आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
इस सप्ताह उर्दू प्रेस पर दिल्ली के विधानसभा चुनाव, मोदी सरकार को अध्यादेश जारी करने के बारे में राष्ट्रपति की सलाह, स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सबसे ज्यादा छाए रहे.
आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला (फाइल फोटो) |
इनके अलावा जनसंख्या और मुसलमानों की आबादी, बिहार में सांप्रदायिक हिंसा, कांग्रेस में जनार्दन द्विवेदी के बयान पर विवाद, ओबामा की भारत यात्रा पर सुरक्षा प्रबंध और पाकिस्तान में पेट्रोल संकट जैसे मुद्दो पर तमाम उर्दू दैनिकों ने संपादकीय प्रकाशित किए.
उर्दू दैनिक \'मुंसिफ\' ने \'राष्ट्रपति की टिप्पणी\' शीषर्क के तह अपने संपादकीय में लिखा है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में सहमति का महत्व निश्चित है और किसी कानून को बनाने या उसमें संशोधन के लिए भारतीय संविधान में सत्तारूढ़ दल के साथ-साथ विपक्ष की सहमति भी जरूरी करार दी गई है ताकि लोकतंत्र का सम्मान बरकरार रहे. कुछ विशेष परिस्थितियों में संविधान ने सरकार को छूट दी है कि कानून बनाने के लिए अध्यादेश का तरीका भी अपना सकती है. लेकिन इसके साथ यह शर्त है कि इससे छह महीने संसद से मंजूरी मिल जाए अन्यथा अध्यादेश रद्द हो जाएगा. परंतु मौजूदा भाजपा सरकार द्वारा संविधान की इस छूट का कुछ ज्यादा ही लाभ उठाया जा रहा है. सरकार ने लगभग आठ कानूनी बिलों को अध्यादेश के द्वारा मंजूर करते हुए एक गलत उदाहरण पेश किया है. इस सिलसिले में स्वयं राष्ट्रपति ने सरकार पर सवाल उठाए हैं और ऐसी जल्दबाजी में अध्यादेश लाने को अनुचित करार देते हुए सरकार को इससे बचने का सुझाव दिया है.
उर्दू दैनिक \'राष्ट्रीय सहारा\' ने \'स्पॉट फिक्सिंग पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला\' शीषर्क के तहत अपने संपादकीय में लिखा है कि आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले में अपना फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चेन्नई सुपर किंग्स के अधिकारी और श्रीनिवासन के दामाद गुरुनाथ मयप्पन और राजस्थान रॉयल्स के सह मालिक राज कुंद्रा को दोषी माना है और कहा है कि ये दोनों व्यक्ति सट्टेबाजी में लिप्त थे. अदालत ने यह भी निर्णय दिया है कि बीसीसीआई एक प्राइवेट संस्था तो है लेकिन इसकी पद्धति सार्वजनिक है और इसीलिए यह कानूनी समीक्षा के दायरे में आती है.
अदालत ने श्रीनिवासन के बीसीसीआई का चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी है और बीसीसीआई के किसी भी सदस्य के द्वारा आईपीएल टीम की खरीदारी पर भी प्रतिबंध लगा दिया है. यह बात सही है कि श्रीनिवासन के विरुद्ध लगाए गए आरोपों का सत्यापन न होने के कारण वह कानून की गिरफ्त में आने से बच गए हैं लेकिन एक बात तो निश्चित है कि इंडिया सीमेंट्स और गुरुनाथ मयप्पन से संपर्कों के कारण इस मामले में कम से कम नैतिक हद तक तो उन पर भी जिम्मेदारी आती है.
उर्दू दैनिक \'इंकलाब\' ने \'दिल्ली विधानसभा चुनाव\' शीषर्क के तहत अपने संपादकीय में लिखा है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव की तैयारी के नाम पर सियासी पार्टियों की धमा-चौकड़ी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. यूं तो लगभग हर चुनाव में यही होता है लेकिन अब चुनावी विजय पहले से अधिक सार्थक और चुनावी हार पहले से ज्यादा हानिकारक हो चुकी है, क्योंकि कामयाब पार्टियां सत्ता का लाभ उठाते हुए असफल दलों के विरुद्ध मोर्चे खोलने लगी हैं. अंत में इस पत्र ने लिखा है कि दिल्ली चुनाव लड़ने वाली तीन पार्टियां महत्वपूर्ण हैं जिनमें आप, कांग्रेस और भाजपा शामिल हैं. भाजपा, जो लगातार सफलता का रिकॉर्ड बना चुकी है, अब से पहले तक बहुत महत्वाकांक्षी थी, लेकिन जैसे-जैसे उसे गवर्नेस के चरणों से गुजरना पड़ रहा है, दावों और वादों की ऊंचाई से उतर कर जमीनी सचाइयों से जूझना पड़ रहा है, उसकी हालत खराब होती जा रही है और उसकी महत्वाकांक्षा भी प्रभावित हो रही है. यही कारण है कि दिल्ली चुनाव के ऐलान से बहुत पहले से और अब उसके बाद भी उसके वे तेवर नहीं है जो अब तक के चुनावों में देखे गए थे. इससे पहले के चुनावों मे नरेंद्र मोदी ने स्वयं को जिस तरह से प्रोजेक्ट किया था, अब नहीं कर रहे हैं.
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