सन फार्मा-रैनबैक्सी सौदा: अमेरिकी व्यापार नियामक ने रैनबैक्सी से संपत्ति बेचने की मंजूरी दी

Last Updated 31 Jan 2015 09:07:36 PM IST

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के बाद अमेरिका के व्यापार नियामक एफटीसी ने चार अरब डालर के सन फार्मा-रैनबैक्सी सौदे को मंजूरी देने के संबंध में शर्त रखी.


सन फार्मा और रैनबैक्सी सौदा (फाइल फोटो)

एफटीसी ने शर्त रखते हुये रैनबैक्सी से कहा कि वह एक जेनरिक उत्पाद कारोबार को बेचे ताकि बाजार एकाधिकार की चिंता को दूर किया जा सके. सन फार्मा और रैनबैक्सी का विलय होने पर यह भारत की सबसे बड़ी और दुनिया की पांचवीं बड़ी फार्मा कंपनी बन जायेगी.

बाजार में एकाधिकार की चिंता को दूर करने के लिये अमेरिका के संघीय व्यापार आयोग (एफटीसी) ने शुक्रवार को कहा कि सन फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज और रैनबैक्सी लैबोरेटरीज ने रैनबैक्सी की जेनेरिक माइनोसाक्लाइन टेबलेट में अपनी हिस्सेदारी बेचने पर सहमति जताई है.

जेनेरिक माइनोसाइक्लाइन टैबलेट का इस्तेमाल न्यूमोनिया, मुंहासे और मूत्र मार्ग में संक्रमण सहित जीवाणु संक्रमण से होने वाली बीमारियों के इलाज में किया जाता है.

एफटीसी की तरफ से यह ताजा घटनाक्रम भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के दोनों कंपनियों को उनके सात उत्पादों को बेचने का निर्देश दिये जाने के एक माह से अधिक समय के बाद सामने आया है.

एफटीसी की शिकायत के मुताबिक, प्रस्तावित विलय से अमेरिकी बाजार में भविष्य में प्रतिस्पर्धा पर बुरा असर पड़ सकता है क्योंकि इससे अमेरिका में 50 मिग्रा, 75 मिग्रा और 100 मिग्रा के जेनेरिक माइनोसाइक्लाइन टैबलेट के आपूर्तिकर्ताओं की संख्या घटने की संभावना है.

रैनबैक्सी इस उत्पाद की उन तीन प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं में से एक है जो इन दवाओं की आपूर्ति अमेरिकी बाजार में करती है, जबकि सन फार्मा अमेरिकी बाजार में निकट भविष्य में माइनासाइक्लाइन टैबलेट बेचने वाली सीमित कंपनियों में एक है.

नियामक ने कहा है कि सन फार्मा के उतरने से इन दवाओं के दाम में उल्लेखनीय गिरावट आ सकती है.

प्रस्तावित निपटान के तहत अमेरिका में जेनेरिक दवाओं की बिक्री करने वाली भारत स्थित वैश्विक दवा कंपनी टोरेंट फार्मास्युटिकल्स इन परिसंपत्तियों को खरीदेगी. इसके अलावा सन और रैनबैक्सी तब तक टोरेंट को माइनासाक्लाइन टेबलेट और कैपसूल की आपूर्ति करती रहेगी जब तक कि वह अपनी विनिर्माण सुविधा खड़ी नहीं कर देती है.

सन फार्मा, रैनबैक्सी और टोरेंट भारत की प्रमुख दवा कंपनियां हैं. एफटीसी ने इस बात पर नजर रखने के लिये कि टोंटेट को सन और रैनबैक्सी से जरूरी समर्थन पर निगरानी रखने के लिये एक अंतरिम निगरानीकर्ता को नियुक्त किया है.

पिछले साल दिसंबर में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने इस मैगा सौदे को मंजूरी देने से पहले रैनबैक्सी को उसके छह उत्पाद और सन फार्मा को एक उत्पाद बेचने का आदेश दिया था.

 



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