परीक्षाओं का अगले वर्ष से हो सकता है पुनर्मूल्यांकन बंद

Last Updated 21 Sep 2016 11:57:38 AM IST

केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) द्वारा अगले साल से परीक्षाओं के पुनमरूल्यांकन की प्रक्रिया समाप्त की जा सकती है.


परीक्षाओं का बंद होगा पुनर्मूल्यांकन

दरअसल अगले साल से इंजीनियरिंग के ज्वाइंट एंट्रेंस परीक्षा (जेईई) में बारहवीं के अंक नहीं जोड़े जाएंगे. लिहाजा बोर्ड ने महसूस किया है कि अगले साल से इसको खत्म किया जा सकता है.

बोर्ड की प्रबंध समिति में इस पर चर्चा हुई है. इसको लेकर सहमति बनी है कि अगले साल से पुनर्मूल्यांकन की प्रक्रिया को खत्म कर दिया जाए.

खास बात यह भी है कि इस प्रक्रिया को यह तीसरा हिस्सा है, जो खत्म किया जाएगा. हालांकि वेरिफिकेशन ऑफ मार्क्‍स व फोटोकॉपी की प्रक्रिया जारी रह सकती है. हालांकि इस संबंध में अभी अधिसूचना जारी होनी है.

आपको बता दें कि बारहवीं की परीक्षाओं के रिजल्ट आने के बाद विद्यार्थियों के लिए पुनर्मूल्यांकन की व्यवस्था दी गई.

इस प्रक्रिया में विद्यार्थियों के लिए तीन प्रक्रिया रखी गई है. पहली प्रक्रिया के तहत वेरिफिकेशन ऑफ मार्क्‍स हैं. जिसमें आवेदन करने पर विद्यार्थी के मार्क्‍स को दोबारा से जोड़कर देखा जाता है.

इसके बाद यदि विद्यार्थी संतुष्ट नहीं है तो आंसरशीट की फोटोकॉपी देने की व्यवस्था है. इससे भी यदि विद्यार्थी संतुष्ट नहीं होता है तो आखिरी व्यवस्था के तहत आंसरशीट की चेकिंग दोबारा से होती है, लेकिन यहां खास बात यह है कि इस प्रक्रिया में विद्यार्थी केवल दस सवालों का ही पुनर्मूल्यांकन करवा सकता है.

ज्यादातर मामलों में इंजीनियरिंग की परीक्षा को लेकर पुनर्मूल्यांकन करवाया जाता रहा है. अभी तक जेईई की परीक्षा में बारहवीं के अंकों को मेरिट लिस्ट बनाने में जोड़ जाता रहा है, लेकिन अगले साल से बारहवीं के अंक जेईई के मेरिट लिस्ट में नहीं जोड़े जाएंगे.

बोर्ड की प्रबंध समिति में इस मामले को लेकर कानूनी सलाह भी ली गई है. इसमें चर्चा हुई कि कुछ आवेदन है कि सवालों के चेकिंग जो अभी तक 10 सवाल तक समित हैं, उन्हें बढ़ा दिया जाए.

दूसरी बात यह आई कि एक विद्यार्थी द्वारा कोर्ट में जाने पर फिजिकल एजुकेशन विषय का भी पुनर्मूल्यांकन करवाया गया था, लेकिन इस विषय का पुनर्मूल्यांकन नहीं होता है.

बताया गया कि यदि बोर्ड पुनर्मूल्यांकन प्रक्रिया को खत्म करना चाहती है तो बोर्ड को अपने परीक्षा के नियमों में संशोधन करना होगा.

हालांकि केवल वेरिफिकेशन ऑफ मार्क्‍स व फोटोकॉपी की प्रक्रिया ही जारी रखी जा सकती है. आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2015 में रीईवैल्यूशन के मामलों में मात्र 0.2 फीसद मामलों में ही त्रुटि पाई गई थी.

राकेश नाथ


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