आम्रपाली ने 200 कंपनियां बना की हेराफेरी

Last Updated 01 Nov 2018 06:54:26 AM IST

आम्रपाली समूह के कारनामों ने सुप्रीम कोर्ट को भी हैरत में डाल दिया है। फोरेंसिक आडिटर्स ने कहा है कि आम्रपाली ने 200 से अधिक कंपनियां बनाकर भारी हेराफेरी की।


आम्रपाली ने 200 कंपनियां बना की हेराफेरी

इस बात की प्रबल संभावना है कि आम्रपाली निर्माण कार्य के अलावा अन्य अवांछनीय गतिविधियों में लिप्त है।
 जस्टिस अरुण मिश्रा और उदय उमेश ललित की बेंच ने कहा कि फोरेंसिक आडिटर्स की जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। ऐसे तथ्य जिनका जिक्र हम अदालत में नहीं कर सकते। लेखा परीक्षकों ने अदालत को बताया कि आम्रपाली के निदेशक, सीए और सीएफओ पूरी जानकारी नहीं दे रहे हैं। उन्होंने अपनी जांच में जो सबूत जुटाए हैं, उससे पता चलता है कि 200 से अधिक कंपनियां सृजित की गई हैं। इन फर्जी कंपनियों के जरिए मोटी रकम इधर से उधर की गई। भारी रकम बहुराष्ट्रीय वित्तीय कंपनी जेपी मोर्गन में मरिशस तथा सिंगापुर होकर भेजी गई।
 अदालत में मौजूद फोरेंसिक आडिटर पवन अग्रवाल को सुनने के बाद बेंच ने टिप्पणी कि आम्रपाली भवन निर्माण में कार्यरत था या उसका कोई और धंधा भी है। लेखा परीक्षक ने कहा कि अभी तक की जांच से पता चलता है कि मकान खरीदारों से प्राप्त अथाह रकम को ठिकाने लगाने के लिए रकम देश से बाहर भेजी गई। अदालत ने कहा कि करोड़ों रुपए की हेराफेरी से धन शोधन की बू आती है। लगता है कि आम्रपाली समूह धन शोधन के धंधे में लिप्त था।

 सीएफओ चंद्र वधवा को 43 लाख रुपए मूल्य की बीएमडब्लू कार उपहार में देने की बात पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीएफओ अदालत में हकीकत बयां नहीं कर रहा है। कोर्ट में मौजूद वधवा से सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि बीएमडब्लू भेंट में मिलने की बात उसने पहले क्यों नहीं बताई। इस पर वधवा ने कहा कि हलफनामे में उसने यह बात कही है। आम्रपाली ने उसकी सेवाओं से खुश होकर उसे कार भेंट की थी। कंपनी ने वधवा का दो करोड़ रुपए का निजी आयकर भी भरा था।
 सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीए और सीएफओ ने पेशेवर मानदंडों को तिलांजलि देकर कंपनी के निदेशकों से सांठगांठ की। जनसाधारण सीए पर यकीन करता है कि वह लेखा परीक्षण के जरिए नाजायज लेनदेन को पकड़ लेगा। लेकिन यहां तो सीए और सीएफओ गर्दन तक आकंठ भ्रष्टटाचार में डूबे हुए थे।  बेंच ने कहा कि यदि सीए और सीएफओ ने सच्चाई बयां नहीं की तो उनके पास उन्हें पुलिस या ईडी को सौंपने के अलावा और कोई विकल्प नहीं होगा। फोरेंसिक अडिटर्स को अभी तक कम्प्यूटर नहीं सौंपे गए हैं। जो कम्प्यूटर दिए गए हैं, उनके पार्सवड नहीं बताए गए हैं। सीए अनिल मित्तल ने अदालत को बताया कि उसे 50 से 60 करोड़ रुपए कंपनी से मिले। इस पर बेंच ने कहा कि यदि  यह रकम 500-600 करोड़ निकली तो परिणाम घातक होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों से कहा कि वह अपनी महंगी कारों की सूची में सौंपे।

विवेक वार्ष्णेय/सहारा न्यूज ब्यूरो


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