विकास का रोडमैप है नया बजट

Last Updated 11 Jul 2014 03:25:25 AM IST

वित्तमंत्री अरुण जेटली द्वारा प्रस्तुत किए गए आम बजट के विभिन्न प्रावधानों को देखा जाए तो यह बात उभरकर सामने आती है कि अच्छे दिन जरूर आएंगे लेकिन वे अभी कुछ दूर हैं.


विकास का रोडमैप है नया बजट

नए बजट में वित्तमंत्री ने जहां विकास की खातिर खर्चे में कोताही नहीं की है, वहीं दूसरी ओर राजकोषीय घाटे को भी रणनीतिक प्रयासों से नियंत्रित करने का प्रयास किया है. नए बजट में इनकम टैक्स की लिमिट बढ़ाई गई है. सर्विस टैक्स का दायरा भी बढ़ाया गया है. सब्सिडी में भी कमी की गई है. फूड बिल, मनरेगा और दूसरी जन कल्याणकारी योजनाओं को भी जारी रखा गया है. यह बजट नई सरकार का आर्थिक नीति संबंधी दस्तावेज दिखाई दे रहा है. ऐसे में वित्तमंत्री द्वारा नए बजट में रणनीतिक कदम उठाए गए हैं. वस्तुत: उम्मीदों और संभावनाओं के बीच वित्तमंत्री अरुण जेटली ने राहत का ऐसा बजट बनाया है, जिसमें निवेश और घरेलू आय में बढ़ोतरी होने के साथ अर्थव्यवस्था को गति भी मिलती हुई दिखाई दे रही है.

नए बजट पर वित्तमंत्री अरुण जेटली द्वारा नौ जुलाई को पेश की गई आर्थिक समीक्षा का स्पष्ट प्रभाव दिखाई दे रहा है. इस समीक्षा में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2014-15 में आर्थिक विकास दर 5.4 फीसद से 5.9 फीसद के बीच रहने की उम्मीद है. सर्वे में सब्सिडी घटाने और टैक्स की कटौती के बजाय सरलीकरण की बात कही गई है. सर्वे में कहा गया है कि लम्बी अवधि के निवेश को बढ़ावा देना होगा. तेज विकास के लिए टैक्स, खर्च और नियामकीय सुधार की जरूरत बताई गई है. सर्वे में वित्तीय घाटा और महंगाई बड़ी चुनौती बताई गई है. वित्तीय घाटे पर काबू पाने के लिए सब्सिडी घटाना जरूरी माना गया है. वित्तीय घाटा कम करने के लिए टैक्स-जीडीपी अनुपात बढ़ाना जरूरी लगता है.

नए बजट के परिप्रेक्ष्य में आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि उर्वरक और खाद्य सब्सिडी घटाना जरूरी है. बुनियादी ढांचा क्षेत्र की दिक्कतें दूर करने से औद्योगिक उत्पादन पटरी पर लौट सकता है. रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की इजाजत मिलने से देश में भारी निवेश आएगा. यह भी उल्लेखनीय है कि 2008-09 से लेकर 2013-14 तक के बजटों में राजकोषीय अनुशासन पर ध्यान कम रहा. इससे राजकोष की हालत खस्ता हुई. सरकार द्वारा आरबीआई के साथ-साथ कदम नहीं बढ़ाने से महंगाई पर नियंत्रण नहीं हो सका. पिछले 25 वर्षों में पहली बार ऐसा हुआ है, जब लगातार दो साल वर्ष 2012-13 और 2013-14 में विकास दर पांच फीसद से कम रही. 

वस्तुत: नई आर्थिक समीक्षा के परिप्रेक्ष्य और पिछली सरकार से प्राप्त आर्थिक चिंताओं को दूर करके विकास की नई राह के लिए कई बातें नए बजट में रेखांकित हो रही हैं. बैंकिंग सेक्टर को मजबूत बनाने के लिए नए बजट में प्रावधान किए गए हैं. ढांचागत बुनियादी क्षेत्र की बंद बड़ी परियोजनाओं को भी आगे बढ़ाने के नए प्रावधान किए गए. वित्तमंत्री द्वारा सब्सिडी नियंत्रण पर ध्यान दिया गया और सब्सिडी प्रदान करने के अधिक किफायती तरीके खोजे गए हैं. शहरीकरण से वैश्विक लाभ लेने के लिए सौ नए स्मार्ट शहर और सात नए औद्योगिक शहरों का प्रावधान किया गया है. शहरों से जुड़ने वाले 16 नए बंदरगाह विकसित करने की बात भी नए बजट में कही गई है.

गांवों से पलायन रोकने के लिए सुविधाएं बढ़ाने की बात कही गई है. विनिर्माण सेक्टर में नई जान फूंकने के प्रावधान हैं. युवाओं के स्किल डेवलपमेंट के लिए स्किल इंडिया प्रोग्राम है. कृषि क्षेत्र में आठ लाख करोड़ रुपए का ऋण उपलब्ध कराने के प्रावधान हैं. कृषि कर्ज पर तीन फीसद की अतिरिक्त छूट दी गई है. नए बजट में सरकारी खर्चों में कमी करने के लिए विशेष आयोग के गठन की बात कही गई है.

रक्षा क्षेत्र और बीमा क्षेत्र में 49 फीसद एफडीआई सीमा बढ़ाई गई है. पांच नए आईआईटी और इतने ही आईआईएम खोले जाने हैं. ऐसे विभिन्न प्रावधानों के बावजूद  राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद की उपयुक्त सीमा तक सीमित करने का प्रयास किया गया है. नए बजट में यह भी संकेत दिया गया है कि अगले वर्षों में सब्सिडी को चरणबद्ध तरीके से कम करने का प्रयास किया जाएगा. बजट का एक चमकीला पक्ष कर सुधार से संबंधित है. बजट में कराधान प्रणाली में सुधार के साथ-साथ राजस्व संग्रह में बढ़ोतरी के लिए स्पष्ट कार्ययोजना पेश की गई है. वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को 2014-15 के अंत तक लागू करना निर्धारित किया गया है. जीएसटी आने से यकीनन उद्योग-व्यापार और निर्यात को गति मिलेगी.


चाहे वित्तमंत्री ने बजट में आयकर की दरों में कोई बदलाव नहीं किया है लेकिन बढ़ी हुई महंगाई के मद्देनजर करदाता के लिए मूल आय की दो लाख रुपए की कर छूट सीमा को बढ़ाकर 2.5 लाख रुपए कर दिया है. सेक्शन 80 (सी) के तहत बीमा प्रीमियम, पीपीएफ तथा पीएफ जैसे विभिन्न निवेश के लिए एक लाख रुपए की छूट  सीमा को बढ़ाकर 1.5 लाख रुपए कर दिया गया है. इसी तरह आवास ऋण पर ब्याज के लिए जो छूट मौजूदा समय में डेढ़ लाख रुपए तक सीमित है, उसे बढ़ाकर दो लाख रुपए कर दिया गया है. इससे करदाताओं को बचत और निवेश बढ़ाने के लिए कुछ प्रोत्साहन जरूर मिलेगा. नए बजट में आयकर व्यवस्था के तहत ऐसे प्रावधान भी किए गए हैं जिससे एक करदाता सरलता से गलतियों में सुधार की उम्मीद कर सके तथा गलतियों में सुधार के लिए इधर से उधर परिक्रमा भी न करनी पड़े. आयकर विभाग में समन्वय की कमी दूर करने का भी प्रावधान किया गया है.


इसमें दो मत नहीं कि नए वित्तमंत्री ने बजट बनाते समय अर्थव्यवस्था की वास्तविक चुनौतियों से रूबरू होते हुए सूझबूझ के साथ वित्तीय क्षेत्र में मौजूदा दबाव से जुड़ी चिंताओं का समाधान तलाशने का प्रयास किया है. वित्तमंत्री उद्योग जगत से रिश्ते सुधारते हुए और विदेशी निवेश को आकर्षित करते हुए दिख रहे हैं. क्योंकि हमारी अर्थव्यवस्था कम आय वाली ऐसी अर्थव्यवस्था है जहां युवाओं को भारी संख्या में रोजगार चाहिए, अतएव वित्तमंत्री युवाओं के कौशल विकास पर प्राथमिकता से ध्यान देते हुए दिखाई दे रहे हैं. इतना ही नहीं, वित्तमंत्री द्वारा चालू खाते के घाटे को सुधारने के लिए निर्यात में बढ़ोतरी हेतु नई रणनीति प्रस्तुत की गई है.

विनिर्माण क्षेत्र में नई जान फूंकने के साथ-साथ बुनियादी ढांचा परियोजनाओं हेतु निवेश भी बढ़ाया गया है. बजट में किसानों के हितों पर ध्यान दिया गया है और मानसून की बेरुखी का अधिक प्रतिकूल असर कृषि उत्पादन पर न पड़े, इसके लिए रणनीतिक प्रयत्न भी किए गए हैं. लेकिन अब विभिन्न वर्गों के लिए राहत और विकास की डगर पर आगे बढ़ने की संभावना विभिन्न योजनाओं के उपयुक्त क्रियान्वयन और विभिन्न मदों पर रखे गए व्यय के उपयुक्त नियंत्रण पर निर्भर करेगी.

जयंतीलाल भंडारी
लेखक


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