और समाजवादी शब्दों को निकाल बाहर करने की शिवसेना की मांग, आईएसआईएस के आतंकियों की अमेरिकी राष्ट्रपति को धमकी, सऊदी अरब के नये सम्राट सलमान और इस्राइली सेना व हिजबुल में टकराव जैसे मुद्दे पर कई बड़े उर्दू दैनिकों ने संपादकीय भी प्रकाशित किये हैं.

उर्दू दैनिक मुंसिफ ने ‘दिल्ली में घमासान’ शीषर्क के तहत अपने संपादकीय में लिखा है, ‘अब जबकि दिल्ली में मतदान के लिए एक सप्ताह का ही समय बचा है, सियासी पार्टियां पूरी तरह दंगल में उतर चुकी हैं. भाजपा जो पिछले एक सप्ताह से अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की भाजपा यात्रा के संबंध में व्यस्त थी, अब पूरी एकाग्रता के साथ, दिल्ली चुनाव के लिए तैयार हो चुकी है. अमितशाह की अध्यक्षता में दिल्ली चुनावों के लिए एक भरपूर रणनीति तैयार की गई, जिसके अनुसार 31 जनवरी से 4 फरवरी के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चार रैलियां दिल्ली में होनी हैं. भाजपा ने इससे पहले महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, जम्मू-कश्मीर और हरियाणा के विधानसभा चुनाव जीतने के लिये इतनी तैयारियां नहीं की थीं. इन सभी प्रदेशों में प्रधानमंत्री की एक-एक या दो-दो रैलियां ही आयोजित की गई. परंतु दिल्ली में हालात बिल्कुल ही भिन्न दिख रहे हैं.

उर्दू दैनिक राष्ट्रीय सहारा ने भड़काऊ भाषणों से देश का साम्प्रदायिक सौहार्द खत्म करने वालों की आलोचना करते हुए अपने संपादकीय में लिखा है, ‘भड़काऊ भाषण देने वालों, दंगाई मानसिकता के समूहों के मुखिया और संविधान का उल्लंघन करके हिन्दू राष्ट्र बनाने की मांग करने वालों को बेलगाम छोड़ देने भर से देश में शांति व्यवस्था बरकरार नहीं रह सकती. मीठी-मीठी बातें करने से भी यह मकसद हाथ नहीं आएगा. यह एक-दो की समझी योजना है कि वातावरण को भड़काऊ रखकर एक विशेष वर्ग को साम्प्रदायिक रंग में इस तरह रंग दिया जाये कि मामूली घटना पर भी दंगा हो गये.’

पत्र ने आगे लिखा है, ‘अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से भारत की कैसी दोस्ती है कि उनकी बातों और सुझावों पर ध्यान देने के बजाय साम्प्रदायिक सौहार्द और राष्ट्रीय एकता को तार-तार करने के लिये असामाजिक नेताओं को खुली छूट दी गई है. एक ओर जब अमेरिकी राष्ट्रपति दिल्ली में कह रहे हैं कि भारत उस समय तक कामयाब रहेगा, जब तक वह धर्म की बुनियाद पर विभाजित नहीं होगा. ओबामा ने धार्मिक स्वतंत्रता की भरपूर वकालत करते हुए संविधान की धारा 25 का विशेष रूप से हवाला दिया परंतु उसी दौरान विश्व हिन्दू परिषद के कार्यवाहक अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया संविधान में संशोधन करके देश को हिन्दू राष्ट्र बनाने की मांग कर रहे थे. और हिंदू आबादी बढ़ाने का आह्वान कर रहे थे.

उर्दू दैनिक इंकलाब ने अपने संपादकीय में लिखा है, ‘अन्ना हजारे ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चेतावनी भी दे दी कि वह जल्द ही 2011 जैसा आंदोलन फिर से शुरू करेंगे क्योंकि ऐसी सरकार जो कालाधन वापस लाने, भ्रष्टाचार समाप्त करने और जनसमस्याओं को गंभीरता से हल करने के वादों के साथ सत्ता में आई, अब वह इन मुद्दों को पीछे डालने की कोशिश कर रही हैं. इसमें कोई शक नहीं कि जनता का ध्यान इस ओर आकषिर्त करने की आवश्यकता है और अन्ना हजारे जिनकी टीम के दो प्रमुख सदस्य (अरविंद केजरीवाल और किरण बेदी) दिल्ली चुनाव में अपना भाग्य आजमा रहे हैं, एक बार फिर आंदोलन शुरू करते हैं तो उसका निश्चित लाभ होगा कि बिल्कुल उसी तरह जैसे 2011 में उनके आंदोलन के कारण यूपीए सरकार के हाथ-पैर फूल गये थे. लोक सभा चुनाव के बाद यह पहला अवसर होगा, जब नरेन्द्र मोदी सरकार से जवाब तलब करने की कोशिश में ऐसा आंदोलन शुरू होगा जिसने अतीत में हालात बदलने में प्रमुख भूमिका निभाई थी.’

उर्दू दैनिक हिंद समाचार, सियासत, सहाकत, मिलाप, अवधनामा, खबरें, कौमी तंजीम, सालार, हमारा समाज, सियासी तकदीर, प्रताप, कौमी खबरें और खबरें जदीद ने भी आज के मुद्दों पर विचारपूर्ण संपादकीय प्रकाशित किये हैं.

 

असद रजा


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