मौसम की भविष्यवाणी से जुड़े रोजगार के मौके

Last Updated 27 Oct 2013 04:27:43 PM IST

भारत के मौसम वैज्ञानिकों की चर्चा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर है और यहां की काबिलियत का लोहा पूरा विश्व मानने लगा है.


मौसम की भविष्यवाणी से जुड़े मौके (फाइल फोटो)

आज के दौर में जिस तरह मौसम करवट ले रहा है, मौसम वैज्ञानिकों की मांग बढ़ गयी है और हर देश इन वैज्ञानिकों की न सिर्फ भर्तियां कर रहे हैं बल्कि मनमाफिक वेतन भी दे रहे हैं.

युवाओं में मौसम विज्ञानी बनकर मौसम की भविष्यवाणी करने को लेकर खासा क्रेज पैदा हुआ है. मौसम का हाल बताने और लोगों को जागरूक करने का काम करने के लिए युवा मौसम विज्ञानी बनकर सामने आ रहे हैं.

इससे जुड़े स्पेशलाइज्ड कोर्स करके वे वैज्ञानिक के रूप में अपनी अलग पहचान बना रहे हैं. विशेषज्ञों की मानें तो किसी भी काम को शुरू करने के पहले शुभ घड़ी देखी जाती है. शुभ घड़ी में मौसम का मन जरूर टटोला जाता है.

यह मंगलकारी होगा या अमंगलकारी, यह बताने का काम एक समय ज्योतिषियों के जिम्मे था लेकिन विज्ञान की बढ़ती भूमिका और वैज्ञानिक तर्क के आधार पर शुभ या अशुभ हाल बताने के लिए आज मौसम विज्ञानी इस तरह की भविष्यवाणी करते हैं.

देश-विदेश में बढ़ी मौसम विज्ञानी की भूमिका

समाज और दुनिया में ऐसे मौसम वैज्ञानिकों की कद्र और पूछ बढ़ी है. देश-विदेश में मौसम विज्ञानी की बढ़ती भूमिका को देखते हुए ही इस क्षेत्र में आज युवा अपना करियर बनाने आ रहे हैं.

इन वैज्ञानिकों की आने वाले दिनों में मांग और बढ़ने वाली है क्योंकि कृषि प्रधान देश में अब ब्लॉक स्तर तक मौसम की भविष्यवाणी की जा सकेगी.

इसके लिए मौसम केंद्रों को हाइटेक करने की दिशा में कदम बढ़ा दिए गये हैं. चुनिंदा मौसम केंद्रों पर डोप्लर वैदर रडार लगाए जाने के साथ ही करीब दो हजार स्थानों पर स्वचालित मौसम केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं.

इन केंद्रों पर आंकड़े सीधे दिल्ली, पुणे और मुंबई से प्राप्त किए जाएंगे और मौसम विज्ञानी सुपर कम्प्यूटर से आंकड़ों का विस्तृत अध्ययन और विश्लेषण कर ब्लॉक स्तर के तापमान, हवा, बारिश और नमी आदि की भविष्यवाणी की जा सकेगी.

मौसम की इस भविष्यवाणी के पीछे अकूत पैसा छिपा हुआ है. कई संस्थाएं 10-15 दिन के मौसम और तापमान की जानकारी मुहैया कराती हैं. इसके एवज में अच्छा-खासा राशि भी लेती हैं.

स्किल


मौसम की भविष्यवाणी करने वाले मौसम विभाग में हर शख्स कैमरे के सामने नहीं आता और न ही परदे पर दिखता है. यहां कुछ लोग मौसम के लिए आंकड़े एकत्रित करने में जुटे रहते हैं तो कुछ लोग वातावरण का अध्ययन करते हैं.

कई शोध कार्य से जुड़कर इस काम को सफल बनाते हैं.

एक अच्छा मौसम वैज्ञानिक बनने या इस क्षेत्र में सफल होने के लिए पर्यावरण साइंस का ज्ञान होना जरूरी है. छात्र को गणित और भौतिकी की बेसिक मालूम होनी चाहिए.

इसमें समस्या का हल निकालने के लिए विश्लेषणात्मक और तार्किक बुद्धि से लैस होना चाहिए. पर्यवेक्षण की शक्ति भी होनी चाहिए.

छात्र को विभिन्न सोर्स से डाटा एकत्र करके उसकी व्याख्या करना आना चाहिए. आज कम्प्यूटर का रोल अहम हो गया है. विभिन्न ग्लोबल मॉडल्स को रन करके घंटे, दिन या सप्ताह के आधार पर मौसम का अनुमान लगाना आना चाहिए.

भारतीय परिस्थितियों में विभिन्न मॉडल्स किस रूप में काम करते हैं, यह ज्ञान इस क्षेत्र में आने वाले को जरूर होना चाहिए. मॉडल सुपर कम्प्यूटर पर रन होते हैं. ऐसे में, कम्प्यूटर का स्किल आना भी जरूरी है.

छात्रों को आज के समय में देखा जाए तो रसायनशास्त्र की भी जानकारी होनी चाहिए. आज प्रदूषण के स्तर की माप और इस आधार पर मौसम में होने वाले फेरबदल का भी आकलन किया जाता है.

ऐसे में, मौसम विज्ञानी से अपेक्षा की जाती है कि वह प्रदूषण के स्तर को मापते हुए मौसम की सटीक भविष्यवाणी करें.

योग्यता

इस क्षेत्र में आकर करियर बनाने वालों के लिए यह जरूरी है कि उसने बीएससी या स्नातक स्तर पर भौतिकी और गणित की पढ़ाई की हो. जिस छात्र ने मेटियोलॉजी या एटमॉसफेरिक साइंस में स्नातक किया है, उसे भी इस क्षेत्र में आने का मौका दिया जाता है.

आमतौर पर बीएससी के बाद एमएससी के छात्रों को ही आगे चलकर स्पेश्लाइज्ड कोर्स पढ़ने पर मौसम वैज्ञानिक बनने का अवसर मिलता है.

जिस छात्र ने भौतिकी के अलावा एमटेक, ओशनोग्राफी या समुद्री विज्ञान आदि की पढ़ाई की है, उसे भी यहां करियर बनाने का अवसर मिलता है.

अवसर

राज्य या केंद्र स्तर पर मौसम वैज्ञानिक की नियुक्ति बतौर साइंटिस्ट स्तर पर होती है. इसके लिए यूपीएससी हर साल रिक्त पदों के हिसाब से परीक्षा आयोजित करती है.

मेटीरोलॉजिस्ट यानी मौसम विज्ञानियों की नियुक्ति राज्य की राजधानी में मौसम विभाग के सेंटरों पर होती है. इसके लिए महानगरों में बनाए गये रीजनल सेंटर पर इन्हें नियुक्त किया जाता है.

यूपीएससी के जरिये चयनित होने पर छात्रों को एक साल की पुणे में ट्रेनिंग दी जाती है.

मौसम विज्ञान में साइंटिस्ट के रूप में काम करने वाले लोगों की नियुक्ति यूपीएससी से लेकिन साइंटिफिक असिस्टेंट और सीनियर ऑब्जर्वर की नियुक्ति कर्मचारी चयन आयोग करता है.

साइंटिफिक असिस्टेंट और सीनियर ऑब्जर्वर का काम छोटे-छोटे जगहों पर बारिश का ऑब्जव्रेशन करना होता है.

इनके अलावा, मौसम विज्ञानियों की नियुक्ति स्वतंत्र रूप से कार्यरत रिसर्च सेंटर, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉपिकल मेटोलॉजी, पुणे में होती है. इसरो और एयरफोर्स भी अपने यहां मेटीरोलॉजिस्ट रखते हैं.

वेतनमान

साइंटिस्ट बनने पर शुरुआती वेतनमान 40-45 हजार रुपये है. यह आगे चलकर वरिष्ठता के क्रम से बढ़ता जाता है. साइंटिफिक असिस्टेंट या सीनियर ऑब्जर्वर का वेतनमान 25 से 30 हजार रुपये प्रतिमाह है.

निजी एजेंसियों में भी नौकरी करने पर शुरुआती वेतनमान 40 से 50 हजार रुपये हैं. विदेशों में इस तरह के काम में लोगों को प्रतिमाह लाखों रुपये मिलते हैं.



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