चंद्रशेखरन ने रतन टाटा का लिया स्थान, कहा- टाटा समूह किसी के पीछे नहीं बल्कि सबसे आगे होगा
वर्षों से टाटा समूह से जुड़े एन चंद्रशेखर ने मंगलवार को समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस के चेयरमैन का कार्यभार संभाल लिया.
एन चंद्रशेखरन बने नए टाटा बॉस (फाइल फोटो) |
कार्यभार संभालने के बाद उन्होंने कहा कि वह समूह को सभी कारोबारी क्षेत्रों में सबसे आगे रखेंगे.
चंद्रशेखरन ने 79 वर्षीय रतन टाटा का स्थान लिया है. पिछले साल 24 अक्तूबर को समूह के तत्कालीन चेयरमैन साइरस मिस्त्री को अचानक पद से हटाये जाने के बाद रतन टाटा को फिर से टाटा संस की कमान संभालनी पड़ी थी.
टाटा समूह के मुख्यालय ‘बांबे हाउस’ के बाहर संवाददाताओं से बात करते हुये चंद्रशेखरन ने कहा, ‘हम मिलकर अपने कारोबार के सभी क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन करने के लिये काम करेंगे, हम सबसे आगे होंगे .. किसी का अनुसरण नहीं करेंगे.’
चंद्रशेखर ने नमक से लेकर साफ्टवेयर क्षेत्र में कार्यरत 103 अरब डालर के टाटा समूह के चेयरमैन का कार्यभार संभालने के मौके पर उपस्थित संवाददाताओं से कहा,
‘यह जिम्मेदारी संभालना मेरे लिये सौभाग्य और सम्मान की बात है .. मैं अपनी इस नई भूमिका में आने वाले वषोर्ं में समूह की सेवा के लिये तैयार हूं, इसके लिये मैं सभी का समर्थन चाहता हूं ताकि हम सभी मिलकर काम कर सकें.’
सूत्रों ने बताया कि टाटा संस के नये चेयरमैन ने अपना काम शुरू करते हुये बांबे हाउस में टाटा संस निदेशक मंडल की बैठक की अध्यक्षता की.
चंद्रशेखरन तीन दशक से टीसीएस से जुड़े हैं. इस दौरान उन्होंने टीसीएस को देश की सबसे बड़ी सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी बनाने में काफी योगदान किया. उनके नेतृत्व में टीसीएस
समूह की सबसे बेशकीमती कंपनी बन गई.
चंद्रशेखरन (53 वर्ष) मंगलवार को सुबह सवा नौ बजे टाटा संस के मुख्यालय पहुंचे और कुछ ही मिनटों में रतन टाटा और निदेशक मंडल के अन्य सदस्य भी वहां पहुंच गये.
चंद्रशेखरन ने इससे पहले कल टीसीएस के निदेशक मंडल की अध्यक्षता की जिसमें उन्होंने किसी कंपनी द्वारा अपने शेयरों की 16,000 करोड़ रपये की सबसे बड़ी पुनर्खरीद योजना की
घोषणा की.
चंद्रशेखरन समूह के ऐसे पहले चेयरमैन हैं जो टाटा-परिवार से नहीं जुड़े हैं.
चंद्रशेखरन ने ऐसे समय में टाटा संस के चेयरमैन का कार्यभार संभाला है जब समूह में साइरस मिस्त्री को चेयरमैन पद से अचानक हटाये जाने के बाद वाद-विवाद का दौर चल रहा है. मिस्त्री ने समूह की कार्यप्रणाली और रतन टाटा के खिलाफ कई तरह के आरोप लगाये हैं. हालांकि, टाटा ने सभी आरोपों को खारिज किया है.
रतन टाटा के अंतरिम चेयरमैन रहते साइरस मिस्त्री को समूह की विभिन्न कंपनियों के निदेशक मंडल से और अंत में समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस के निदेशक मंडल से भी हटा दिया गया.
उद्योग जगत के पारखी लोगों के मुताबिक टाटा समूह का काफी कुछ दारोमदार टीसीएस और ब्रिटेन की अधिग्रहित वाहन निर्माता कंपनी जेएलआर पर निर्भर है. टाटा समूह की अन्य कंपनियां जैसे कि टाटा स्टील, टाटा मोटर्स और होटल श्रंखला का कारोबार संबंधित क्षेत्रों में उस स्तर पर नहीं हैं.
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