ब्याज दरों में कटौती करे रिजर्व बैंक : उद्योग जगत
दिसंबर में थोक मुद्रास्फीति में मामूली बढ़ोतरी के बावजूद उद्योग जगत चाहता है कि रिजर्व बैंक को अब नीतिगत दरों में कटौती की पहल करनी चाहिए.
भारीय रिजर्व बैंक (फाइल फोटो) |
उद्योग जगत का कहना है कि कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट व सरकार द्वारा महंगाई पर अंकुश के लिए किए गए उपायों से अब मुद्रास्फीति नियंत्रण में रहेगी, ऐसे में केंद्रीय बैंक को अब वृद्धि को प्रोत्साहन के कदमों पर ध्यान देना चाहिए.
उद्योग मंडल फिक्की की अध्यक्ष ज्योतसना सूरी ने कहा, ‘‘निवेश चक्र को प्रोत्साहन के लिए कर्ज को तत्काल सस्ता किए जाने की जरूरत है. चूंकि मुद्रास्फीति अब बहुत हद तक नियंत्रण में है, ऐसे में हम केंद्रीय बैंक से अपने मौद्रिक नीति रुख को नरम करने की मांग करते हैं.’’
लगातार छह माह तक गिरावट के रुख के बाद थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति दिसंबर में मामूली बढ़कर 0.11 प्रतिशत रही है.
सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, ‘‘आगे चलकर वैश्विक स्तर पर जिंस कीमतों में गिरावट तथा सरकार द्वारा किए गए उपायों से मुद्रास्फीतिक संभावनाओं को अंकुश में रखने में मदद मिलेगी. इससे मुद्रास्फीति में कोई बड़ी तेजी नहीं आएगी.’’
नवंबर में थोक मुद्रास्फीति लगभग शून्य पर थी. एसोचैम के महासचिव डी एस रावत ने कहा कि नीतिनिर्माताओं को ब्याज दरों में कटौती करनी चाहिए जिससे उत्पादक वस्तुओं व सेवाओं की आपूर्ति बढ़ा सकें. इससे घरेलू मांग बढ़ाने में भी मदद मिलेगी.
पीएचडी चैंबर के अध्यक्ष आलोक बी श्रीराम ने कहा, ‘‘मुद्रास्फीति की चिंता अब पीछे छूट गई है. मौजूदा मांग व आपूर्ति के परिदृश्य से पता चलता है कि 2015 में मुद्रास्फीति औसतन तीन प्रतिशत पर रहेगी.’’
इक्रा की वरिष्ठ अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि दिसंबर का थोक व खुदरा मुद्रास्फीति का आंकड़ा अनुमान से कम है. कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से निचली मुद्रास्फीति, ईंधन सब्सिडी व चालू खाते के संतुलन को लेकर परिदृश्य और बेहतर हुआ है.
उन्होंने कहा, ‘‘हम अपनी इस उम्मीद पर कायम हैं कि फरवरी, 2015 में बजट पेश होने के बाद रिजर्व बैंक दरों में कटौती के चक्र को शुरू करेगा.
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