डीयू: अस्पतालों में साइन लैंग्वेज पर नर्सों को ट्रेनिंग

Last Updated 15 Dec 2014 02:44:59 PM IST

दिल्ली विश्वविद्यालय समूचे राष्ट्रीय राजधानी के अस्पतालों में नर्सिंग कर्मचारियों को साइन लैंग्वेज का प्रशिक्षण दे रहा है.


डीयू: साइन लैंग्वेज पर नर्सों को ट्रेनिंग (फाइल फोटो)

ऐसा करने से उन्हें बधिर मरीजों की देखभाल में बेहतर तरीके से काम करने में मदद मिल सकेगी.

डीयू के क्लस्टर इनोवेशन सेंटर में एसोसिएट प्रोफेसर हिना नंदराजोग ने कहा देश में साइन लैंग्वेज का बहुत कम इस्तेमाल होता है और डीयू के छात्रों द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में खुलासा हुआ था कि दृष्टि बाधित लोगों को भी उचित तकनीकी भाषा की व्यवस्था होने की जानकारी नहीं है.

नंदराजोग डीयू के छह छात्रों के एक दल के साथ उस परियोजना पर काम कर रही हैं जिसमें नर्सिंग कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण सत्र का आयोजन किया जा रहा है ताकि उन्हें साइन लैंग्वेज की बुनियादी जानकारी और श्रवण बाधित मरीजों के साथ कैसे पेश आना है इसकी जानकारी दी जा सके.

उन्होंने कहा कि चिकित्साकर्मियों के लिए साइन लैंग्वेज की जानकारी होना बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि मरीज खुद से किसी बात को स्पष्ट करने में सक्षम नहीं हो सकते या अपनी समस्या नहीं बता सकते हैं.

यह उनकी समस्या की बेहतर तरीके से पहचान करने में उनकी मदद कर सकता है.

नंदराजोग ने बताया कि बधिर मरीजों को बिना संचार मदद के कंसल्टेशन में हिस्सा लेना पड़ता है और उन्हें लिखित नोट्स या अपने साथ किसी ऐसे व्यक्ति के होने पर निर्भर करना पड़ता है जो उनकी बात समझा सके.

प्रशिक्षण सह काउन्सलिंग कार्यक्रम पिछले पखवाड़े शुरू हुआ था. अब तक इसका आयोजन हिंदूराव और कस्तूरबा अस्पतालों में कराया गया है.

नंदराजोग ने बताया कि हमने एम्स और जीटीबी अस्पताल को अगले सत्र के लिए पत्र लिखा है. अन्य अस्पताल भी कतार में हैं. हमने प्रशिक्षण के उद्देश्य के लिए अस्पताल विशेष के लिए शब्दावली भी विकसित की है.

परियोजना के पहले चरण में डीयू ने दो हजार से अधिक पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षित किया था ताकि पुलिस को अपनी बात बताने में बधिरों के समक्ष आने वाली समस्या के बारे में उन्हें संवेदनशील बनाया जा सके.

वर्कशॉप का आयोजन नेशनल एसोसिएशन ऑफ डीफ (एनएडी) और नोएडा डीफ सोसाइटी (एनडीएस) के साथ मिलकर किया गया था.



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