आरबीआई ने किया क्रेडिट पॉलिसी का एलान, नहीं घटाई रेपो दर, अब कम नहीं होगी EMI

Last Updated 07 Dec 2016 02:47:44 PM IST

बाजार की उम्मीदों के विपरीत भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को नीतिगत दरों में कोई कमी नहीं की और उन्हें जस का तस बनाए रखा. आरबीआई की मौद्रिक समीक्षा की मुख्य बातें...


फाइल फोटो

बाजार विश्लेषकों ने कहा था कि रिजर्व बैंक बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति मंगलवार और बुधवार चली अपनी दो दिन की बैठक में अपनी फौरी ब्याज दर रेपो में कम से कम 0.25 प्रतिशत की कमी कर सकती है ताकि आर्थिक वृद्धि को बढावा दिया जा सके.
  
नोटबंदी से प्रभावित माहौल में केन्द्रीय बैंक ने हालांकि चालू वित्त वर्ष के लिये आर्थिक वृद्धि का अनुमान पहले के 7.6 प्रतिशत से घटाकर 7.1 प्रतिशत कर दिया.
  
मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद गवर्नर पटेल ने नीतिगत दर को 6.25 प्रतिशत पर स्थिर रखे जाने का फैसला सुनाया. आठ नवंबर को 500 और 1,000 रूपये के पुराने नोट अमान्य किये जाने के बाद यह समिति की पहली तथा कुल मिला कर दूसरी समीक्षा बैठक थी.
   
इससे पहले समिति ने अक्तूबर में मुख्य नीतिगत ब्याज दर रेपो में 0.25 प्रतिशत कटौती कर इसे 6.25 प्रतिशत कर दिया था. रेपो दर वह दर है जिस पर आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों को नकदी की तात्कालिकि जरूरत के लिए धन उधार देता है.
   
मौजूदा हालात में जब नोटबंदी की वजह से कारोबारी गतिविधियों पर असर पड़ा है उद्योग और आर्थिक विशेषज्ञ यह मान रहे थे कि केन्द्रीय बैंक नीतिगत दर में एक और कटौती कर सकता है.

केन्द्रीय बैंक ने माना है कि नोटबंदी की वजह से खुदरा कारोबार, रेस्त्रां और परिवहन जैसे क्षेत्रों में जहां नकदी में अधिक लेनदेन होता है कुछ समय के लिये गतिविधियां प्रभावित हो सकतीं हैं.

रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में मुद्रास्फीति के 5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है. हालांकि, इसमें वृद्धि का जोखिम भी बताया गया है फिर भी यह अक्तूबर की मौद्रिक नीति समीक्षा से कम रहेगी.


  
केन्द्रीय बैंक ने कहा है कि सातवें वेतन आयोग के तहत आवास भत्ते के पूरे प्रभाव का आकलन अभी तक नहीं हो पाया है, इसके क्रियान्वयन के बाद ही इसका पता चल पायेगा इसलिये मुद्रास्फीति में इसके असर को शामिल नहीं किया गया है.
  
नोटबंदी के बारे में मौद्रिक समीक्षा में कहा गया है कि पुराने उच्चमूल्य वर्ग के नोटों को चलन से वापस लिये जाने से वेतन भुगतान और कच्चे माल की खरीद में देरी की वजह से नवंबर-दिसंबर में औद्योगिक गतिविधियों के कुछ हिस्से पर असर पड़ सकता है. इसका पूरा आकलन करना अभी बाकी है.
  
इसमें कहा गया है, ‘‘नोटबंदी की वजह से सेवा क्षेत्र में निर्माण, व्यापार, परिवहन, होटल और दूरसंचार कारोबार कुछ समय के लिये असर पड़ने की वजह से परिदृश्य मिला जुला रहा है. लेकिन सातवें वेतन आयोग के लागू होने और एक रैंक एक पेंशन के लागू होने से लोक प्रशासन, रक्षा और अन्य सेवाओं के क्षेत्र में गतिविधियां अच्छी बनीं रहेंगी.
  
केन्द्रीय बैंक ने कहा है कि पुराने 14.5 लाख करोड़ रूपये के नोटों में से 12 लाख करोड़ रूपये वापस बैंकिंग तंत्र में लौट चुके हैं.
  
रिजर्व बैंक ने 10 दिसंबर से नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) की 100 प्रतिशत दर को भी हटा लिया है. इस कदम से बैंक अब अपने पास अधिक राशि रख सकेंगे.

रिजर्व बैंक की 2016-17 की पांचवीं द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा की मुख्य बातें इस प्रकार हैं..

  • रेपो दर 6.25 प्रतिशत पर कायम, रिवर्स रेपो दर 5.75 प्रतिशत पर
  • नकद आरक्षित अनुपात या सीआरआर 4 प्रतिशत पर बरकरार
  • वित्त वर्ष के लिए वृद्धि दर के अनुमान को 7.6 प्रतिशत से घटाकर 7.1 प्रतिशत किया
  • मार्च, 2015 के लिए मुद्रास्फीति का लक्ष्य 5 प्रतिशत पर कायम, ऊपर जाने का जोखिम
  • नोटबंदी से जल्द खराब होने वाले उत्पादों के दाम घटेंगे, दिसंबर तक मुद्रास्फीति 0.10 से 0.15 प्रतिशत तक घटेगी
  • एमपीसी के सभी सदस्यों ने यथास्थिति कायम रखने के पक्ष में मत दिया
  • नोटबंदी से नकदी आधारित क्षेत्रों में कुछ समय के लिए अड़चन आएगी
  • कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव, वित्तीय बाजार में संकट से मार्च अंत का मुद्रास्फीति का लक्ष्य जोखिम में पड़ सकता है
  • दो दिसंबर को विदेशी मुद्रा भंडार 364 अरब डालर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर
  • रिजर्व बैंक ने इस वित्त वर्ष में ओएमओ खरीद के जरिये 1.1 लाख करोड़ रपये की तरलता डाली
  • अगली मौद्रिक समीक्षा 8 फरवरी, 2017 को.
     

 

भाषा


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