दिल्ली में बैन होंगे 15 वर्ष पुराने वाहन

Last Updated 28 Nov 2014 10:02:06 AM IST

देश की राजधानी दिल्ली की आबोहवा इतनी विषैली हो चुकी है कि इस शहर की गिनती दुनिया के सर्वाधिक वायु प्रदूषित शहरों में होती है.


वाहन

अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कई ऐसे निर्देश दिए हैं जिनका मकसद दिल्ली में वायु प्रदूषण पर लगाम लगाना है. इनमें पंद्रह वर्ष की आयु पूरी कर चुके वाहनों को सड़कों से हटाने का निर्देश सबसे महत्वपूर्ण है.

ट्रिब्यूनल ने दिल्ली परिवहन विभाग को साफ निर्देश दिया है कि वह इन पुराने निजी वाहनों को फिटनेट प्रमाण पत्र जारी करना न सिर्फ बंद करे, बल्कि इनकी जब्ती की कार्रवाई करे.

गौरतलब है कि अब तक ऐसे निजी वाहनों की फिटनेस जांच कर उन्हें चलाने की इजाजत मिलती रही है. लेकिन नए आदेश के बाद ऐसे लाखों वाहनों का सड़क पर चलना नामुमकिन हो जाएगा. खास बात यह है कि इस आदेश से टू व्हीलर से लेकर फोर व्हीलर तक, सभी श्रेणियों के वाहन प्रभावित होंगे.

ट्रिब्यूनल के इस आदेश पर अमल होने से कई सकारात्मक परिणाम मिलेंगे. पहला लाभ तो यही होगा कि प्रदूषण फैलाने के लिए बदनाम इन वाहनों के मालिक अब संबंधित विभाग की मिलीभगत से इन्हें सड़कों पर नहीं दौड़ा सकेंगे, जिससे वायु प्रदूषण घटेगा.

पुराने और खटारा वाहन सड़क हादसों के भी बड़े कारक बनते रहे हैं. ऐसे में इन्हें हटाने से सड़क दुर्घटनाओं में कुछ कमी आ सकती है, साथ ही अतिशय वाहनों के दबाव से ग्रस्त दिल्ली की सड़कों को भी राहत मिलेगी.

माना जा रहा है कि ऐसे वाहनों की संख्या दिल्ली में कम से कम दस लाख होगी. लेकिन गौरतलब यह भी है कि दिल्ली की सड़कों पर प्रतिदिन एक हजार से अधिक नए वाहन उतरते हैं, ऐसे में सड़कों पर दबाव के लिहाज से पुराने वाहनों को हटाए जाने से मिली राहत महज तात्कालिक ही होगी.

यह आदेश उन पुराने वाहनों के मालिकों पर भी भारी पड़ेगा जो तत्काल नई कार या बाइक खरीदने की स्थिति में नहीं होंगे. लेकिन निजी हित के मुकाबले सार्वजनिक हित ज्यादा महत्वपूर्ण हैं, लिहाजा ट्रिब्यूनल के आदेश पर सवाल नहीं उठाया जा सकता. हालांकि पुराने वाहनों को हटाने का निर्णय वाहन निर्माता कंपनियों के लिए फायदेमंद हो सकता है. लेकिन वायु प्रदूषण की समस्या से राहत के लिए सबसे बड़ी जरूरत यह है कि देश में निजी वाहन की बढ़ती संस्कृति को हतोत्साहित किया जाए.

बहरहाल, इसी क्रम में ट्रिब्यूनल ने प्लास्टिक, कूड़ा आदि को खुले में जलाने पर रोक लगा दी है. ऐसे प्रतिबंध का लगाया जाना भी वायु प्रदूषण को कम करने में खासा मददगार हो सकता है.

ट्रिब्यूनल ने संबंधित सरकारी विभागों को प्रदूषण फैलाने के नजरिए से समय-समय पर डीटीसी बसों की जांच करने का आदेश भी दिया है.

ट्रैफिक जाम भी वायु प्रदूषण बढ़ाते हैं, लिहाज ट्रिब्यूनल ने प्रमुख सड़कों पर पार्किग की इजाजत न देने का आदेश भी दिया है.
 

 



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