जीएसटी से बिगड़ सकता है रसोई का बजट
वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) के प्रस्तावित चार स्तरीय ढांचे से आम आदमी प्रभावित हो सकता है.
केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली (फाइल फोटो) |
इस नए कर ढांचे के अमल में आने से आम आदमी की रसोई में काम आने वाले खाद्य तेल, मसाले और चिकन जैसा सामान महंगा हो सकता है.
अप्रत्यक्ष कर के इस ढांचे में दूसरी तरफ कुछ टिकाऊ उपभोक्ता सामान जैसे टेलीविजन, एयर कंडीशनर्स, फ्रि ज और वाशिंग मशीन आदि करों में कमी से सस्ते हो सकते हैं. सरकार एक अप्रैल 2017 से अप्रत्यक्ष कर क्षेत्र की नई व्यवस्था जीएसटी को लागू करना चाहती है.
जीएसटी की सबसे कम दर छह फीसद रखने का प्रस्ताव किया गया है जबकि 12 और 18 फीसद की दो मानक दरें होंगी. इसके अलावा 26 फीसद की एक शीर्ष दर होगी जो कि त्वरित उपभोग वाले सामानों और टिकाऊ उपभोक्ता सामानों पर लागू होगी. कुछ ऐसे उत्पाद जो कि महत्वपूर्ण नहीं हैं और जिनसे प्रदूषण फैलता है इस तरह के उत्पादों पर उपकर भी लग सकता है.
क्या होगा महंगा
चार स्तरीय कर ढांचे का खुदरा मुद्रास्फीति पर असर पड़ने के अनुमान के मुताबिक चिकन और नारियल तेल जैसे उत्पाद जिन पर अब तक चार फीसद की दर से कर लगता है उन पर जीएसटी के तहत छह फीसद की दर से कर लगेगा.रिफाइंड तेल, सरसों तेल और मूंगफली तेल पर भी कर की दर पांच से बढ़कर छह फीसद हो जाएगी. रसोई में काम आने वाले अन्य उत्पादों पर भी छह फीसद की दर से कर लगेगा. इनमें हल्दी और जीरा जैसे उत्पाद हैं जिन पर तीन फीसद की बजाय अब छह फीसद की दर से कर लगेगा. धनिया, काली मिर्च और तिलहन पर पांच फीसद के बजाय छह फीसद की दर से जीएसटी लगेगा.
ये चीजें होंगी सस्ती
टीवी, एयरकंडीशनर, वाशिंग मशीन, इनवर्टर, रेफ्रीजरेटर, बिजली के पंखे और खाना पकाने में काम आने वाले दूसरे सामान सस्ते हो सकते हैं. इन उत्पादों पर जीएसटी लागू होने के बाद कर की दर 29 फीसद से घटकर 26 फीसद हो सकती है. इसी तरह इत्र, सेविंग क्रीम, पाउडर, बालों का तेल, शैंपू, साबुन और प्रसाधन का अन्य सामान भी तीन फीसद सस्ता हो जाएगा.
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