ओएनजीसी में विनिवेश इसी वित्तवर्ष में:धर्मेंद्र
सरकार तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम में अपनी आंशिक हिस्सेदारी की बिक्री चालू वित्तवर्ष में ही करने की तैयारी में है.
ओएनजीसी |
जबकि इस इसय वैश्विक बाजार में तेल-गैस का बाजार बहुत मंदा होने से ऐसी कंपनियों के लिए समय चुनौतीपूर्ण है.
ओएनजीसी में विनिवेश की योजना की जानकारी पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज दी.
सरकार देश की इस सबसे बड़ी तेल एवं गैस उत्पादक कंपनी में पांच प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने वाली है. इससे उसको 17,000-18,000 करोड़ रुपए मिल सकते हैं.
गौरतलब है कि वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमत में गिरावट और सब्सिडी के बढ़ते बोझ के कारण ओएनजीसी का शेयर बुरी तरह प्रभावित हुआ है.
कंपनी का शेयर आज दोपहर 12 बजकर 15 मिनट पर 352.90 रुपए पर चल रहा था जो पिछले साल जून में 472 रुपए पर था.
मौजूदा मूल्य पर सरकार को इस विनिवेश में करीब 15,000 करोड़ रुपए मिल सकेत हैं.
प्रधान ने भारतीय ऊर्जा कांग्रेस के मौके पर संवाददाताओं से कहा ‘हम विनिवेश से पहले बाजार की स्थितियों पर विचार करेंगे.’
उन्होंने कहा कि ओएनजीसी चालू वित्तवर्ष में ओएनजीसी विनिवेश कंपनियों की सूची में शामिल है.
कच्चे तेल में नरमी के कारण ओएनजीसी की हिस्सेदारी बिक्री की संभावना कमजोर नजर आ रही है हालांकि सरकार ने चालू वित्तवर्ष के दौरान विनिवेश के लिए अन्य सरकारी कंपनियों - इंडियन ऑयल कार्पोरेशन, भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स, नेशनल एल्यूमीनियम और ड्रेजिंग कार्पोरेशन को चुना है.
सरकार ने आईओसी एवं नाल्को में 10-10 प्रतिशत और भेल तथा डीसीआईएल में अपनी पांच-पांच प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की योजना बनाई है.
प्रधान ने कहा कि सरकार सब्सिडी साझा करने के फामरूले पर काम कर रही है. उन्होंने कहा ‘तेल की कीमत ओएनजीसी के लिए चुनौती है.’
ओएनजीसी और ऑयल इंडिया लिमिटेड जैसी उत्खनन कंपनियां पेट्रोलियम का खुदरा कारोबार करने वाली कंपनियों को नियंत्रित कीमतों पर डीजल पेट्रोल बेचने में होने वाली में होने राजस्व में सरकार द्वारा तय एक फार्मूले के तहत योगदान करती रही हैं.
सब्सिडी में यह योगदान कच्चे तेल के दाम में रियायत के जरिए किया जाता है. 2013 में यह रियायत 56 डॉलर प्रति बैरल तय की गयी थी.
वैश्विक स्तर पर कच्चा तेल पांच साल के न्यूनतम स्तर 50 डॉलर प्रति बैरल से कम पर आ गया है.
ऐसे में चालू वित्तवर्ष के दौरान सब्सिडी साझा करने का फार्मूला जारी रखने का अर्थ होगा कि ओएनजीसी न सिर्फ आईओसी जैसी रिफाइनिंग कंपनियों को मुफ्त में कच्चे तेल देना होगा बल्कि छह डॉलर प्रति बैरल के दर से जेब से भुगतान करना होगा.
सूत्रों ने कहा कि ऐसी स्थिति में सरकार ओएनजीसी और ओआईएल को चालू वित्तवर्ष की शेष अवधि में सब्सिडी भुगतान में छूट देने पर विचार कर रही है.
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