नेट न्यूट्रैलिटी पर फेसबुक मेंबर के ट्वीट से मचा बवाल, जुकरबर्ग ने किया किनारा

Last Updated 11 Feb 2016 09:55:40 AM IST

फेसबुक के निदेशक मंडल के सदस्य मार्क एंड्रीसन ने भेदभावपूर्ण इंटरनेट शुल्क पर प्रतिबंध लगाने के भारत के फैसले को ‘उपनिवेशवाद विरोधी’ सोच करार दे कर एक विवाद खड़ा कर दिया.


नेट न्यूट्रैलिटी पर फेसबुक मेंबर के ट्वीट से मचा बवाल, जुकरबर्ग ने किया किनारा

उन्होंने कहा है कि देश ब्रिटेन के अधीन रहता तो आज उसकी स्थिति बेहतर होती. सिलिकॉन वैली के अग्रणी उद्यम पूंजी निवेशक एंड्रीसन और उनके भागीदारी बेनेडिक्ट इवान्स ने दूरसंचार नियामक ट्राइ द्वारा फेसबुक के फ्री बेसिक्स और विभेदकारी डाटा दर वाली अन्य योजनाओं पर प्रतिबंध लगाए जाने के खिलाफ अपनी खीझ ट्विटर पर जाहिर की. हालांकि मामले को तूल पकड़ता देख फेसबुक सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने अपनी वॉल पर पोस्ट कर एंड्रीसन के इस ट्वीट से किनारा किया है.

ट्राई ने व्यवस्था दी है कि कोई सेवा प्रदाता इंटरनेट की सामग्री के आधार पर ग्राहकों के लिए डटा की दरें अलग-अलग नहीं रख सकता. ट्राई ने इसके खिलाफ जुर्माने का प्रावधान भी किया है और नेट निरपेक्षता की वकालत करने वालों के बीच उसके निर्णय की अभूतपूर्व सराहना हुई है. इस पहल को नेट निरपेक्षता के लिए विजय करार दिया गया जिसके तहत सभी इंटरनेट वेबसाइट तक समान पहुंच होगी.

एंड्रीसन ने ट्विटर पर एटपीमार्का नाम से अपने संदेश में कहा, ‘उपनिवेशवाद विरोधी सोच दशकों से भारतीय जनता के लिए आर्थिक तौर पर विनाशकारी रही है. अब क्यों रोका जाए?’

उन्होंने कहा, ‘यह अपनी जनता के हितों के खिलाफ भारत सरकार के आत्मघाती निर्णयों की श्रृंखला की एक और कड़ी है.’एंड्रीसन के भागीदार होरोविट्ज एवान्स ने ट्विटर पर कहा, ‘विचारधारा के आधार पर विश्व की सबसे गरीब जनता को थोड़ा मुफ्त इंटरनेट संपर्क से महरूम रखना मुझे नैतिकता के आधार पर गलत लगता है.’

इन टिप्पणियों की कई साइटों पर भारी अलोचना हुई है. कुछ लोगों ने फेसबुक की फ्री बेसिक्स योजना को इंटरनेट उपनिवेशवाद करार दिया.ट्विटर पर सईद अंजुम ने पलटवार करते हुए कहा कि एंड्रीसन का कहने का अर्थ है कि उपनिवेशवाद आर्थिक रूप से हमेशा बेहतर होगा. मूल निवासियों को मदद लेना सीखना चाहिए.

एक अन्य प्रतिक्रिया में कहा गया, ‘अब फेसबुक के निदेशक मंडल के सदस्य सुझा रहे हैं कि भारत का उपनिवेश रहना अच्छा था और हमें फेसबुक को ऐसा करते रहने देना चाहिए.’

आलोचनाओं के बाद एंड्रीसन ने अपना ट्वीट हटा लिया. बाद में उन्होंने इस चर्चा से अपने आपको दूर करते हुए कहा, ‘मैं भारत की आर्थिक नीति या राजनीति पर भावी चर्चा से हाथ वापस खींच रहा हूं. आप लगे रहें.’

वहीं मामले को तूल पकड़ता देख जुकरबर्ग ने देर रात अपनी वॉल पर पोस्ट कर एंड्रीसन के इस ट्वीट को लेकर लिखा कि मैं और फेसबुक कोई भी एंड्रीसन के भारत पर किए गए ट्वीट का समर्थन नहीं करते. मैं भारत को चाहता हूं और फेसबुक की भी ऐसी ही सोच है. मुझे भारत की डेमोक्रेसी ने भी काफी प्रभावित किया है. मैं भारत से मजबूत रिश्ते की कामना करता हूं.



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