बैंकों को पूंजी जुटाने के लिये विदेशों में मसाला बॉंड जारी करने की अनुमति
रिजर्व बैंक द्वारा बांड बाजार में सुधार संबंधी गुरूवार को किए गए महत्वपूर्ण निर्णय से बैंकों में पूंजी और नकदी की चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी और इससे देश के बांड बाजार का विस्तार होने की संभावना है.
‘मसाला बॉंड’ जारी करने की अनुमति (फाइल फोटो) |
रेटिंग एजेंसियों ने इसे बैंकों के लिए अच्छा कदम बताया है.
केंद्रीय बैंक ने वाणिज्यिक बंकों को अपना पूंजी आधार मजबूत करने के लिए उन्हें अब विदेशी बाजार में ‘मसाला बॉंड’ जारी करने की अनुमति दी है. मसाला बांड रूपए में अंकित बांड होते हैं.
इसके अलावा अब वह बैंकों को तरलता समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत कंपनियों के बांड के एवज में भी फौरी उधार उपलब्ध कराएगा. एलएएफ के तहत केंद्रीय बैंक रेपो दर पर बैंकों को उनके पास से सरकारी प्रतिभूतियां रख कर एकाध दिन के लिए उधार देता है.
रिजर्व बैंक की जारी विज्ञप्ति के अनुसार, ‘इन उपायों का मकसद बाजार विकास को और गहरा बनाना, भागीदारी का विस्तार और बाजार में तरलता को बढ़ाना है.’
इसमें कहा गया है कि बैंकों को उनकी पूंजी जरूरतों को पूरा करने और सस्ते मकानों तथा ढांचागत परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिये बैंकों को विदेशी बाजारों में रूपये में अंकित बॉंड (मसाला बॉंड) जारी करने की अनुमति दी जा रही है. इससे विदेशों में रूपये के बॉंड बाजार को प्रोत्साहन मिलेगा.
वर्तमान में मसाला बॉंड केवल कंपनियां और गैर-बैंकिंग कंपनियों जैसे कि आवास वित्त कंपनियों और बड़े एनबीएफसी द्वारा ही जारी किये जा सकते हैं.
मसाला बॉंड ऐसा वित्त साधन है जिसके जरिये भारतीय कंपनियां विदेशी बाजारों से पूंजी जुटा सकतीं हैं. इसमें बॉंड जारी करने वाले को यह सुविधा मिलती है कि मुद्रा विनिमय का जोखिम निवेशक पर होता है.
रिजर्व बैंक की विज्ञप्ति के मुताबिक इससे बैंकों को टीयर-एक और टीयर-दो के तहत अतिरिक्त पूंजी प्राप्त होगी. इसमें कहा गया है कि इस प्रकार के विदेशी बाजारों में जारी किये जाने वाले बॉंड ढांचागत परियोजनाओं और सस्ती आवास योजनाओं के वित्तपोषण के लिये भी जारी किये जा सकेंगे.
रेटिंग एजेंसी फिच ने कहा है कि बैंकों को मसाला बॉंड जारी करने की अनुमति देकर रिजर्व बैंक ने बैंकों के समक्ष अतिरिक्त पूंजी जुटाने का रास्ता आसान बना दिया है. इससे बैंक अतिरिक्त टीयर-एक और टीयर-दो बॉंड पूंजी जुटा सकेंगे.
मसाला बॉंड जारी कर विदेशों से अब तक केवल दो भारतीय कंपनियों (एचडीएफसी और एनटीपीसी) ने 5,000 करोड़ रूपये जुटाये है. लेकिन यह सुविधा बैंकों के लिये नहीं थी.
रिजर्व बैंक तरलता समन्वय सुविधा के तहत कापरेरेट बॉंड स्वीकार करने के लिये कानून में संशोधन का प्रस्ताव करेगा. इस सुविधा का लाभ अस्थायी नकदी की तंगी को पूरा करने के लिये किया जाता है.
रिजर्व बैंक के निर्वतमान गवर्नर रघुराम राजन ने इससे पहले कहा था कि रिजर्व बैंक बॉंड और मुद्रा बाजार में इस माह के अंत तक कई बदलावों की घोषणा करेगा. राजन का मौजूदा कार्यकाल 4 सितंबर को समाप्त हो रहा है.
रिजर्व बैंक के नये गवर्नर नियुक्त उर्जित पटेल संभवत: 6 सितंबर को गवर्नर का कार्यभार संभालेंगे.
Tweet |