अमीर भी नहीं छोडना चाहते रसोई गैस सब्सिडी
सब्सिडी का चस्का देश के लोगों पर इस कदर हावी है कि अमीर भी रसोई गैस की सब्सिडी को स्वेच्छा से छोडने के मूड में नहीं हैं.
गैस |
सरकार 2012 से ही अमीरों से रसोई गैस सब्सिडी स्वेच्छा से छोडने की बार-बार अपील करती रही है.
नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में नयी सरकार ने भी लोगों से इसका आग्रह किया लेकिन जो तस्वीर सामने है उससे यह साफ नजर आता है कि अमीर भी इसे छोडने के इच्छुक नहीं हैं. देश में 17 करोड 45 लाख 12 हजार रसोई गेस के उपभोक्ता हैं और इस वर्ष आठ दिसंबर तक केवल 12471 लोगों ने ही रसोई गेस की सब्सिडी छोडी है.
सरकार एक वित्त वर्ष के दौरान 14.2 किलोग्राम के 12 अथवा पांच किलोग्राम के 34 सिलेंडर सब्सिडी के साथ उपभोक्ताओं को मुहैया कराती है.
सब्सिडी वाले 14.2 किलोग्राम के रसोई गैस सिलेंडर की कीमत दिल्ली में 417 रूपये है जबकि गैर सब्सिडी वाले सिलेंडर के दाम 752 रूपये है. इस प्रकार एक सिलेंडर पर वर्तमान में 335 रूपये की सब्सिडी है जो एक उभोक्ता पर सालाना करीब 4000 रूपये बैठती है.
तेल मंत्रालय ने सांसदों, विधायकों, सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों और सार्वजनिक उपक्रमों के अधिकारियों से रसोई गैस सब्सिडी छोडने का आग्रह किया है.
देश में करीब साढे तीन करोड आयकरदाता हैं. इस लिहाज से भी देखा जाये तो स्वेच्छा से रसोई गैस सब्सिडी छोडने वालों की संख्या नगण्य ही मानी जायेगी. सरकार ने एक ही नाम पर रसोई गैस के अलग-अलग कंपनियों में कनेक्शनों को रोकने के कदम उठाये.
सरकार ने ऐसे घरों में जहां पाइप के जरिये गैस की आपूर्ति की जाती है उनके रसोई गैस सिलेंडरों को भी खत्म करने की प्रक्रिया शुरू की है. इसके परिणामस्वरूप ऐसे उपभोक्ता जिनके पास रसोई गैस और पीएनजी दोनों ही कनेक्शन थे. उस पर कुछ अंकुश लगाने में सफलता मिली.
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