पिछली तिथि से कर लगाना पड़ेगा महंगा : वित्त मंत्री
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा पिछली तिथि से कराधान कानून के इस्तेमाल को खारिज करते हुये कहा है कि इस बारे में कोई स्थायी कानून बनाना तो संभव नहीं है.
वित्त मंत्री |
लेकिन यदि भविष्य की कोई सरकार इसका जोखिम उठाती है तो उसे उसकी भारी कीमत चुकानी होगी.
जेटली ने कहा, ‘‘जहां तक पिछली तिथि से कर लगाने का मुद्दा है, मेरा मानना है कि इस मामले में भारत का वर्ष 2011 का अनुभव काफी खराब रहा है और यदि भविष्य की कोई सरकार इस तरह का जोखिम उठाती है तो इसकी उसे भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है.’’
वित्त मंत्री यहां अमेरिकी व्यवसायियों से जुड़े मुद्दे पर पिछली तिथि से कराधान प्रणाली पर पूछे सवाल का जवाब दे रहे थे. उनसे पूछा गया, ‘‘आप उस निवेशक से क्या कहेंगे जो कहता है कि जेटली जी, मैं आप पर भरोसा कर सकता हूं, इस सरकार पर मेरा विश्वास है, लेकिन जब तक वह कानून वहां है तब तक मैं यह कैसे विास कर सकता हूं कि सात साल, आठ साल अथवा दस या फिर 12 साल बाद किसी दूसरी सरकार द्वारा जो आपकी तरह सोच नहीं रखती है इसका दुरुपयोग नहीं किया जायेगा?’’
जेटली ने अपने जवाब में कहा, ‘‘मैं संसद की प्रभुसत्ता को नहीं लांघ सकता. मैं ऐसा कोई कानून नहीं ला सकता जिसमें यह कहा जाये कि भारतीय संसद को पिछली तिथि से कानून बनाने का अधिकार नहीं है. यदि मैं ऐसा कर भी देता हूं तो यह अवैध होगा, हर कानून बनाने में सक्षम सभा के पास यह ताकत है.’’
जेटली ने स्पष्ट करते हुये कहा, ‘‘इसलिये भविष्य की किसी भी संसद अथवा सरकार के पास यह अधिकार होगा, लेकिन हम इसमें यह कह रहे हैं कि यह निर्णय समझदारी भरा नहीं था.’’
जेटली ने कहा कि एक मामला जो इस कानून के तहत लंबित है और दूसरा मामला जो अब सामने आया है, उसके अलावा पिछले तिथि के कराधान से जुड़े मामलों को हमने छोड़ दिया है.
वित्तमंत्री ने इससे पहले यहां पीटरसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकनोमिक्स में गुरवार को जेटली ने कहा कि उन्हें इस बारे में पता है कि पिछली तिथि से कराधान, कर मामलों को लेकर प्रताड़ित किये जाने और कर प्रशासन में मनमानी को लेकर चिंता है.
जेटली ने यह भी कहा कि सरकार ने ऐसे मामलों में वोडाफोन और शेल के पक्ष में आये उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती नहीं दी. इससे सरकार के कर मामलों में प्रतिकूल रवैया नहीं अपनाने की प्रतिबद्धता का पता चलता है.
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