ट्रेड यूनियनों की बुधवार को हड़ताल का दिखने लगा असर
श्रम कानूनों में संशोधन के प्रस्ताव के खिलाफ दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की बुधवार की अपनी हड़ताल के आह्वान पर कायम रहने से आवश्यक सेवाएं प्रभावित होती दिख रही हैं.
देशभर में ट्रेड यूनियनों की हड़ताल |
हालांकि, भाजपा के समर्थन वाला भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) और नेशनल फ्रंट आफ इंडियन ट्रेड यूनियंस हड़ताल से हट गए हैं. सरकार ने यूनियनों से अपना आंदोलन वापस लेने की अपील की है.
दस यूनियनों का दावा है कि सरकारी और निजी क्षेत्र में उनके सदस्यों की संख्या 15 करोड़ है. इनमें बैंक और बीमा कंपनियां भी शामिल हैं. मंत्रियों के समूह के साथ बैठक का कोई नतीजा नहीं निकलने के बाद यूनियनों ने हड़ताल पर जाने का फैसला किया है.
असंगठित क्षेत्र के कई संगठनों ने भी हड़ताल को समर्थन की घोषणा की है. श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि हड़ताल से आवश्यक सेवाएं प्रभावित होंगी. मुझे नहीं लगता कि इसका अधिक असर रहेगा. मैं उनसे श्रमिकों व देश हित में हड़ताल वापस लेने की अपील करता हूं. वहीं, यूनियन नेताओं ने कहा कि हड़ताल से परिवहन, बिजली गैस और तेल की आपूर्ति जैसी आवश्यक सेवाएं प्रभावित होंगी.
हालांकि बीएमएस ने दावा किया है कि हड़ताल से बिजली, तेल एवं गैस की आपूर्ति प्रभावित नहीं होगी, क्योंकि सार्वजनिक क्षेत्र के बड़ी संख्या में कर्मचारी श्रम कानूनों में बदलाव के विरोध में हो रही हड़ताल से हट गए हैं.
12 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने 12 सूत्रीय मांगों के समर्थन में हड़ताल का आह्वान किया था. उनकी मांगों में श्रम कानून में प्रस्तावित श्रमिक विरोधी संशोधन को वापस लेना और सार्वजनिक उपक्रमों का विनिवेश व निजीकरण रोकना शामिल है.
बीएमएस बाद में इस हडत़ाल से हट गई. उसका कहना है कि सरकार ने कुछ प्रमुख मांगों को पूरा करने का जो आश्वासन दिया है, उसके लिए उसे समय दिया जाना चाहिए. नेशनल फ्रंट आफ इंडियन ट्रेड यूनियंस भी हड़ताल में शामिल नहीं होगी. हालांकि सरकार ने संकेत दिया है कि यदि यूनियनें हड़ताल पर जाती भी हैं, तो भी उनके साथ बातचीत जारी रहेगी.
हड़ताल के असर के बारे में पूछे जाने पर दत्तात्रेय ने कहा कि बीएमएस और एनएफआईटीयू हड़ताल में शामिल नहीं हैं. दो-चार संगठन और हैं जो तटस्थ है. हालांकि उन्होंने इन तटस्थ यूनियनों का नाम नहीं बताया. उन्होंने कहा कि हम ट्रेड यूनियनों के साथ किसी तरह का टकराव नहीं चाहते. श्रमिकों के अधिकार और हित हमारे लिए सर्वोपरि हैं. हड़ताल के बाद भी हम यूनियनों से बातचीत जारी रखेंगे.
इस बीच, असंगठित क्षेत्र के कामगारों ने बुधवार की राष्ट्रव्यापी हड़ताल को समर्थन की घोषणा की है. असंगठित क्षेत्र के श्रमिक ‘वर्कर्स पीपल्स चार्टर’ के बैनर तले एकजुट हुए हैं. उन्होंने भाजपा समर्थित भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) से भी हड़ताल में शामिल न होने के फैसले पर पुनर्विचार की अपील की है.
अन्य यूनियनों की ओर से बोलते हुए आल इंडिया ट्रेड यूनियन के सचिव डीएल सचदेव ने कहा कि सभी दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनें हड़ताल पर रहेंगी. उन्होंने दावा किया कि बीएमएस की कई राज्य इकाइयां भी हड़ताल में शामिल होंगी. इससे पहले दिन में बीएमएस के महासचिव ब्रिजेश उपाध्याय ने कहा कि केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के सदस्य कई सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्र म हड़ताल पर नहीं जा रहे हैं. ऐसे में बिजली, तेल एवं गैस की आपूर्ति जैसी सेवाएं प्रभावित नहीं होंगी. उपाध्याय ने बताया कि एनटीपीसी, एनएचपीसी तथा पावरग्रिड जैसे पीएसयू हड़ताल पर नहीं रहेंगे. ऐसे में बिजली की आपूर्ति प्रभावित नहीं होगी.
Tweet |