3जी स्पेक्ट्रम का न्यूनतम मूल्य भी तय, नीलामी में कुल एक लाख करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद

Last Updated 28 Jan 2015 11:05:33 PM IST

केंद्र सरकार ने 3जी स्पेक्ट्रम की नीलामी के लिए 3,705 करोड़ रुपये प्रति मेगाहट्र्ज के आधार मूल्य को मंजूरी दे दी है.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)

सरकार की निगाह सभी बैंड में स्पेक्ट्रम की बिक्री से एक लाख करोड़ रुपये जुटाने पर है जिसमें अकेले 3जी स्पेक्ट्रम की बिक्री से सरकार को 17,000 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है.

सरकार 4 मार्च को होनी वाली नीलामी में 3जी सेवाओं में इस्तेमाल होने वाले 2100 मेगाहट्र्ज बैंड के अलावा तीन अलग-अलग बैंडों में 2जी सेवाओं में इस्तेमाल होने वाले स्पेक्ट्रम की पेशकश करेगी. आधार मूल्य या न्यूनतम मूल्य पर 2जी और 3जी स्पेक्ट्रम की बिक्री से 82,395 करोड़ रुपये जुटेंगे. सूत्रों का कहना है कि सरकार उम्मीद कर रही है कि उसे स्पेक्ट्रम बिक्री से कुल मिलाकर एक लाख करोड़ रुपये से अधिक प्राप्त होंगे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में 2100 मेगाहट्र्ज बैंड के स्पेक्ट्रम के लिए 3,705 रुपये प्रति मेगाहट्र्ज के आधार या आरक्षित मूल्य को मंजूरी दी गई. मंत्रिमंडल की बैठक के बाद दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने संवाददाताओं को यह जानकारी दी. सरकार को 3जी स्पेक्ट्रम की नीलामी से कम से कम 17,555 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है.

सरकार 800 मेगाहट्र्ज, 900 मेगाहट्र्ज तथा 1800 मेगाहट्र्ज बैंड के स्पेक्ट्रम के आधार मूल्यों को पहले ही तय कर चुकी है. इन बैंडों में स्पेक्ट्रम की नीलामी से सरकार को 64,840 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है.

इसमें से सरकार को 2जी स्पेक्ट्रम की बिक्री से 16,000 करोड़ रुपये व 3जी स्पेक्ट्रम की बिक्री से 5,793 करोड़ रुपये की राशि इसी वित्त वर्ष में प्राप्त होगी. शेष राशि बाद में आएगी. 
    
प्रसाद ने कहा, ''इस बार 2100 मेगाहट्र्ज बैंड में प्रति मेगाहट्र्ज के लिए आधार मूल्य 3,705 करोड़ रुपये रखा गया है. हमने इस बैंड की बाजार क्षमताओं का ध्यान रखा है.''

सरकार ने 800 मेगाहट्र्ज बैंड में अखिल भारतीय स्तर पर प्रति मेगाहट्र्ज 3,646 करोड़ रुपये का आधार मूल्य तय किया है. 900 मेगाहट्र्ज में दिल्ली, मुंबई, कोलकाता व जम्मू-कश्मीर को छोड़कर अखिल भारतीय स्तर पर 3,980 करोड़ रुपये प्रति मेगाहट्र्ज का आधार मूल्य तय किया है. 1800 मेगाहट्र्ज बैंड के लिए अखिल भारतीय स्तर पर (महाराष्ट्र व पश्चिम बंगाल को छोड़कर) 2,191 करोड़ रुपये प्रति मेगाहट्र्ज का आधार मूल्य निश्चित किया गया है.

सूत्रों ने बताया कि इन सभी बैंडों में स्पेक्ट्रम की बिक्री से सरकार को एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि मिलने की उम्मीद है. यह अभी तक की सबसे बड़ी स्पेक्ट्रम बिक्री होगी. प्रसाद ने बताया कि 2010 की नीलामी में सरकार ने 3जी स्पेक्ट्रम के लिए आधार मूल्य 700 करोड़ रुपये प्रति मेगाहट्र्ज तय किया था. नीलामी में सरकार को 3,350 करोड़ रुपये प्रति मेगाहट्र्ज प्राप्त हुए थे.

उद्योग की 2100 मेगाहट्र्ज में और स्पेक्ट्रम की मांग पर प्रसाद ने कहा, ''मैं स्पेक्ट्रम की कमी को लेकर चलाए जा रहे अभियान से हैरान हूं. यह तथ्य नहीं है. फिलहाल उपलब्ध स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए पेश किया जा रहा है. सरकार का विचार है कि यह पर्याप्त है.

सरकार ने फरवरी, 2014 में पिछली स्पेक्ट्रम नीलामी से 62,162 करोड़ रुपये जुटाए थे. इस साल स्पेक्ट्रम नीलामी से हासिल होने वाली राशि से सरकार को राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 4.1 प्रतिशत के लक्ष्य पर रखने में मदद मिलेगी. अंतर मंत्रालयी समिति दूरसंचार आयोग ने 3जी स्पेक्ट्रम का आधार मूल्य 3,705 रुपये प्रति मेगाहट्र्ज रखने का सुझाव दिया था.

आयोग द्वारा सुझाया गया मूल्य दूरसंचार कंपनियों द्वारा 2010 की नीलामी में भुगतान किए गए मूल्य से 11 प्रतिशत ऊंचा है. यह भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) की 2,720 करोड़ रुपये प्रति मेगाहट्र्ज की सिफारिश से भी 36 प्रतिशत अधिक है.

कैबिनेट ने पिछले सप्ताह रक्षा व दूरसंचार मंत्रालयों के बीच 15 मेगाहट्र्ज 3जी स्पेक्ट्रम की अदलाबदली को मंजूरी दी थी. हालांकि, सरकार तालमेल की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही यह स्पेक्ट्रम उपलब्ध करा पाएगी.

दूरसंचार मंत्रालय ने उसके पास मौजूद 1900 मेगाहट्र्ज बैंड के 15 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम को उतने की रक्षा विभाग के पास मौजूद 2100 मेगाहट्र्ज बैंड के स्पेक्ट्रम से बदलने का प्रस्ताव किया है. मंत्रिमंडल ने इस मामले में शामिल मंत्रालयों को तालमेल का काम एक साल में पूरा करने को कहा है.

 



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