हड़ताल से पहले सरकार ने कामगारों के लिए न्यूनतम मजदूरी बढ़ाई, दिया दो साल का बोनस

Last Updated 30 Aug 2016 07:15:14 PM IST

केंद्र सरकार ने अकुशल गैर-कृषि कामगारों के लिए न्यूनतम मजदूरी 350 रुपये प्रति दिन करने का फैसला किया है जो फिलहाल 246 रुपये है.


वित्त मंत्री अरूण जेटली
यह श्रमिक संगठनों को शांत करने का एक प्रयास है जिन्होंने शुक्रवार को देशव्यापी हड़ताल की चेतावनी दी है.
   
नई दिल्ली में संवाददाताओं से बातचीत वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों को संशोधित नियमों के आधार पर 2014-15 और 2015-16 के लिए बोनस दिया जाएगा. बोनस संशोधन कानून का ‘कड़ाई’ से पालन किया जाएगा.
   
उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार उच्च न्यायालयों तथा उच्चतम न्यायालय में लंबित बोनस भुगतान के लंबित मामलों के निपटान के लिये जरूरी कदम उठाएगी.
   
इस कदम से सालाना 1,920 करोड़ रुपये का वित्तीय बोझ आएगा.   
   
जेटली ने आगे कहा, ‘‘पिछले डेढ़ सरकार में अंतर-मंत्रालयी समिति की केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के साथ बैठक हुई है. श्रमिक संगठनों ने कई मांगे रखी. इसमें कुछ श्रमिक संबंधित तथा कुछ आर्थिक नीति से जुड़े मुद्दे थे. सरकार ने उनकी सिफारिशों के आधार पर कुछ निर्णय किये हैं.’’
    
इस मौके पर बिजली तथा कोयला मंत्री पीयूष गोयल तथा श्रम एवं रोजगार मंत्री बंडारू दत्तात्रेय भी मौजूद थे.
   
जेटली ने कहा कि न्यूनतम मजदूरी नियत करने के तौर-तरीकों को ध्यान में रखकर ‘सी’ श्रेणी के क्षेत्रों के लिये गैर-कृषि क्षेत्र में कार्यरत अकुशल कामगारों हेतु न्यूनतम मजदूरी 350 रुपये प्रतिदिन तय करने का फैसला किया गया है. 
   
न्यूनतम मजदूरी में संशोधन के लिये श्रम मंत्री की अध्यक्षता में न्यूनतम मजदूरी परामर्श बोर्ड की बैठक में विचार-विमर्श के बाद यह फैसला किया गया है. 
    
वित्त मंत्री जेटली ने कहा कि अनुबंध पर काम करने वाले कर्मचारियों तथा उनकी नियुक्ति से संबंधित एजेंसियों के लिये पंजीकरण अनिवार्य है और राज्यों को सलाह दी जाएगी उसे कड़ाई से लागू किया जाए. 
   
उन्होंने आगाह करते हुए कहा कि नियमों का पालन नहीं करने वालों के खिलाफ उपयुक्त कार्रवाई की जाएगी.
   
असंगठित क्षेत्र (यथा आंगनवाड़ी, मध्याह्न भोजन, आशा कार्यकर्ता) में काम करने वालों को सामाजिक सुरक्षा देने के मुद्दे पर एक समिति विचार करेगी और यह यथाशीघ्र अपनी रिपोर्ट देगी.
   
हड़ताल के आह्वान के बारे में पूछे जाने पर जेटली ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि हमारे पास काफी जिम्मेदार ट्रेड यूनियन हैं.’’ 
   
सरकार की एसबीआई के एसोसिएट बैंकों के मूल बैंक में विलय की योजना के बारे में जेटली ने कहा कि, ‘‘विलय का मुद्दा ट्रेड यूनियनों का नहीं है.’’
    
उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘उनकी सेवा शर्तें बिल्कुल भी प्रभावित नहीं होंगी. विलय से किसी भी कर्मचारी की सेवा शर्तों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. अगर सरकार ने निर्णय किया है कि हमें मजबूत बैंक की जरूरत है, तब यूनियनों को पूरे मामले में अपना रूख बदलना होगा.’’
   
दत्तात्रेय ने केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के साथ कई बैठकें की है जहां उनकी मांगों पर विस्तार से चर्चा हुई.
   
दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने दो सितंबर 2016 को देश भर में हड़ताल का आह्वान किया है. श्रमिक संगठन सरकार के श्रम सुधारों के खिलाफ हैं और उनका कहना है कि सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दे रही.
 
 



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment