मिस्त्री ने निकाली भड़ास, कहा- चेयरमैन के रूप में उन्हें निरीह बनाया गया, समूह में बन गए थे कई वैकल्पिक शक्ति केंद्र

Last Updated 27 Oct 2016 09:39:58 AM IST

टाटा उद्योग समूह के चेयरमैन पद से अचानक हटाए जाने से आहत साइरस मिस्त्री ने रतन टाटा के खिलाफ कई आरोप लगाए हैं.


फाइल फोटो

उन्होंने कहा है कि कंपनी में उन्हें ‘एक निरीह चेयरमैन’ की स्थिति में ढकेल दिया गया था. निर्णय प्रक्रि या में बदलाव से समूह में कई वैकल्पिक शक्ति केंद्र बन गए थे.

टाटा संस के निदेशक मंडल के सदस्यों को लिखे एक गोपनीय व विस्फोटक ईमेल में उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें अपनी बात रखने का कोई मौका दिए बिना ही भारत के सबसे बड़े औद्योगिक समूह के चेयरमैन पद से हटाया गया.

मिस्त्री का कहना है कि उनके खिलाफ यह कार्रवाई ‘चटपट अंदाज’ में की गई. उन्हेंने इसे कारपोरेट जगत के इतिहास की अनूठी घटना बताया.

मिस्त्री ने 25 अक्टूबर को लिखे ई-मेल में कहा, ‘24 अक्टूबर, 2016 को निदेशक मंडल की बैठक में जो कुछ हुआ, वह हतप्रभ करने वाला था और उससे मैं अवाक रह गया. वहां की कार्रवाई के अवैध और कानून के विपरीत बताते हुए कहा कि इससे बोर्ड की प्रतिष्ठा घटी है.’



मीडिया को बुधवार को जारी इस ई-मेल में उन्होंने लिखा है, ‘अपने चेयरमैन को बिना स्पष्टीकरण और स्वयं के बचाव के लिए कोई अवसर दिए बिना चटपट कार्रवाई में हटाना कारपोरेट इतिहास में अनूठा मामला है.’

टाटा से कटु संबंध
टाटा और अपने बीच बेहतर संबंध नहीं होने का स्पष्ट संकेत देते हुए उन्होंने अपने ईमेल में रतन टाटा द्वारा शुरू की गई घाटे वाली नैनो कार परियोजना का मुद्दा भी उठाया है. उन्होंने कहा कि इसे भावनात्मक कारणों से बंद नहीं किया जा सका. इसे बंद करने से बिजली की कार बनाने वाली एक इकाई को ‘सूक्ष्म ग्लाइडर’ की

आपूर्ति बंद हो जाती. 

कई बार मजबूर किया
मिस्त्री ने कहा कि यह रतन टाटा ही थे जिन्होंने समूह को विमानन क्षेत्र में कदम रखने को मजबूर किया था और उनके लिए एयर एशिया तथा सिंगापुर एयरलाइंस के साथ हाथ मिलाना एक औपचारिकता मात्र बची थी. उन्होंने कहा है कि समूह को नागर विमानन क्षेत्र में उतरने के लिए पहले की योजनाओं से कही अधिक पूंजी डालनी पड़ी.

आगाह किया
उन्होंने टाटा को आगाह किया है कि उन्होंने समूह की घाटे वाली जिन पांच कंपनियों की पहचान की है उनकी वजह से नमक से लेकर साफ्टवेयर बनाने वाले टाटा समूह की संपत्तियों पर 1.18 लाख करोड़ रुपए का बट्टा लग सकता है. उन्हें ये पांच नुकसान वाली कंपनियां विरासत में मिली थीं.

 

भाषा


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