प्रतीक्षा सूची समाप्त करने के लिए रेलवे की बड़ी कवायद

Last Updated 06 Feb 2016 05:11:30 AM IST

आने वाले समय में आपको यात्रा प्रारंभ करने से पूर्व चार्ट बनने का इंतजार नहीं करना पड़ेगा. रेलवे प्रतीक्षा सूची को समाप्त करने की दिशा में काम रही है.


भारतीय रेलवे अब करेगा प्रतीक्षा सूची समाप्त (फाइल फोटो)

इसके तहत रेलवे आने वाले अगले तीन वर्षो में प्रतीक्षा सूची के टिकटों को पूरी तरह से समाप्त करने की योजना तैयार कर रही है. इसकी शुरुआत इस वर्ष के रेलवे बजट से प्रारंभ हो सकती है. बजट में प्रतीक्षा सूची के टिकट धारकों को विभिन्न कड़े प्रावधानों के जरिए यात्रा करने से हतोत्साहित किया जाएगा. वैसे भी प्रतीक्षा सूची के टिकट के साथ ज्यादातर उत्तर भारत के यात्री ही यात्रा करने का जोखिम उठाते हैं.

सूत्रों के अनुसार वर्तमान में रेलवे के पास रोजाना 13.5 लाख बर्थ/सीटें हैं. यह बर्थ प्रथम श्रेणी वातानुकूलित से लेकर स्लीपर श्रेणी तक शामिल हैं. इन बथरे/सीटों के लिए रोजाना 17 लाख यात्री टिकट बुक कराते हैं. अर्थात रोजाना बुक होने वाले दस लाख रिजर्व टिकटों पर 17 लाख यात्री होते हैं. इनमें 13.5 लाख यात्रियों को बर्थ/सीटें मिल जाती हैं और करीब 3.5 लाख यात्री प्रतीक्षा सूची में चले जाते हैं. टिकट कन्फर्म नहीं होने की दशा में करीब 55 प्रतिशत यात्री सफर नहीं करते हैं. शेष 45 प्रतिशत यात्री मजबूरन आरक्षित कोच में सफर पर जाते हैं.

इस प्रकार यदि आंकड़ों पर गौर किया जाए तो केवल एक लाख यात्री ही प्रतीक्षा सूची के टिकट पर यात्रा करते हैं. इन यात्रियों से से सबसे ज्यादा संख्या स्लीपर श्रेणी के यात्रियों की होती होती है. इन यात्रियों से रेलवे को करीब चार सौ करोड़ रुपये की आय होती है. हालाकि प्रतीक्षा सूची के टिकटों पर आरक्षित कोच में सफर करने पर कोच से उतारे जाने का प्रावधान है. इसके बावजूद कुछ जोनल रेलवे नजरअंदाज कर जाते हैं.

इस धनराशि की भरपाई भी रेलवे को हो जाए और रिजर्व कोच में वेटिंग लिस्ट यात्री भी सफर न करें. इसको लेकर रेलवे कुछ प्रावधान करने में लगा हुआ है. हालाकि कुछ महीने पहले रिफंड के नियम के बदले जाने से प्रतीक्षा सूची के टिकट में कमी आई है. रेलवे के पास वेटिंग लिस्ट टिकटों पर यात्रा की चुनौती बस एक-दो वर्ष के लिए ही है. इसके बाद रेलवे के पास एक साथ करीब 50 फीसद क्षमता में वृद्धि हो जाएगी. क्योंकि डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का निर्माण हो जाएगा. इसके बाद ट्रंक लाइन की सभी मालगाड़ियां फ्रेट कॉरिडोर पर चलने लगेंगी और खाली होने वाली मौजूदा रेल लाइनों पर ज्यादा से ज्यादा यात्री ट्रेनें चलने लगेंगी.

इसके बाद रेलवे में जब मांगों तब कन्फर्म टिकट ही मिलेंगी. इसी के साथ-साथ ई-टिकट बुकिंग की संख्या में भी वृद्धि होगी. अभी यह कुल टिकट बुकिंग का 54 फीसद है तो आने वाले समय में यह करीब 70 फीसद का पहुंच जाएगा. जिससे वेटिंग लिस्ट टिकट की समस्या भी स्वत: कम होने लगेगी.

विनोद श्रीवास्तव
एसएनबी


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