UPSC की कशमकश के बीच UPPSC ने लिया फैसला: नहीं हटेगा सी-सैट, नहीं टलेगी परीक्षा
शुक्रवार को उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) ने निर्णय ले लिया है कि वह न तो परीक्षा टालेगा और न ही सी-सैट हटाएगा.
नहीं हटेगा सी-सैट, नहीं टलेगी परीक्षा (फाइल फोटो) |
यूपीपीएससी के परीक्षा नियंत्रक महेंद्र प्रसाद ने कहा कि फिलहाल अभी न तो सी-सैट हटेगा न ही तीन अगस्त को होने वाली परीक्षा टलेगी.
यूपीपीएससी के इस रवैये के बाद प्रतियोगी छात्र जहां पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा की तैयारियों में जुट गए हैं, वहीं राजनीतिक दलों से जुड़े छात्रसंगठन इसके विरोध में अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं.
यूपीपीएससी के परीक्षा नियंत्रक ने कहा कि छात्रों की तरफ से सी-सैट हटाने के लिए जो मांग की जा रही है, उसको लेकर अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ है.
इस बारे में जो भी निर्णय लेना होगा वह केंद्र सरकार द्वारा यूपीएससी में सी-सैट को लेकर होने वाले संभावित बदलाव के बाद ही होगा.
आयोग पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा कराने की अपनी तैयारियां पूरी कर चुका है. जिन जिलों में परीक्षा केंद्र बनाया गया है, वहां पेपर पहुंचने के साथ आयोग की ओर से अधिकारी भी रवाना हो गए हैं.
वर्मा कमेटी ने भी कहा, सीसैट बिल्कुल ठीक
सूत्रों के मुताबिक, इस मुद्दे पर बनी अरविंद वर्मा कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में सीसैट को जारी रखने की सिफारिश की है. कमेटी ने गुरुवार को ही अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी है.
कमेटी ने कहा है कि सीसैट की पूरी प्रक्रिया काफी वैज्ञानिक है और इसे हटाने की कोई वजह नहीं है. हालांकि कमेटी ने ये भी सिफारिश की कि सीसैट में हिंदी अनुवाद को लेकर जो समस्याएं हैं, उनका निदान किया जाना चाहिए.
सूत्र बताते हैं कि यूपीएससी की इस बार की परीक्षाओं की तिथि में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा और परीक्षाएं अपने पूर्वनिर्धारित कार्यक्रम के तहत होंगी.
हालांकि छात्राओं को राहत देते हुए कहा जा रहा है कि जो छात्र इस बार परीक्षा में असफल रहेंगे उन्हें एक और मौका दिया जा सकता है.
विपक्ष ने यूपीएससी मुद्दे पर सरकार पर साधा निशाना
वहीं विपक्ष ने यूपीएससी विवाद के समाधान के लिए कोई निर्धारित समय सीमा तय करने में नाकामी पर केंद्र पर यह कहते हुए निशाना साधा है कि सिविल सेवा परीक्षाओं में बैठने वाले उम्मीदवारों के प्रति उसे ‘संवेदनशीलता’ दिखानी चाहिए.
पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सदस्य अश्विनी कुमार ने संसद के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह एक बेहद संवेदनशील मुद्दा है और सरकार को इससे निपटने में संवेदनशीलता दिखानी चाहिए. कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की गयी है कि मुद्दे का कब समाधान होगा. कोई आश्वासन नहीं दिया गया है. सरकार इससे निपटने में नाकाम रही है’’.
समाजवादी पार्टी नेता नरेश अग्रवाल ने कहा कि मुद्दे के समाधान के लिए निर्धारित समय सीमा तय नहीं कर केंद्र छात्रों को गुमराह कर रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘यूपीएससी परीक्षा में अंग्रेजी को लेकर प्रधानमंत्री की रजामंदी है. नहीं तो सरकार मुद्दे के समाधान के लिए समय सीमा निर्धारित करती’’.
जदयू अध्यक्ष शरद यादव ने केंद्र पर निशाना साधते हुए पूछा कि हिंदी भाषी छात्रों को क्या देश छोड़ देना चाहिए? उन्होंने कहा कि पुलिस को पहले छात्रों को पीटना बंद करना चाहिए.
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