निजी कंपनियों की चली तो सपना हो जाएगा डिजिटल इंडिया

Last Updated 18 Apr 2015 03:34:21 AM IST

निजी टेलीकॉम कंपनियां अपनी चाल में सफल हो गईं तो इंटरनेट से ग्रामीण, युवा वर्ग और छात्र महरूम हो जाएंगे.


तो सपना हो जाएगा डिजिटल इंडिया

मोदी सरकार का नारा बेशक डिजिटल इंडिया हो और गांव-गांव तक के लोग इंटरनेट से जुड़ जाएं, लेकिन निजी टेलीकॉम कंपनियां अपनी चाल में सफल हो गईं तो इंटरनेट से ग्रामीण, युवा वर्ग और छात्र महरूम हो जाएंगे. ऐसा इसलिए होगा, क्योंकि निजी कंपनियां चाहती हैं कि इंटरनेट से जो भी सुविधा कोई उठाए चाहे वाट्सएप हो या फेसबुक या अन्य कोई साइट इन सबके प्रयोग पर यूजर को रकम अदा करनी पड़े. सरकार फिलहाल नेट न्यूट्रेलिटी के पक्ष में है, ताकि उसका डिजिटल इंडिया का सपना सफल हो जाए.

सूत्रों के अनुसार खुफिया विभाग ने सरकार को चेताया है कि निजी टेलीकॉम कंपनियां आपस में विचार कर रही हैं कि अब इंटरनेट के माध्यम से मुफ्त में वाट्सएप, फेसबुक व मैसेंजर जैसी अन्य सोशल साइटों का सुविधा उठाने वाले उसका भुगतान करें. इंटरनेट पर जो जितने एमबी का प्रयोग करता है, इसके लिए उसे रकम अदा करनी पड़ती है, उसी तरह जो इन फ्री साइटों का जितना उपयोग करेगा, उसके लिए भी उससे चार्ज लिया जाएगा. खुफिया रिपोर्ट पर सरकार के कान खड़े हो गए हैं और वह नेट न्यूट्रेलिटी के पक्ष में खड़ी हो गई है. सरकार का मानना है कि अगर न्यूट्रेलिटी नहीं हुई तो ग्रामीण, युवा, छात्र व दूरदराज इलाकों के लोग संचार क्रांति का लाभ नहीं उठा पाएंगे, क्योंकि यह महंगी हो जाएगी.

सूत्रों के अनुसार इस बात को लेकर गृह मंत्रालय में एक अहम बैठक हुई है, जिसमें टेलीकॉम विभाग, खुफिया विभाग और गृह मंत्रालय के आला अधिकारी उपस्थित थे. संचार मंत्रालय ने इस बात को साफतौर पर सरकार के सामने रखा है कि नेट न्यूट्रेलिटी का भारत में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है. इतना ही नहीं, आने वाली पीढ़ी के लिए और आने वाले वर्षो में यह अहम रहेगा. टेलीकॉम विभाग ने भारत सरकार के डिजिटल इंडिया प्रोग्राम का हवाला देते हुए एक नोट भी सरकार के सामने रखा. भारत की नेशनल टेलीकॉम पॉलिसी 2012 पर भी विस्तृत मंथन हुआ. सरकार का मानना है कि नई टेलीकॉम पॉलिसी 2012 का मूल उद्देश्य यही है कि 2015, 2017 और 2020 तक करीब 600 मिलियन लोग नेट का प्रयोग करने वाले हो जाएं. ऐसे में सरकार का फर्ज बनता है कि उनको हाई क्वालिटी, हाई स्पीड व किफायती (एफोर्डेबल) ब्रॉडबैंड सुविधा मुहैया कराई जाए.

सूत्रों के अनुसार संचार विभाग के नोट में यह भी कहा गया है कि 2017 तक करीब 175 मिलियन ब्रॉडबैंड के कनेक्शन हो जाएंगे. टेलीकॉम विभाग ने बैठक में कहा कि कम से कम 2एमबीपीएस डाउनलोड स्पीड की ब्रॉडबैंड सुविधा होनी चाहिए. रही बात नेट न्यूट्रेलिटी की तो विभाग ने कहा कि बेशक भारत वि में नेट यूजर में तीसरा स्थान रखता है, पर यह उसमें 42वें स्थान पर टिका हुआ है, क्योंकि लोग इससे कम जुड़े हुए हैं.

इसका कारण यह है कि इनके पास कनेक्शन तो हैं, मगर प्रयोग नहीं कर पाते. वि बैंक का हवाला देते हुए विभाग ने कहा है कि जनता को किफायती दर पर हाई क्वालिटी व हाई स्पीड इंटरनेट सुविधा उपलब्ध कराना बहुत जरूरी है, क्योंकि इसकी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में अहम भूमिका होती है. सूत्रों के अनुसार बैठक में एकमत से नेट न्यूट्रेलिटी की बात पर जोर देते हुए कहा गया कि देश में इस दिशा में निवेश की जरूरत है.

साथ ही साथ एक ईको पण्राली विकसित करने का भी प्रावधान होना चाहिए. टेलीकॉम विभाग ने कहा है कि ‘यूनिवर्सल इंटनेट कनेक्शन सुविधा उपलब्ध कराने के निर्णय से न सिर्फ अर्बन इंडिया में ही प्रभाव पड़ेगा, बल्कि दूरदराज और ग्रामीण इलाकों में भी इसके महत्वपूर्ण परिणाम सामने आएंगे. सारे स्टेक होल्डर के समन्वय के पश्चात ही निर्णय लेना चाहिए.’ विभाग का कहना है कि यह समय की मांग है कि देश के ग्रामीण इलाकों में किफायती और वैल्यू एडेड इंटरनेट सुविधा उपलब्ध कराई जाए. साथ ही साथ सरकार को लागत पर भी ध्यान देना चाहिए.

कुणाल
एसएनबी


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