आरबीआई ने रेपो रेट यथावत रखी, सस्ते कर्ज के लिए अभी करना होगा इंतजार

Last Updated 04 Oct 2017 03:10:24 PM IST

सरकार और उद्योग जगत की उम्मीदों को झटका देते हुये रिजर्व बैंक ने आज नीतिगत दर में कोई बदलाव नहीं किया. हालांकि, केन्द्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिये आर्थिक वृद्धि के अनुमान को घटाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया.


फाइल फोटो

रिजर्व बैंक ने वैश्विक स्तर पर हो रहे घटनाक्रमों एवं घरेलू स्तर पर आगे महंगाई बढ़ने के जोखिम को ध्यान में रखते हुये नीतिगत दरों को यथावत बनाये रखा है जिससे घर और कार आदि के लिए सस्ते ऋण की उम्मीद लगाये लोगों को अभी इसके लिए इंतजार करना होगा.

रेपो दर वह दर होती है, जिस पर आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों को अल्पावधि के लिए उधारी देता है. छह सदस्यीय एमपीसी में तीन सदस्य सरकार के और तीन आरबीआई के होते हैं.

रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने दो दिवसीय बैठक के बाद बहुमत के आधार पर नीतिगत दरों को यथावत बनाये रखने का निर्णय लिया है. समिति के छह में से पांच सदस्यों ने नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं करने के पक्ष में मतदान किया जबकि एक सदस्य डा रवीन्द्र एच ढोलकिया ने इन दरों में एक चौथाई फीसदी की कमी किये जाने का समर्थन किया.

समिति के निर्णय के बाद रेपो दर 6.0 प्रतिशत, रिवर्स रेपो दर 5.75 प्रतिशत, बैंक दर 6.25 प्रतिशत, मार्जिनल स्टैंडिंग फैसेलिटी दर 6.25 प्रतिशत, नकद आरक्षित अनुपात 4.0 प्रतिशत और वैधानिक तरलता अनुपात 20.0 प्रतिशत पर यथावत है.

बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया है कि समिति ने उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई को चार प्रतिशत के दायरे में रखने के लक्ष्य से यह निर्णय लिया है. इसमें कहा गया है कि जुलाई और अगस्त में महंगाई में लगातार तेज बढोतरी हुयी है जिससे यह पांच महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है.

बयान में कहा गया है कि जून में खाद्य महंगाई में नरमी आयी थी लेकिन इसके बाद से इसमें तेजी आने लगी है. इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में आ रही तेजी से आने वाले दिनों में महंगाई और बढ़ सकती है.



बयान में कहा गया है कि शुरूआत में मानसून ठीक रहा था लेकिन बाद में यह मंद पड़ने लगा और इसका असर खरीफ फसलों के पैदावार हो सकता है. इसकी वजह से महंगाई प्रभावित हो सकती है. केन्द्रीय कर्मचारियों के लिए सातवें वेतन आयोगी की सिफारिशों के अनुसार आवास भत्ता दिये जाने का भी असर महंगाई पर हो सकता है.

अगस्त में भी समिति ने महंगाई बढ़ने की आशंका जतायी थी. इसके साथ ही राज्यों के किसानों के ऋण माफ करने से  से भी कीमतों पर दबाव बन सकता है. समिति का कहना है कि कुल मिलाकर डेढ से दो वर्ष में महंगाई में एक फीसदी की बढोतरी  हो सकती है.

रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा की मुख्य बातें

  • मुंबई, चार अक्तूबर (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक की चालू वित्त वर्ष 2017-18 की चौथी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा की मुख्य बातें इस प्रकार हैं.
  • प्रमुख नीतिगत दर को छह प्रतिशत पर यथावत रखा गया.
  • रिवर्स रेपो दर 5.75 प्रतिशत पर अपरिवर्तित.
  • 2017-18 के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 7.3 प्रतिशत से घटकर 6.7 प्रतिशत किया.
  • दूसरी छमाही में मुद्रास्फीति 4.2 से 4.6 प्रतिशत रहने का अनुमान.
  • जीएसटी क्रि यान्वयन की वजह से लघु अवधि में विनिर्माण क्षेत्र की संभावनाएं अनिश्चित.
  • मुख्य मुद्रास्फीति को टिकाऊ आधार पर चार प्रतिशत के करीब रखने का लक्ष्य.
  • केंद्रीय बैंक बैंकों के बही खाते से कंपनियों की दबाव वाली संपत्तियों के हल के लिए काम करेगा.
  • हालिया संरचनात्मक सुधारों से कारोबारी धारणा, पारदर्शिता और अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाने को लेकर स्थिति सुधरी.
  • केंद्रीय बैंक ने ठहरी निवेश परियोजनाओं को शुरू करने, कारोबार सुगमता में सुधार और जीएसटी सरलीकरण के लिये समन्वित प्रयासों पर बल दिया.
  • राज्यों द्वारा वसूले जाने वाले काफी ऊंचे स्टाम्प शुल्क की दरों को तर्कसंगत बनाने का सुझाव.  सस्ते आवास कार्यक्र मों को तेजी से आगे बढ़ाने पर बल.
  • मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक 5-6 दिसंबर को.

 

 

भाषा/वार्ता


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment