नवंबर माह में थोक महंगाई दर रही शून्य

Last Updated 15 Dec 2014 01:25:57 PM IST

हरी सब्जियों,खाद्य पदार्थो और ईधन की कीमतों में गिरावट से नवंबर में थोक महंगाई दर निचले स्तर शून्य प्रतिशत पर पहुंच गई.


थोक महंगाई दर शून्य स्तर पर (फाइल फोटो)

अक्टूबर में यह दर 1.77 प्रतिशत थी। थोक महंगाई दर में आई इस गिरावट के पीछे वजह ईधन की कीमतों का गिरना बताया जा रहा है. अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम गिरने की वजह से नवंबर में ईधन महंगाई दर -4.9 प्रतिशत रही.

गौरतलब है कि जून से कच्चे तेल के दाम में अब तक 40 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट देखी जा चुकी है.

यह संभवत: पहला मौका है जब थोक मूल्य सूचकांक परआधारित महंगाई की दर शून्य स्तर पर आयी है. इससे पहले जुलाई 2009 में यह 0.3 प्रतिशत ऋणात्मक रही थी. प्याज की कीमतों में नवंबर माह के दौरान 56.28 प्रतिशत की गिरावट रही, जबकि अक्टूबर में यह 59.77 प्रतिशत नीचे आई थी. हरी सब्जियों की कीमतों में कुल मिलाकर 28.57 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई.

हालांकि इस दौरान अंडा, मांस और मछली 4.36 प्रतिशत और आलू 34.10 प्रतिशत महंगा हुआ. चीनी, खाद्य तेलों, सीमेंट और पेय पदार्थो के सस्ता होने से विनिर्मित पदार्थो की महंगाई दर अक्टूबर के 2.43 प्रतिशत से घटकर 2.04 प्रतिशत रह गई.

ईधन वर्ग की महंगाई दर 4.91 प्रतिशत ऋणात्मक रही. इससे पहले नवंबर में खुदरा महंगाई की दर तीन साल के रिकॉर्ड न्यूनतम स्तर 4.38 प्रतिशत पर आ गई थी. हालांकि अक्टूबर में औद्योगिक उत्पादन 4.2 प्रतिशत ऋणात्मक रहा था.

महंगाई की दर में गिरावट और औद्योगिक उत्पादन में कमी को देखते हुए रिजर्व बैंक पर ब्याज दरों में कमी करने का दबाव बढ़ेगा.

इस वर्ष जनवरी से रिजर्व बैंक अपनी ब्याज दरों को स्थिर बनाए हुए है. अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए वित्त मंत्री अरूण जेटली कई मौकों पर रिजर्व बैंक को ब्याज दरों में कमी करने की सलाह दे चुके हैं.

रिजर्व बैंक अभी तक महंगाई को जोखिम मानते हुए ब्याज दरों मे कमी करने से हिचकिचा रहा है. बैंक के गवर्नर रघुराम राजन का मानना है कि केवल ब्याज दरों में कमी से अर्थव्यवस्था को रफ्तार नहीं दी जा सकती.

दूसरी तरफ देश का उद्योग जगत अर्थव्यवस्था में छाई सुस्ती को लेकर ब्याज दरों में निरंतर कमी करने की मांग करता आ रहा है. ऊंची ब्याज दरों को देखते हुए बैंकों से ऋण उठाव में भी कमी नजर आ रही है.

चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद 5.3 प्रतिशत रह गया था. इससे पहले पहली तिमाही में यह 5.7 प्रतिशत रहा था. समाप्त वित्त वर्ष के दौरान सकल घरेलू उत्पाद एक दशक के निचले स्तर 4.7 प्रतिशत तक गिर चुका है.



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment