क्रूड में भारी गिरावट से घटेंगे पेट्रोल के दाम,सेंसेक्स ने भरी उड़ान

Last Updated 28 Nov 2014 12:02:51 PM IST

क्रूड ऑयल की कीमतों में सात फीसदी तक की गिरावट देखी जा रही है.इससे शेयर बाजार में रौनल लौट आयी है.


डीजल

पूरी दुनिया में ओवर सप्लाई होने के कारण पिछले 5 महीने में क्रूड ऑयल की कीमतें 37 फीसदी तक गिर गई हैं.  ब्रेंट क्रूड गिरकर 72 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गया है. वहीं, नायमैक्स क्रूड 69 डॉलर प्रति बैरल के नीचे कारोबार कर रहा है.

इस पर विएना में हुई बैठक में ओपेक देशों ने क्रूड के उत्पादन में कटौती न करने का फैसला किया, जिसके कारण दुनियाभर में क्रूड लुढ़क गया.

जानकारों के अनुसार क्रूड में तीखी गिरावट आगे भी जारी रहेगी और कीमतें 60 डॉलर तक फिसल सकती हैं.

साथ ही घरेलू बाजार में भी क्रूड की कीमतों में भारी गिरावट देखने को मिलेगी. कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट की वजह से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बड़ी कटौती हो सकती है. देश में पेट्रोल 50 रुपए प्रति लीटर तक गिर सकता है.

क्रूड में गिरावट का असर देश के शेयर बाजारों पर भी देखने के मिल रहा है. बंबई शेयर बाजार का सूचकांक सेंसेक्स 326.61 अंकों के उछाल के साथ 28,765.52 के स्तर की नयी ऊंचाई पर पहुंच गया.

जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 97.20 अंक बढ़कर 8,591.40 के सर्वकालिक उच्चस्तर पर कारोबार कर रहा है. ऑयल मार्केटिंग कंपनियों और इससे जुड़े एविएशन सेक्टर के शेयरों में भारी बढ़त देखी जा रही है. जहां एचपीसीएल 589.30 बीपीसीएल 748.90 और आईओसी 365.40  में कारोबार कर रहे हैं.

वहीं जेट एयरवेज 314.35 प्रति शेयर पर कारोबार कर रहा है.

विएना बैठक में फैसले

विएना में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया कि वह अपने तेल उत्पाबदन में कोई बदलाव नहीं करेगा. ओपेक ने कहा है कि वह प्रति दिन 3 करोड़ टन बैरल कच्चेी तेल का उत्पा दन जारी रखेगा. तेल उत्पापदन पर ओपेक के इस फैसले से ईरान नाराज है. ईरान तेल उत्पालदन में कटौती के पक्ष में था.

ओपेक की यह बैठक समाप्तल होने के तुरंत बाद क्रूड ऑयल के दाम 76 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गए हैं. ओपेक डेलीगेट ने कहा है कि अब अगली बैठक पांच जून 2015 को होगी.

विशेषज्ञों के मुताबिक कच्चे5 तेल के उत्पा दन में कटौती न करने से ओपेक के ग्लोबल तेल बाजार पर प्रभाव की विश्वसनीयता पर सवाल उठ गए हैं.

अमेरिकी शेल ऑयल को छोड़कर अंतरराष्ट्रीहय स्तर पर सप्लाई बढ़ने और मांग कमजोर पड़ने की वजह से जून से तेल की कीमत में गिरावट देखी जा रही है.
 

 

 



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