हैलीकॉप्टर के इस्तेमाल
कसम से हैलीकाप्टर इतने भले कभी नहीं लगे.
हैलीकॉप्टर के इस्तेमाल |
कश्मीर की बाढ़ में आसमान से पानी की बोतलें, खाने की सामग्री गिराते हैलीकाप्टर.
हाल तक हैलीकाप्टर के दो ही इस्तेमाल दिखते थे. एक नेताजी उड़ते हुए आएंगे हैलीकाप्टर पर किसी रैली-स्थल पर और जनता के बीच भाषण ठेलकर हैलीकाप्टर से निकल लेंगे. हवाबाजी की बातें एक जगह करके हवा में टंगकर दूसरी हवाबाजी पर निकल लेंगे.
दूसरा इस्तेमाल यह दिखा कि नेताजी हैलीकाप्टर से बाढ़ या हवाई सर्वे कर रहे हैं. हवा में आये, हवा में निकल लिये, हे हैलीकाप्टरधारी, सर्वे करते-करते कुछ बिस्कुट-पीने का पानी भी गिरा देते. कश्मीर के चीफ मिनिस्टर उमर अब्दुल्ला एक बार दिखे हवा से कुछ खाने-पीने की सामग्री गिराते हुए, पर कम से कम पांच बार दिखे यह बताते हुए कि हाय, बताइये हम क्या कर सकते हैं इस बाढ़ में, बारिश हम तो लेकर नहीं आये न!
हुजूर, बारिश नहीं लाये सो ठीक है, पर थोड़ी सी कर्मठता लेकर तो आ सकते थे. श्रीनगर का हाल जाननेवाले बता रहे हैं कि श्रीनगर से पानी बाहर निकलने का न कोई रास्ता बचा है, न कोई ऐसी जगह जहां यह पानी जमा हो सके. श्रीनगर से पानी निकासी की व्यवस्थाएं तो बनायी ही जा सकती थीं, पहले यह काम तो हो सकता था और पक्के तौर पर यह इंसानी काम है, ऊपरवाला इसे करने नहीं आयेगा. पानी देखने के लिए तो हैलीकाप्टर पर चढ़कर आसमान पर जाना होता है, पर यह तो जमीन पर रहकर ही देखा जा सकता है कि पानी निकलने की कोई व्यवस्था है कि नहीं! पर आफतें यह हो गयी हैं कि नेता आसमान में उड़ने के इतने आदी हो गये हैं कि जमीन पर उतरने का उनका मन ही नहीं करता.
बुलेट ट्रेन से लेकर मंगल पर भारतीय यान के उतरने के बीच की चर्चाओं में यह चर्चा कितनी चिरकुट लगती है-कि पानी की निकासी के लिए ठीक-ठाक नालियां बनाने और उनके रख-रखाव की टेक्नोलॉजी हमारे पास नहीं है. मानो, मंगल-ग्रह पर भारतीय यान उतरेगा और यह टेक्नोलॉजी मंगल-ग्रह से लायी जायेगी. विदेशी हम पर हंसते हैं. मंगल पर यान पहुंचानेवाले नालियों की सही गहराई नापकर उन्हें साफ नहीं कर पाते, पानी की निकासी का सही इंतजाम नहीं कर पाते.
खैर, इस समय हैलीकाप्टर बहुत भला काम कर रहे हैं. हैलीकाप्टर-स्टैंड पर खड़े तमाम हैलीकाप्टरों की आपसी बातचीत कुछ यूं होती होगी- हाय हैलीकाप्टर वन क्या हाल है.
यस हैलीकाप्टर टू, ठीक नहीं है. नेताजी ने पका डाला है. इधर से उड़कर उधर, उधर से उड़कर इधर. काम-वाम कुछ नहीं. कभी तो अपराध-बोध होता है कि इस मुल्क का कीमती ईधन नष्ट कर रहा हूं, फोकटी के काम में. कसम से इतना पक गया हूं, वही पुरानी बातें सुनकर कि मन करता है कि उड़ने से इनकार कर दूं. नहीं हैलीकाप्टर वन, ऐसे दिल पे नहीं लेते मेरे यार! हमारा काम है उड़ना, वैसे नेता का काम भी उड़ना ही है. तुम बस उड़ते रहो, क्या प्राब्लम है!
यस हैलीकाप्टर टू, हम हैलीकाप्टर हैं, हममें संवेदना है, दिल है. पर यह बात सारे नेताओं के बारे में नहीं की जा सकती. लो जी उड़ रहे हैं, उड़े ही जा रहे हैं. सच बताऊं मैं तो सबसे हैप्पी फील करता हूं, जब हैलीकाप्टर से खाने-पीने के आइटम गिराये जाते हैं तो पब्लिक बहुत प्रसन्न होती है.
हैलीकाप्टर वन, दिल पे मत लिया कर भाई! बैलेंस रहा कर. हमने पुराने जमाने भी देखे हैं. पुरानी फिल्मों में हैलीकाप्टर का ज्यादातर यूज तस्कर ही करते थे. स्मगलर अजीत अपनी मोना डार्लिंग को लेकर हैलीकाप्टर में उड़ जाया करते थे. हैलीकाप्टरों ने वो दिन भी देखे हैं, जब इंडिया की पब्लिक हैलीकाप्टर का सिर्फ यह एक ही यूज जानती थी कि हैलीकाप्टर का निर्माण सिर्फ स्मगलरों को मोना डार्लिंग के साथ उड़ाने के लिए ही किया जाता है. अब तो इसे प्रोग्रेस ही मानना चाहिए कि हैलीकाप्टर स्मगलरों से उठकर नेताओं के पास आ गये हैं और कभी-कभी तो वह सचमुच में बहुत अच्छा काम करते हुए दिख जाते हैं. जैसे पब्लिक के लिए आइटम गिराते हुए.
यस हैलीकाप्टर टू यह प्रोग्रेस तो माननेवाली है कि हम तस्करों से उठकर नेताओं पर आ गये हैं.
| Tweet |