अटकी परियोजनाओं ने पकड़ी रफ्तार
सरकार अटकी परियोजनाओं की संख्या घटाकर तीन साल के न्यूनतम स्तर पर लाने में कामयाब रही है, लेकिन नई निवेश परियोजनाएं अब तक रफ्तार नहीं पकड़ सकी हैं.
अटकी परियोजनाओं ने पकड़ी रफ्तार |
उम्मीद की जा रही है कि इन परियोजनाओं को रफ्तार पकड़ने में अभी कुछ तिमाहियां और लगेंगी. यह बात एक नए सर्वेक्षण में सामने आई है.
एचएसबीसी ने एक अनुसंधान पत्र में कहा, ‘मार्च 2014 से अब तक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के करीब दो प्रतिशत के बराबर परियोजनाएं अटकी हुई हैं लेकिन सरकार निरंतर आगे बढ़ते हुए अब उल्लेखनीय स्तर पर पहुंच गई है और इससे घरेलू गतिविधियों पर उल्लेखनीय असर पड़ना शुरू हो सकता है.’
हालांकि नई परियोजनाएं बैंक ऋण के अभाव में आगे नहीं बढ़ पा रही हैं और अप्रैल से जून की तिमाही में ऐसी परियोजनाओं की संख्या साल भर के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई हैं. रपट में कहा गया, ‘इन विरोधाभासी संकेतों से क्या मतलब क्या है? साधारण सा उत्तर यह होगा कि सरकार इन परियोजनाओं को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही है लेकिन इसमें बहुत सफलता नहीं मिल पा रही है.’ एचएसबीसी इंडिया की अर्थशास्त्री प्रांजल भंडारी ने अपनी रपट में कहा, ‘कोई नया निवेश नहीं हो रहा है. लेकिन हम इसकी व्याख्या अलग तरीके से कर रहे हैं.’
भंडारी ने कहा कि ये रुझान, दरअसल, सकारात्मक हो सकते हैं. उन्होंने कहा, ‘फिलहाल, उल्लेखनीय संख्या में अटकी हुई परियोजनाओं के समाधान से निवेश व्यय पर्याप्त रूप से बढ़ सकता है. नई परियोजनाओं में अभी कुछ तिमाहियों की देरी है यह ऋण वृद्धि की तरह ही अभी अस्पष्ट है.’
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