चीनी राष्ट्रपति की भारत यात्रा

Last Updated 22 Sep 2014 03:39:36 AM IST

उर्दू प्रेस पर इन दिनों भारत-चीन संबंधों में नया उत्साह कश्मीर में राहत काम, उपचुनावों में भाजपा को झटका और पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ पर कत्ल का मुकदमा सबसे ज्यादा छाए रहे.


चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)

इनके अलावा ईरान के परमाणु ऊर्जा विवाद को हल करने की कोशिश, इस्राइली सरकार का मस्जिदे अक्सा पर धावा बोलने वालों को समर्थन और सऊदी अरब में हाजियों के पहुंचने पर रौनक जैसे मुद्दों पर कुछ बड़े उर्दू अखबारों ने संपादकीय भी दिए हैं.

उर्दू दैनिक \'मुंसिफ\' ने \'कश्मीर में राहती काम\' शीषर्क के तहत अपने संपादकीय में लिखा है कि कश्मीर में आज भी कई क्षेत्रों में जनता राहत और सहायता की प्रतीक्षा कर रही है. हमारे बहादुर सैनिक लगातार सहायता कार्यों में व्यस्त हैं लेकिन अब भी एक से डेढ़ लाख लोगों तक सहायता का पहुंचना शेष है. क्योंकि रास्तों की हालत इतनी खराब है कि उनका इस्तेमाल मुमकिन ही नहीं रहा. हालांकि बड़े मार्गों के पुनर्निर्माण व मरम्मत का काम तेजी से जारी है. लेकिन दूरदराज के क्षेत्रों और देहात तक पहुंचना अभी तक दुष्कर है और वहां आज भी प्रभावित लोग सहायता की प्रतीक्षा कर रहे हैं. केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा राहत व सहायता पहुंचाने के कार्य किए जा रहे हैं. कई कल्याणकारी संगठनों द्वारा भी बड़ी-बड़ी धनराशियां और सहायता सामग्री कश्मीर भेजी जा रही हैं. लेकिन हालात को शत प्रतिशत बेहतर करार नहीं दिया जा सकता है. बात सिर्फ बाढ़ के पानी के उतरने की ही नहीं है बल्कि अब लोगों को संक्रामक बीमारियों के फैलने का भय और दवाओं की कमी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

उर्दू दैनिक \'राष्ट्रीय सहारा\' ने \'चीनी राष्ट्रपति की यात्रा-विवादों पर व्यापार को वरीयता\' शीषर्क के तहत अपने संपादकीय में लिखा है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का भारत में जोशीला स्वागत और बाद में अनेक समझौतों पर दस्तखत इस बात का लक्षण हैं कि दोनों देश एक-दूसरे के साथ विभिन्न क्षेत्रों में खासतौर पर आर्थिक क्षेत्र में विशेष रूप से भरपूर सहयोग के लिए प्रयत्नशील हैं. निसंदेह दोनों देशों के बीच अनेक विवाद भी हैं. उदाहरणार्थ चीनी राष्ट्रपति की भारत यात्रा से पहले ही चीनी सैनिकों और नागरिकों ने भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करने की कोशिश की थी.

इसी प्रकार भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश पर चीन के दावे को भी हमारा देश स्वीकार नहीं करता है. चीन के द्वारा स्टेपल वीजा जारी किए जाने पर भी हमारी सरकार को आपत्ति है. यद्यपि सूचना के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच सीमा विवाद पर भी वार्ता हुई. परंतु इस बात को अस्वीकारा नहीं जा सकता कि दोनों देशों के प्रमुख व्यापार और आर्थिक संबंधों में बेहतरी को विवादों पर वरीयता दे रहे हैं. विदेश मंत्रालय की सूचना के मुताबिक नई दिल्ली में चीन के साथ 12 समझौते पर दस्ताखत किए गए हैं जिनमें इंफ्रास्ट्रक्चर और सांस्कृतिक संबंधों के विकास से संबंधित समझौते भी शामिल हैं.

उर्दू दैनिक \'इंकलाब\' ने \'अब महाराष्ट्र का चुनावी मैदान\' शीषर्क के तहत अपने संपादकीय में लिखा है कि लोकसभा के घमासान के बाद विभिन्न राज्यों के उपचुनावों पर सबकी निगाहें केंद्रित हुई थीं. लेकिन अब वे दल जिनका महाराष्ट्र और हरियाणा में प्रभाव है, एक और चुनाव के लिए खुद को तैयार करने में व्यस्त हो गए हैं. इन दोनों राज्यों में चूंकि कांग्रेस और एनसीपी का मजबूत किला रहा है इसलिए ये दोनों दल अपनी सत्ता बचाने के लिए सिर-धड़ की बाजी लगाए हुए हैं.

दूसरी ओर शिव सेना और भाजपा हैं जो लोकसभा की अपनी बेहतर सफलता और केंद्र में एनडीए सरकार की स्थापना से बल पाकर महाराष्ट्र में भगवा झंडा लहराने के ताने-बाने बुन रही हैं. लेकिन इससे पहले कि ये पार्टियां चुनावी मैदान में उतरें, आपस में ही दो-दो हाथ करके अपना साहस आजमा रही हैं. समस्या है कि कौन कितनी सीटों पर और कहां-कहां से लड़ेगा. चूंकि चारों दलों में इतनी ताकत नहीं है कि अलग-अलग चुनाव लड़ें, इसलिए आज नहीं तो कल और कल नहीं तो परसों, उनकी ओर से अपनी-अपनी सहयोगी पार्टियों के साथ सहयोग की स्वीकृति व नवीनीकरण का ऐलान निश्चित है. लेकिन इस समय दोनों मोर्चों के दल कुश्ती लड़ने के पहले पहलवानों की तरह एक-दूसरे के विरुद्ध ताल ठोकने में अपनी ऊर्जा खर्च कर रहे हैं.

असद रजा


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment