अर्थव्यवस्था की रफ्तार में भारत ने चीन को पछाड़ा

Last Updated 30 May 2015 05:32:49 AM IST

भारत इस वर्ष जनवरी-मार्च तिमाही में 7.5 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि हासिल कर चीन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन गया है.


भारतीय अर्थव्यवस्था का जीडीपी ग्रोथ मेप.

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि यह निश्चित रूप से साबित करता है कि अर्थव्यवस्था सुधार की राह पर है. इससे पहले तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसम्बर) में आर्थिक वृद्धि 6.6 प्रतिशत थी. वर्ष 2014-15 में पूरे साल की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत रही जबकि इससे पिछले साल यह 6.9 प्रतिशत थी.
इस दौरान विनिर्माण और सेवा क्षेत्र का प्रदर्शन बेहतर रहा. जेटली ने कहा, ‘चौथी तिमाही का जीडीपी आंकड़ा हमें दिखाता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था किस तरह बढ़ रही है. यह बिल्कुल साफ है कि हमारी अर्थव्यवस्था सुधार की राह पर है.’

वाणिज्य एवं उद्योग मंडलों ने आर्थिक वृद्धि में आए सुधार पर प्रसन्नता जाहिर की है लेकिन साथ ही कहा है कि निवेशकों की धारणा में सुधार और भारतीय अर्थव्यवस्था की वास्तविक क्षमता पाने के लिए जमीनी स्तर पर और प्रयास होने चाहिए. पीएचडी चैंबर आफ कामर्स, फिक्की और एसोचैम ने इस बीच ब्याज दरों में और कटौती की मांग भी की है. उन्होंने रिजर्व बैंक से कहा है कि 2 जून की मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में कटौती होनी चाहिए.

वित्त सचिव राजीव महर्षि ने कहा है कि विनिर्माण क्षेत्र में सुधार से पता चलता है कि रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं जबकि मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मण्यम ने कहा कि बेहतर अर्थव्यवस्था ही अच्छी राजनीति है और हाल के वष्रो में देश में राजनेताओं द्वारा बेहतर अर्थव्यवस्था पद्धति को अपनाए जाना स्वागत योग्य बदलाव है.
केन्द्रीय साख्यिकी संगठन (सीएसओ) ने इसके साथ ही पिछले वित्त वर्ष की पहली तीन तिमाहियों के आंकड़ों में भी संशोधन किया है. वित्त वर्ष 2014-15 की पहली तिमाही का आंकड़ा 6.5 प्रतिशत से सुधार कर 6.7 प्रतिशत, दूसरी तिमाही का 8.2 प्रतिशत से बढ़ाकर 8.4 प्रतिशत और तीसरी तिमाही का आंकड़ा 7.5 से संशोधित कर 6.6 प्रतिशत कर दिया.

सीएसओ के आंकड़ों में आर्थिक गतिविधियों को मापने की नई अवधारणा सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) के मुताबिक वर्ष 2014-15 में यह 7.2 प्रतिशत बढ़ा जबकि पिछले वर्ष इसमें 6.6 प्रतिशत वृद्धि हुई थी. जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान जीवीए के मुताबिक आर्थिक वृद्धि 6.1 प्रतिशत रही. एक साल पहले इसी अवधि में यह 5.3 प्रतिशत रही थी. विनिर्माण क्षेत्र में वर्ष की आखिरी तिमाही में वृद्धि दर 8.4 प्रतिशत रही जबकि एक साल पहले इस क्षेत्र में यह 4.4 प्रतिशत थी. सेवा क्षेत्र में चौथी तिमाही में बेहतर वृद्धि रही. हालांकि, कृषि और खनन तथा उत्खनन क्षेत्र में चौथी तिमाही के दौरान सुस्ती रही. चौथी तिमाही में कृषि उत्पादन में 1.4 प्रतिशत गिरावट रही जबकि एक साल पहले इसी तिमाही में इसमें 4.4 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई थी.

जेटली ने खारिज की मनमोहन की टिप्पणी, कहा- कमजोर नहीं है इकोनॉमी

अर्थव्यवस्था की स्थिति पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की टिप्पणी को खारिज करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को कहा कि दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली कोई अर्थव्यवस्था कमजोर नहीं कही जा सकती.

जेटली ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘वैश्विक सुस्ती की स्थिति में दुनिया में भारत में सबसे तेज वृद्धि दर कर रहा है ऐसे में भारतीय अर्थव्यवसथा को कमजोर नहीं कहा जा सकता.’ जेटली का यह जवाब उस सवाल पर आया जिसमें उनसे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की टिप्पणी के बारे में पूछा गया था कि भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति काफी नाजुक है.
वित्त मंत्री ने कहा कि चौथी तिमाही (जनवरी से मार्च) की जीडीपी वृद्धि 7.5 प्रतिशत और पूरे वित्त वर्ष 2014-15 के दौरान 7.3 प्रतिशत वृद्धि हासिल होने से संकेत मिलता है कि अर्थव्यवस्था मजबूती की राह पर है. उन्होंने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि के आंकड़ों में जो सबसे उत्साहजनक बात है वह है विनिर्माण क्षेत्र का प्रदर्शन. इस क्षेत्र में चौथी तिमाही के दौरान 8.4 प्रतिशत और पूरे साल में 7.1 प्रतिशत वृद्धि हासिल की गई.

जेटली ने कहा, ‘‘विनिर्माण और सेवाओं के क्षेत्र से संकेत मिलता है कि हममें 8-9 और उससे भी आगे वृद्धि हासिल करने की क्षमता है.’ उन्होंने कहा कि चौथी तिमाही के जीडीपी आंकड़ों से हमें मोटे तौर पर संकेत मिल गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था किस तरह से आगे बढ़ रही है. यह पूरी तरह साफ हो गया है कि अर्थव्यवस्था सुधार के रास्ते पर है.

राजकोषीय घाटा बजट अनुमान के 23 फीसद पर पहुंचा

वित्त वर्ष 2015-16 के प्रथम माह में राजकोषीय घाटा 1.27 लाख करोड़ रुपए या पूरे वित्त वर्ष के लिए बजट अनुमान का 23 प्रतिशत रहा. पूरे वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 5.55 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान जताया गया है. पिछले वित्त वर्ष के अप्रैल में राजकोषीय घाटा, बजट अनुमान का 21.4 प्रतिशत था. वित्त वर्ष 2015-16 के लिए सरकार ने 3.9 प्रतिशत राजकोषीय घाटे का लक्ष्य रखा है. वित्त वर्ष 2014-15 में राजकोषीय घाटा 5.01 लाख करोड़ रुपए या जीडीपी का 4 प्रतिशत रहा था जो संशोधित अनुमान में 4.1 प्रतिशत से कम है.



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