हर कोई उल्लू बनाए

Last Updated 19 Apr 2014 12:23:09 AM IST

ज्ञानीजन पहले ही कह गए हैं- भेड़ जहां भी जाएगी मूंडी जाएगी.


हर कोई उल्लू बनाए

साथ में यह भी कह गए हैं कि बार-बार के मूंडने से भेड़ का इतना फायदा तक नहीं होता है कि निश्चित राउंडों के बाद बेचारी को बैकुंठ में ही एंट्री मिल जाए. तो पुराने ज्ञान का यंगिस्तानी चुनावी तजरुमा हुआ- सब उल्लू बनाविंग, बस उल्लू बनाविंग.

जैसे सत्ता पार्टी को लें. रघुवीर सहाय जी ने हमारे लिए ही कहा था कि हमने बहुत किया है, अभी बहुत करना है, आगे और करेंगे. और यह भी सच है कि जो भी करेंगे, हम ही करेंगे. हां! वामपंथी अगर कहेंगे कुछ करने को तो वह हम हर्गिज नहीं करेंगे. हम तो धन्ना सेठों से यह भी पूछते हैं कि क्या है जो हमने नहीं किया है और मोदीजी ही करेंगे? और क्या है जो हमें करना पड़ा है और वे बिल्कुल नहीं करेंगे? फिर उनका गुब्बारा हमारे गुब्बारे से चमकीला कैसे! याद रखिए, नया-नया पीतल, सोने से ज्यादा चमकता है!

रही पब्लिक की बात तो हमने पिछली बार दस करोड़ लोगों को रोजगार दिलाया था, इस बार भी दस करोड़ को ही रोजगार दिलाएंगे. पिछली बार हमने पंद्रह करोड़ लोगों को गरीबी की रेखा पार करायी थी, इस बार उन्हें मिडिल क्लास बनाएंगे. पब्लिक को हमने कई अधिकार पिछली बार दिए हैं, इस बार रोजगार का अधिकार छोड़कर बाकी सब अधिकार दिलाएंगे. आने-जाने का अधिकार, नाचने-गाने का अधिकार आदि आदि. फिर तो जी फिर पब्लिक का वोट हमें ही मिलेगा!

सत्ता उखाड़ पार्टी कहती है कि किसी कवि ने हमारे लिए ही कहा है कि सिंहासन खाली करो कि जनता आती है. हमारी पार्टी ही जनता की पार्टी है. पर ऐसी-वैसी जनता की नहीं, भारतीय जनता की. रही बात सिंहासन की तो सच पूछिए तो उसे खाली कराने की तो जरूरत ही नहीं है. सिंहासन तो पिछले वालों की पहले आप, पहले आप के चक्कर में, न जाने कब से खाली ही पड़ा हुआ था. हम ही थे जो डेमोक्रेसी का मान रखने के लिए अब तक इंतजार करते रहे. पर अब और नहीं.

अब सिंहासन खाली नहीं रहेगा. हमारा नेता एकदम सिंहासन के साइज में फिट बैठने वाला है. उसके लिए सिंहासन छोटा भले पड़ जाए, पर एक सूत खाली नहीं रहेगा. नो खड़ाऊं राज, ओनली रामराज्य. सत्ता वाले दस करोड़ रोजगार देने का झूठ बोलते हैं. हम 15 करोड़ रोजगार देने का वादा करते हैं. वे पांच करोड़ घर बनाएंगे तो हम सात करोड़ बनाएंगे. जो उन्होंने साठ साल में नहीं किया, हम साठ महीने में ही कर दिखाएंगे.

हम सब कुछ उनसे सवाया करने का वादा करते हैं, अधिकार भी. हम बाकी अधिकारों के साथ प्राकृतिक साधनों के भी अधिकार दिलाएंगे और किसी भी फिल्म, पेंटिंग, किताब, कार्टून से आहत होकर, उस पर पाबंदी लगवाने का अधिकार भी. हमें सिंहासन के लिए तो पहले ही चुना जा चुका है, बस वोट डालने, गिनती, नतीजे के ऐलान की छोटी-मोटी औपचारिकताएं पूरी होना बाकी है.

हम ही हम पार्टी कहती है कि हमें बाकी सब के खाने में डालने की कोशिश एक बड़ा षडयंत्र है. वास्तव में बाकी सब को एक खाने में होना चाहिए और सिर्फ हमें अलग खाने में. क्योंकि हम हैं ही सबसे अलग. हमारे लिए ही किसी कवि ने कहा है कि लीक छांड़ि तीनों चलें, शायर, सिंह, सपूत. हम ही भारत माता के सच्चे सपूत हैं. इस देश में अब तक जो भी हुआ है, गलत हुआ है. सही वही होगा जो हमारे केजरीभाई करेंगे. हम जो भी करेंगे, सही करेंगे. पब्लिक के लिए इस बार मौका है- बाद में हमसे शिकायत न करें कि एक साथ सब सही करने का मौका ही नहीं मिला.

बाकी सब पार्टी के बारे में किसी कवि ने जरूर कहा होगा- अन्य सो अनन्य. उसका एलान है- हमें अन्य-अन्य कहकर दुरदुराने वालो, सिंहासन पर वही चढ़ेगा जिसे हम चढ़ाएंगे. हां! हम अभी यह नहीं बताएंगे कि हम किसे सिंहासन पर बैठाएंगे या फिर खुद ही मिल-जुलकर सिंहासन पर चढ़ जाएंगे. हम टेलीविजन के पर्दे पर नहीं हैं तो क्या हुआ, हम पब्लिक की आंखों के पर्दे पर तो बखूबी हैं. भेड़ पार्टी कहती है, हमारी मांग तो खैर बहुत ज्यादा की है पर हम प्यार से और कम मूंडने वाले पर भी सेटलमेंट कर सकते हैं.

कबीरदास
लेखक


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