देशी-विदेशी डिग्री एक साथ, यूजीसी की मंजूरी, देशी-विदेशी शिक्षण संस्थान कर सकेंगे सहयोग

Last Updated 20 Apr 2022 05:09:44 AM IST

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष जगदीश कुमार ने कहा कि भारतीय और विदेशी उच्च शिक्षण संस्थान जल्द ही संयुक्त या दोहरी डिग्री और जुड़वां कार्यक्रमों की पेशकश कर सकते हैं, क्योंकि यूजीसी ने इन कार्यक्रमों के लिए नियमों को मंजूरी दे दी है।


देशी-विदेशी डिग्री एक साथ, यूजीसी की मंजूरी, देशी-विदेशी शिक्षण संस्थान कर सकेंगे सहयोग

 यह फैसला उच्च शिक्षा नियामक की एक बैठक में किया गया।

अनुमोदित नियमों के अनुसार कोई ‘जुड़वां कार्यक्रम’ एक सहयोगात्मक व्यवस्था होगी, जिसके तहत भारतीय उच्च शिक्षण संस्थान में नामांकित छात्र भारत में आंशिक रूप से प्रासंगिक यूजीसी नियमों का पालन करते हुए और आंशिक रूप से एक विदेशी उच्च शिक्षण संस्थान में अध्ययन के अपने कार्यक्रम कर सकते हैं। कुमार ने कहा कि इस तरह के जुड़वां कार्यक्रमों के तहत दी जाने वाली डिग्री भारतीय संस्थान द्वारा प्रदान की जाएगी।

उन्होंने कहा कि एक ‘संयुक्त डिग्री कार्यक्रम’ के लिए पाठ्यक्रम भारतीय और विदेशी उच्च शिक्षण संस्थानों द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किया जाएगा और कार्यक्रम के पूरा होने पर दोनों संस्थानों द्वारा एक ही प्रमाणपत्र के साथ डिग्री प्रदान की जाएगी। कुमार ने कहा कि एक ‘दोहरा डिग्री कार्यक्रम’ भारतीय और विदेशी उच्च शिक्षण संस्थानों द्वारा समान संकाय और विषय क्षेत्रों और समान स्तर पर संयुक्त रूप से डिजाइन और पेश किया जाने वाला कार्यक्रम होगा।

भारतीय उच्च शिक्षण संस्थान तकनीकी, चिकित्सा, कानूनी, कृषि और ऐसे अन्य व्यावसायिक कार्यक्रमों में सहयोग करने से पहले संबंधित सांविधिक परिषदों और निकायों से आवश्यक अनुमोदन प्राप्त करेंगे। कुमार ने कहा, ‘इन विनियमों के तहत प्रदान की गई डिग्री भारतीय उच्च शिक्षण संस्थान द्वारा प्रदान की जाने वाली किसी भी संबंधित डिग्री के बराबर होगी। किसी भी प्राधिकरण से समकक्षता प्राप्त करने की कोई आवश्यकता नहीं होगी और डिग्री के मामले में प्राप्त होने वाले वे सभी लाभ, अधिकार और विशेषाधिकार होंगे जो आम तौर पर किसी भारतीय उच्च शिक्षण संस्थान द्वारा प्रदान की जाने वाली डिग्री के मामले में होते हैं।’

सहयोग के लिए आवश्यक मानदंड

3.01 के न्यूनतम स्कोर के साथ राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (एनएएसी) द्वारा मान्यता प्राप्त कोई भी भारतीय संस्थान या राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) की विविद्यालय श्रेणी में शीर्ष 100 में शामिल या उत्कृष्ट संस्थान किसी भी ऐसे विदेशी संस्थान के साथ सहयोग कर सकता है, जो टाइम्स उच्च शिक्षा या ‘क्यूएस’ विश्व रैंकिंग के शीर्ष 500 संस्थानों में शामिल हो।

उन्होंने कहा कि इसके लिए यूजीसी से पूर्व मंजूरी नहीं लेनी होगी तथा इस कार्यक्रम के तहत छात्रों को विदेशी संस्थान से 30 प्रतिशत से अधिक ‘क्रेडिट’ प्राप्त करना होगा। कुमार ने कहा कि हालांकि, नियम ऑनलाइन और मुक्त तथा दूरस्थ शिक्षा माध्यम के तहत आने वाले कार्यक्रमों पर लागू नहीं होंगे। कुमार ने हालांकि स्पष्ट किया कि इन नियमों के तहत किसी विदेशी उच्च शिक्षण संस्थान और भारतीय उच्च शिक्षण संस्थान के बीच किसी भी प्रकार की ‘फ्रैंचाइजी’ व्यवस्था या अध्ययन केंद्र की अनुमति नहीं दी जाएगी।  करते देखा गया।

भाषा
नई दिल्ली


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