बफर स्टॉक से 5.5 लाख टन दाल का आबंटन करेगी सरकार

Last Updated 04 Oct 2017 07:58:43 PM IST

खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने आज कहा कि केन्द्र सरकार पांच राज्यों को तथा मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम जैसे केन्द्रीय कल्याणकारी योजनाओं के लिए सस्ते दर पर तत्काल करीब 5.5 लाख टन दाल उपलब्ध कराएगी.


खाद्य मंत्री रामविलास पासवान (फाइल फोटो)

पिछले वर्ष सरकार ने किसानों को बेहतर मूल्य सुनिश्चित करने तथा मूल्य वृद्धि के समय में आपूर्ति करने के लिए दलहन का बफर स्टॉक निर्मित करने का फैसला किया था. इस प्रकार, स्थानीय खरीद और आयात के जरिये करीब 20 लाख टन का बफर स्टॉक तैयार किया गया था.

पासवान ने संवाददाताओं से कहा,   हमारे पास गोदाम में अब भी 18 लाख टन का बफर स्टॉक है. हमने कुछ मात्रा का आवंटन राज्यों को करने और कल्याणकारी योजनाओं में इस्तेमाल करने का फैसला किया है.  उन्होंने कहा कि करीब 3.5 लाख टन दलहन पांच राज्यों . कर्नाटक, गुजरात, तमिलनाडु, आंध प्रदेश और तेलंगाना को सस्ती दरों पर दी जाएगी.

पासवान ने कहा कि मध्यान्ह भोजन जैसे विभिन्न केन्द्रीय कल्याणकारी योजनाओं के तहत खपत के लिए करीब दो लाख टन दलहन दिया जायेगा जिसके लिए जल्द ही मंत्रिमंडल की मंजूरी ली जायेगी.

राम विलास  पासवान ने इस बात का भी उल्लेख किया कि नीलामी के मार्ग के जरिये पहले ही दलहन की कुछ मात्रा खुले बाजार में बेची जा रही है.

अभी तक करीब दो लाख टन दाल की बिक्री नीलामी के जरिये की जा चुकी है लेकिन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार उसका लक्ष्य चार लाख टन दलहन का निपटान करने का है.

पासवान ने कहा कि नीलामी के रास्ते के अलावा दलहन की पर्याप्त मात्रा को तत्काल बेच दिया जायेगा और इसके कारण बफर स्टॉक का बोझ कुछ कम होगा.



उपभोक्ता मामलों के सचिव अविनाश श्रीवास्तव ने अलग से पीटीआई भाषा को बताया, अगर कम से कम 10 लाख टन दलहन हमारे स्टॉक से निकल जाता है तो हम बाकी 10 लाख टन का आसानी से प्रबंधन कर सकेंगे. हम पहले के भंडार को पहले निपटायेंगे. 

उल्लेखानीय है कि पिछले वर्ष सरकार ने स्थानीय आपूर्ति बढ़ाने और फुटकर कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए शुरू में बाजार दर पर दलहनों की खरीद की लेकिन जब भारी मात्रा में फसल हुई और कीमतें टूट गई तो सरकार ने समर्थन मूल्य पर इसे खरीदना शुरू किया. मौजूदा समय में ज्यादातर दाल की कीमतें खुदरा बाजार में अभी भी कम हैं.

फसल वर्ष 2016-17 (जुलाई से जून) में रिकॉर्ड दो करोड़ 29.5 लाख टन दलहन का उत्पादन हुआ. इसका कारण मानसून का अच्छा रहना और समर्थन मूल्य का अधिक होना था.

भाषा


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