कोयला घोटाला: पूर्व कोयला सचिव एससी गुप्ता, 2 अधिकारी को तीन-तीन साल की सजा, मिली जमानत

Last Updated 05 Dec 2018 04:27:26 PM IST

दिल्ली की एक अदालत ने एक कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला मामले में पूर्व कोयला सचिव एस सी गुप्ता और दो अन्य नौकरशाहों को बुधवार को तीन साल की सजा सुनाई।


कोयला मंत्रालय के पूर्व सचिव को 3 साल की जेल (फाइल फोटो)

यह घोटाला केन्द्र में पूर्ववर्ती सप्रंग सरकार के शासन काल के दौरान हुआ था।          

अदालत ने जिन अन्य दो नौकरशाहों को कैद की सजा सुनाई उनमें ए क्रोफा और के सी समारिया शामिलक हैं। अदालत ने तीनों नौकरशाहों पर 50-50 हजार रूपये का जुर्माना भी लगाया है। चूंकि इन नौकरशाहों की सजा चार साल से कम थी, इसलिए अदालत ने उन्हें बाद में जमानत दे दी।            

विशेष न्यायाधीश भरत पराशर ने दोषी ठहराये गये अन्य व्यक्तियों विकास मेटल्स एंड पावर लिमिटेड के प्रबंध निदेशक विकास पाटनी और कंपनी के अधिकृत हस्ताक्षरी आनंद मलिक को चार-चार साल जेल की सजा सुनाई।          

अदालत ने पाटनी पर 25 लाख रूपया और मलिक पर दो लाख रूपये का जुर्माना लगाया। उन्हें जेल भेज दिया गया।  अदालत ने विकास मेटल्स और पावर लिमिटेड कंपनी पर एक लाख रूपये का जुर्माना लगाया।         

यह मामला पश्चिम बंगाल में मोइरा और मधुजोर (उत्तर और दक्षिण) कोयला ब्लॉक वीएमपीएल को आवंटन में कथित अनियमितताओं से संबंधित है। केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने इस मामले में सितंबर 2012 में प्राथमिकी दर्ज की थी।           

सीबीआई ने पांच दोषी ठहराये गये व्यक्तियों के लिए अधिकतम पांच साल की सजा और निजी कंपनी पर भारी जुर्माना लगाने की मांग की थी। इस अपराध में अपराधी ठहराये गये दोषियों को न्यूनतम एक साल और अधिकतम सात साल जेल की सजा हो सकती है।          

अदालत ने 30 नवंबर को कोयला मंत्रालय के पूर्व संयुक्त सचिव क्रोफा और मंत्रालय में तत्कालीन निदेशक (सीए-क्ष्) समारिया के साथ ही कंपनी, पाटनी और मलिक को भी दोषी ठहराया था।         

31 दिसंबर 2005 से नवंबर 2008 तक कोयला सचिव रहने वाले गुप्ता को पहले ही कोयला ब्लॉक आवंटन के दो अन्य मामलों में दोषी ठहराया गया था। इन मामलों में उन्हें क्रमश: दो और तीन साल जेल की सजा सुनाई गई थी। वह दोनों मामलों में जमानत पर हैं।          

कोयला मंत्रालय में तत्कालीन संयुक्त सचिव क्रोफा दिसंबर 2017 में मेघालय के मुख्य सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुये। उन्हें भी दोषी ठहराया गया और अन्य कोयला ब्लॉक आवंटन में दो साल जेल की सजा सुनाई गई थी और वह जमानत पर हैं।          

समारिया कोयला मंत्रालय में तत्कालीन निदेशक और अल्पसंख्यक मंत्रालय में संयुक्त सचिव थे। उन्हें पहले भी एक अन्य मामले मे दोषी ठहराया जा चुका है और इसमें दो साल की सजा हुयी थी। इस समय वह जमानत पर हैं।          

आदेश सुनाये जाने के बाद अदालत के निर्देश पर सभी अभियुक्तों को न्यायिक हिरासत में ले लिया गया। भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम और धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और आपराधिक र्दुव्‍यवहार सहित भारतीय दंड संहिता के तहत अपराध के लिए सभी को दोषी पाया गया।          

अभियोजन पक्ष ने कहा था कि कोयला ब्लॉक आंवटन घोटाला में कथित अनियमितताओं के 12 मामलों में गुप्ता आरोपी हैं।          

सीबीआई ने सप्रंग-एक और सप्रंग दो शासनकाल के दौरान कोयला ब्लॉक आवंटन के 40 मामलों में कथित अनियमतिताओं के सिलसिले में आरोपपत्र दायर किया था।

उच्चतम न्यायालय ने 25 जुलाई 2014 को सभी कोयला घोटाले मामलों के सिलसिले में विशेष रूप से निपटने के लिए विशेष न्यायाधीश के रूप में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पराशर की नियुक्ति की मंजूरी दे दी थी।          

विशेष अदालत ने अब तक छह ऐसे मामलों पर निर्णय दिया है।          

वर्तमान मामले में अदालत ने 19 अगस्त 2016 को गुप्ता, दो लोक सेवकों, कंपनी और इसके दो अधिकारियों के खिलाफ धोखाधड़ी और आपराधि साजिश सहित आरोप तय किया था। इन सभी ने खुद को निदरेष बताया था और सुनवाई की मांग की थी। सभी आरोपी जमानत पर थे।          

दो अन्य कोयला घोटाला मामले, जिसमें गुप्ता को पूर्व में दोषी ठहराया गया था, वह कमल स्पॉन्ज स्टील एंड पावर लिमिटेड (केएसएसपीएल)और विनी आयरन एंड स्टील उद्योग लिमिटेड (वीआईएसयूएल) से संबंधित थी। केएसएसपीएल मामले में क्रोफा और समारिया भी दोषी ठहराये गये थे।

 

भाषा
नई दिल्ली


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