जम्मू-कश्मीर में सरकार की गुत्थी

Last Updated 29 Dec 2014 04:56:21 AM IST

इस सप्ताह उर्दू अखबारों पर झारखंड और जम्मू-कश्मीर के चुनाव नतीजों के इशारे, अटल बिहारी वाजपेयी और पंडित मदन मोहन मालवीय को भारत रत्न और राजनीति सबसे ज्यादा छाये रहे.


जम्मू-कश्मीर में सरकार की गुत्थी

इनके अलावा, गांधी जी के कातिल नाथूराम गोडसे की मूर्तियां लगाने और मंदिर बनाने पर विवाद, महाराष्ट्र में आरक्षण और मुसलमानों की उपेक्षा, असम में आतंकियों द्वारा नरसंहार, अमेरिका में एक और अेत की पुलिस द्वारा हत्या और पाकिस्तान में मृत्युदंड पर पाबंदी खत्म किए जाने पर संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों की चिंता जैसे मुद्दो पर संपादकीय लिखे गए.

उर्दू दैनिक \'मुंसिफ\' ने \'भारत रत्न भी सियासी होना था\' शीषर्क के तहत अपने संपादकीय में लिखा है कि भारत रत्न देश का सबसे ऊंचा सम्मान है जो किसी व्यक्ति की सामाजिक, शैक्षिक, सांस्कृतिक, खेल और कल्याणकारी क्षेत्रों में बेमिसाल सेवाओं के लिए दिया जाता है. लेकिन आजकल इस सर्वोच्च सम्मान को भी राजनीतिक ऐनक से जांचा जा रहा है और देश की राजनीतिक पार्टियां अपने नेताओं को इसके लिए चुन रही हैं. 1955 में जब पहली बार भारत रत्न के लिए कांग्रेस के नेता पंडित जवाहरलाल नेहरू को चुना गया था, तो सारे देश में बहस छिड़ गई थी कि क्या एक नेता को, जिसे जनता चुनती है, यह सम्मान दिया जा सकता है. अंत में इस पत्र ने लिखा है कि 1971 कांग्रेस की तत्कालीन शीर्ष नेता इंदिरा गांधी और 1991 में स्वर्गीय राजीव गांधी को भी यह सम्मान दिया गया था. उस समय भाजपा के नेता कांग्रेस पर भारत रत्न के सम्मान को नुकसान पहुंचाने और इसके महत्व को घटाने का आरोप लगाते थे, परंतु आज भाजपा ने सत्ता में आते ही अपने नेता को भारत रत्न देने की घोषणा कर दी.

उर्दू दैनिक \'राष्ट्रीय सहारा\' ने \'लज्जाजनक राष्ट्र विरोध\' शीषर्क के तहत अपने संपादकीय में महात्मा गांधी के कातिल को महिमामंडित करने पर दुख जताते हुए लिखा है कि राष्ट्रपिता, स्वतंत्रता आंदोलन के महानायक और हिंदू-मुस्लिम एकता के झंडाबरदार महात्मा गांधी की हत्या एक बड़ी राष्ट्रीय त्रासदी थी. देश को आजाद हुए अभी मुश्किल से आधा वर्ष भी नहीं हुआ था कि नाथूराम गोडसे ने नई दिल्ली में 30 जनवरी, 1948 को गांधी जी के सीने में तीन गोलियां उतार कर उन्हें शहीद कर दिया था. इस कत्ल के अपराध में गोडसे को फांसी की सजा सुनाई गई थी. अंत में इस पत्र ने लिखा है कि गांधी जी की शहादत के दिन को \'शौर्य दिवस\' के रूप में मनाने और उनके कातिल गोडसे के नाम से सीतापुर के एक गांव में मंदिर बनाने की खुलकर घोषणा, यह सब लज्जाजनक और खतरनाक राष्ट्र विरोध है. यह सस्ती शोहरत हासिल करने का अत्यधिक भौंडा तरीका है और अदालत के संगीन अपमान की सूची में भी आता है, क्योंकि गोडसे को संवैधानिक न्यायालय में बाकायदा मुकदमा चलाकर फांसी की सजा दी गई थी. राष्ट्रपिता के कातिल को हीरो बनाकर पेश करना पूरे राष्ट्र का खुला अपमान है.

उर्दू दैनिक \'इंकलाब\' ने जम्मू-कश्मीर में त्रिशंकु विधानसभा के कारण सरकार बनाने के लिए भाजपा व अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं की मुलाकातों और जोड़तोड़ पर अपने संपादकीय में लिखा है कि भाजपा को जम्मू-कश्मीर में 14 सीटों का लाभ हुआ है, परंतु उसका \'मिशन 44\' नाकामी से दो-चार हुआ. भाजपा को 25 सीटें मिली हैं, जबकि सबसे ज्यादा सीटें प्राप्त करने वाली मुफ्ती मोहम्मद सईद और महबूबा मुफ्ती की पीडीपी है जिसने सात सीटों के लाभ के साथ 28 सीटों पर सफलता प्राप्त की है. नियमानुसार जो सबसे बड़ी पार्टी है वही सरकार बनाने के लिए बुलाई जाएगी और पीडीपी को इसके लिए तैयार रहना चाहिए. रहा प्रश्न समर्थन लेने का, तो उसके सामने जहां भाजपा से दोस्ती करने का रास्ता है, वहीं कांग्रेस से भी हाथ मिलाने का अवसर है. दोनों में से बेहतर कौन रहेगा, इस प्रश्न पर पीडीपी संशय का शिकार है. भाजपा के साथ जाने में सियासी फायदा है, जबकि कांग्रेस से समर्थन लेने में उसकी धर्मनिरपेक्ष पहचान के सुरक्षित रहने और सिद्धांतों की सर्वोच्चता छिपी है.

उदू दैनिकों हिंद समाचार, सियासत, मिलाप, प्रताप, सियासी तकदीर, हमारा समाज और कौमी खबरें आदि ने भी आज के ज्वलंत मुद्दों पर संपादकीय प्रकाशित किए हैं.

 

असद रजा


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