एसबीआई, आईसीआईसीआई बैंक, बैंकिंग प्रणाली के लिहाज से महत्वपूर्ण : रिजर्व बैंक

Last Updated 01 Sep 2015 09:44:55 AM IST

रिजर्व बैंक ने सार्वजनिक क्षेत्र के स्टेट बैंक तथा निजी क्षेत्र के आईसीआईसीआई बैंक को बैंकिंग प्रणाली के लिहाज से महत्वपूर्ण बैंक चिन्हित किया है.


फाइल फोटो

और इनमें किसी भी प्रकार की विफलता की स्थिति में वित्तीय सेवाओं को बाधित होने से बचाने के लिये उच्च स्तरीय निगरानी व्यवस्था पर जोर दिया .
  
केंद्रीय बैंक ने एक बयान में सोमवार को कहा, ‘भारतीय रिजर्व बैंक ने आज भारतीय स्टेट बैंक तथा आईसीआईसीआई बैंक लि को बैंकिंग प्रणाली के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बैंक (डी-सिब) घोषित किया है.’
  
बयान के मुताबिक, ‘डी-सिब के लिये वित्तीय प्रणाली के लिये उनसे जोखिम के आधार पर विभिन्न तथा उच्च गहनता की निगरानी व्यवस्था की जरूरत होगी.’
  
रिजर्व बैंक ‘कट-आफ’ स्कोर निर्धारित करेगा जिसके ऊपर बैंकों को डी-सिब माना जाएगा.
  
बैंकों को चार अलग-अलग समूह में रखा जाएगा और उन्हें जोखिम भारांश संपत्ति के 0.2 प्रतिशत से 0.8 प्रतिशत के दायरे में अतिरिक्त ‘कॉमन इक्विटी टियर 1’ (सीईटी 1) पूंजी की जरूरत होगी. यह इस बात पर निर्भर करेगा कि उन्हें किस समूह में रखा गया है.
  
रिजर्व बैंक के अनुसार अतिरिक्त सीईटी 1 की आवश्यकता जोखिम भारांश संपत्ति के प्रतिशत के रूप में एसबीआई के लिये 0.6 प्रतिशत तथा आईसीआईसीआई बैंक के लिये 0.2 प्रतिशत होगा.

अतिरिक्त सीईटी-1 की जरूरत एक अप्रैल 2016 से चरणबद्ध तरीके से होगी और यह एक अप्रैल 2019 से पूरी तरह लागू हो जाएगा.  मसौदे के तहत रिजर्व बैंक को अगस्त 2015 से हर साल अगस्त में डी-सिब चिन्हित बैंकों के बारे में घोषणा करनी होगी।
  
बैंकिंग प्रणाली के नजरिये से वैसे बैंक को महत्वपूर्ण माना जाता है ‘जो इतना बड़ा है कि इन्हें गिरने नहीं दिया जा सकता (टीबीटीएफ). टीबीटीएफ के तहत सरकार से संकट के समय इन बैंकों के लिये समर्थन की उम्मीद की जाती है. इस धारणा के आधार पर इन बैंकों को वित्त पोषण बाजार में कुछ लाभ होता है.
 



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