चीन की मंदी को भारत के लिए एक अवसर: मुख्य आर्थिक सलाहकार

Last Updated 01 Sep 2015 02:30:52 PM IST

वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा है कि चीन की मंदी भारत में आर्थिक वृद्धि के लिए फिर एक नया प्रयास शुरू करने का ऐतिहासिक अवसर है.


वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन

उन्होंने कहा, ‘चीन में उत्पादन करना अब पहले से कम फायदेमंद रह गया है, भारत फायदा देने वाला हो सकता है पर गारंटी नहीं है. भारत शुद्ध आयातक है इस लिए चीन का धीमा पड़ना भारत के लिए वृद्धि का नया प्रयास शुरू करने का एक ऐतिहासिक अवसर है.’ वह यहां चीनी अध्ययन संस्थान के एक कार्यक्र म को संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि अनुबंधों के तहत विनिर्माण करने वाली ताइवान की वि विख्यात इलेक्ट्रानिक्स कंपनी फॉक्सकॉन तथा चीन की शियोमी जैसी कंपनियों का भारत में निवेश करना यह दर्शाता है कि चीन में काम करने वाली कंपनियां वहां की मंदी के खिलाफ भारत की ओट लेना चाहती हैं.

चीन की मुद्रा युआन के हाल के अवमूल्यन के प्रभावों के बारे में मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि चूंकि भारत चीन की मूल्यवर्धन श्रृंखला का हिस्सा नहीं है इसलिए वहां की मंदी का भारत पर अपेक्षाकृत न के बराबर असर पड़ा है.

पर उन्होंने चीनी मुद्रा को अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के विशेष आहरण अधिकार :एसडीआर: या अनुपूरक विदेशी विनिमय भंडार की मुद्राओं में शामिल किये जाने का पक्ष लिया और कहा कि इसमें भारत का स्पष्ट हित है. अभी एसडीआर समूह की मुद्राओं में अमेरिकी डालर, यूरोपीय संघ की साझा मुद्रा यूरो, ब्रिटेन का पौंड और जापान का येन शामिल है.

उन्होंने कहा, ‘रेनमिन्बी :युआन का चीनी नाम: के बारे में मेरा मानना है कि रेनमिन्बी को एसडीआर टोकरी का हिस्सा बनाये जाने का समर्थन करने में हमारा स्पष्ट हित है. मैंने ऐसा इसलिए कहा है कि ज्यों ज्यों चीन की मुद्रा और अधिक अंतरराष्ट्रीय व्यवहार की मुद्रा बनेगी, चीन को अपनी अर्थव्यवस्था को और अधिक खुला बनाना होगा तथा वह दुनिया के लिए अच्छा होगा और चीन की लिए भी अच्छा होगा.’

युआन के एसडीआर समूह की मुद्रा होने पर चीन उसकी विनिमय दर में हेराफेरी कम कर सकेगा और इसको नीचे रखना चीन के लिए नुकसानदेह हो सकता है. इस लिए चीन की मुद्रा के अंतरराष्ट्रीयकरण में हमारा बड़ा फायदा है.




 



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