पैसा होते हुए भी नोटबंदी ने बना दिया भिखारी, आरबीआई के सामने सुबह चार बजे से ही लग जाते हैं कतार में

Last Updated 24 Mar 2017 10:02:10 AM IST

आरबीआई के बाहर का नजारा इन दिनों मेले जैसा है. इस मेले में किसी को खुशी मिल रही है तो बहुतों को निराशा. नोट बदलवाने के लिए लोग सुबह से कतारों में खड़े हो जाते हैं.


आरबीआई के गेट के बाहर परेशान हाल एनआरआई

दोपहर होते-होते किसी का नंबर आता है तो अधिकतर लोगों को बैरंग ही वापस लौटना पड़ता है. कई लोग तो ऐसे हैं, जो तीन दिनों से अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं तो कुछ ऐसे हैं, जो अपनी रातें रेलवे स्टेशनों पर और दिन आरबीआई के बाहर कतारों में बिता रहे हैं.  कतारों में खड़े लोगों की आपबीती बता रहे हैं ‘राष्ट्रीय सहारा’ संवाददाता अमित कुमार. पेश है बातचीत के अंश :-

बीकानेर निवासी नरेश सेठी सुबह सात बजे से ही पत्नी के साथ आरबीआई के बाहर मुद्रा बदलवाने के लिए खड़े थे. जब उनका नंबर आया तो पता चला कि समय खत्म हो गया है. उन्होंने कहा कि सरकार को एनआरआई का सम्मान तो करना चाहिए.

गाजियाबाद निवासी शशि जैन अपने ससुर अभय जैन के साथ महज चार हजार रुपए बदलवाने के लिए सुबह 10 बजे से धूप में खड़ी हैं. हम लोग यहां पर इस तरह कतार में खड़े हैं
जैसे कोई भिखारी घर के बाहर भीख के लिए खड़ा होता है.

66 वर्षीय बलदेव सिंह सुबह सात बजे से ही कतार में इस आस से खड़े थे कि आज उनकी मुद्रा बदल दी जाएगी, लेकिन जैसे ही उनका नंबर आया तो पता चला कि आज का समय
समाप्त हो गया. यह सुनते ही उनका पारा आसमान पर चढ़ गया और सुरक्षाकर्मी से भिड़ गए.

नैनीताल से आई सरला बृहस्पतिवार दूसरे दिन भी अपना पैसा नहीं बदलवा पाई. बताया गया कि सुबह टोकन बांटा गया था, लेकिन वह सात बजे आई थी जब आरबीआई का गेट भी
नहीं खुला था. फिर कौन और कब आकर टोकन बांट गया, कुछ पता नहीं चला.



नैनीताल से आई 76 वर्षीय प्रभा को दूसरे दिन भी निराशा हाथ लगी. वह लंदन से आई हैं. वह नोटबंदी को गलत नहीं बता रही हैं, लेकिन सिस्टम खराब है. इस वजह से लोग
परेशान हो रहे हैं.

सियालकोट से आए संतोष सिंह का 30 हजार रुपया बृहस्पतिवार को तीसरे दिन भी नहीं बदला जा सका. वह पूरे दिन कतार में लगते हैं, जबकि रात प्लेटफॉर्म पर गुजारने को मजबूर
हैं.

गुड़गांव निवासी ईनामदार न्यूयार्क से पुराने नोट बदलवाने के लिए बृहस्पतिवार को यहां तीसरी बार आए हैं. मंगलवार को सुबह 10 बजे आए थे, बुधवार को सुबह नौ बजे और गुरूवार
आठ बजे आरबीआई के बाहर लगी कतार में खड़े हो गए, फिर भी उनका नंबर नहीं आया.

लंदन से आई एलेन कस्टम विभाग और आरबीआई के बर्ताव से खासी नाराज हैं. वह कहती हैं कि यह एक सर्कस का नजारा है, जहां हमें बंदर बना दिया गया है. हमें गुमराह किया जा रहा है. एयरपोर्ट पर कस्टम ने कहा कि रेड चैनल से आएं. आरबीआई आने पर बताया गया कि ग्रीन चैनल से आएं. मेरा जन्म अफ्रीका में हुआ है और मैं लंदन से आई हूं इसलिए यहां बताया गया कि आपका पैसा बदला नहीं जाएगा. अब मेरे पास पांच लाख भारतीय मुद्रा है, जो इस समय मेरे लिए एक पैसे की नहीं है.

 अपना पैसा होते हुए भी मैं यहां एक-एक पैसे के लिए मोहताज हूं. मुझे आपके सामने ही दूसरे लोग चाय पिला रहे हैं और खाना खिला रहे हैं. एलेन ने कहा कि मोदी ने भ्रष्टाचार मिटाने के लिए भले ही बेहतर कदम उठाया हो, लेकिन मैंने लंदन में रहने वाले मित्रों और वहां की मीडिया को मेल के माध्यम से कहा है कि वहां के लोग इस समय भारत न आएं. एलेन ने कहा कि जो मैंने भोगा है, दोबारा भारत आने के बारे में नहीं सोचूंगी.

 

एसएनबी


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