टाटा संस ने साइरस मिस्त्री को हटाया, रतन टाटा अंतरिम अध्यक्ष

Last Updated 24 Oct 2016 07:29:05 PM IST

एक चौंकाने वाले घटनाक्रम में सोमवार को टाटा संस बोर्ड ने साइप्रस पी मिस्त्री को कंपनी के अध्यक्ष पद से हटा दिया.


साइरस मिस्त्री के साथ रतन टाटा
 
रतन एन टाटा को कंपनी का अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया है. 
 
कंपनी के बयान के मुताबिक, यह फैसला सोमवार को मुंबई में बोर्ड की एक बैठक के दौरान लिया गया. चार महीने के अंदर अगले अध्यक्ष का चयन करने के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है.
 
बयान के मुताबिक, "टाटा संस के आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन ऑफ टाटा संस के मुताबिक कमेटी में रतन एन टाटा, वेनु श्रीनिवासन, अमित चंद्रा, रोनेन सेन तथा लॉर्ड कुमार भट्टाचार्य शामिल हैं. कमेटी को चार महीने के अंदर अध्यक्ष का चयन अनिवार्य रूप से कर लेना है."
 
कंपनी ने हालांकि अध्यक्ष को हटाने के कारणों के बारे में कुछ नहीं कहा है.
 
आयरलैंड में जन्मे साइरस मिस्त्री (48) दिसंबर 2012 में टाटा संस के अध्यक्ष बने थे.
 
मिस्त्री को वर्ष 2011 में कंपनी में चेयरमैन रतन टाटा का उत्तराधिकारी चुना गया था और उन्हें पहले डिप्टी चेयरमैन बनाया गया. टाटा संस के चेयरमैन पर मिस्त्री का चुनाव पांच सदस्यीय एक समिति ने किया था. मिस्त्री ने रतन टाटा के 75 वर्ष की आयु पूरी करने पर उनकी सेवानिवृत्त के बाद 29 दिसंबर 2012 को चेयरमैन का पद भार संभाला था. 
    
मिस्त्री वर्ष 2006 से कंपनी के निदेशक मंडल में शामिल रहे हैं. कंपनी के सबसे बड़े हिस्सेदार शापूरजी पालोनजी ने कंपनी के चेयरमैन पद के लिए उनके नाम की सिफारिश की थी. 
    
टाटा संस ने मिस्त्री को हटाने का कारण नहीं बताया है. उन्होंने बहुत धूमधड़ाके के साथ कंपनी की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी पर माना जा रहा है कि घाटे में चल रही कंपनियों को छांटने और केवल लाभ देने वाले उपक्रमों पर ही ध्यान देने के उनके दृष्टिकोण से कंपनी में अप्रसन्नता थी. इनमें यूरोप में घटे में चल रहे इस्पात करोबार की बिक्री का मामला भी शामिल है.
    
इसके अलावा कंपनी के दूरंसचार क्षेत्र के संयुक्त उद्यम टाटा डोकोमो में जापानी कंपनी से अलग होने के मामले में भी डोकोमो के साथ कंपनी का एक कानूनी विवाद चल रहा है.
    
टाटा संस टाटा उद्योग घराने की मुख्य धारक कंपनी है. सूत्रों के अनुसार समूह की कारोबारी कंपनियों में मुख्य कार्यकारी स्तर पर कोई बदलाव नहीं किया गया है.
   
समूह की ही एक संगठन पत्रिका को हाल ही में दिए साक्षात्कार में मिस्त्री ने कहा था कि समूह को ‘सही कारणों के चलते लिए गए कड़े निर्णयों से डरना नहीं चाहिए. समूह के कुछ कारोबारों के सामने प्रस्तुत ‘चुनौतीपूर्ण स्थितियों’ के बीच कड़े निर्णय लिए जाने की जरूरत है.’’
    
यह रतन टाटा के समय उठाए गए कदमों के विपरीत है. उनके समय में वर्ष 2000 में टाटा टी ने 45 करोड़ डॉलर में टेटली, 2007 में टाटा स्टील ने 8.1 अरब डॉलर में स्टील निर्माता कोरस और 2008 में टाटा मोटर्स ने 2.3 अरब डॉलर में जगुआर लैंड रोवर का अधिग्रहण किया था.
    
वर्ष 1991 में कंपनी का कारोबार 10,000 करोड़ रुपये था जबकि टाटा के कार्यकाल के दौरान 2011-12 में समूह की आय बढ़कर 100.09 अरब डॉलर (करीब 4,75,721 करोड़ रुपये) हो गयी.
    
मिस्त्री का जन्म चार जुलाई 1968 को हुआ था और उन्होंने लंदन के इंपीरियल कॉलेज ऑफ साइंस, टेक्नोलॉजी एंड मेडिसन से सिविल इंजीयिरिंग में स्नातक किया. बाद में उन्होंने लंदन बिजनेस स्कूल से प्रबंधन में परास्नातक किया.
   
टाटा समूह की स्थापना जमशेदजी टाटा ने 1868 में की थी. आज यह एक वैश्विक कारोबारी समूह बन गया है और इसका मुख्यालय मुंबई में है. इसके तहत 100 से अधिक कंपनियां स्वतंत्र रूप से कारोबार कर रही है. वर्ष 2015-16 में इनका कुल कारोबार 103 अरब डालर था और दुनिया भर में इनमें 6.60 लाख से अधिक कर्मचारी काम कर रहे हैं.
   
समूह की 29 कंपनियों के शेयर सूचीबद्ध हैं. 31 मार्च 2016 की स्थिति के अनुसार इनका शेयरों के बाजार मूल्य के हिसाब से कुल बाजार मूल्य 116 अरब डालर था. टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, टाटा पावर, टाटा केमिकल्स, टाटा ग्लोबल बिवरजेज, टाटा टेलीसर्विसेज, टाइटन, टाटा कम्यूनिकेशंस और इंडियन होटल्स इस समूह की कुछ प्रमुख कंपनियां हैं.
 
 
 
 

आईएएनएस-भाषा


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