कालाधन वापस लाने के लिए कर संधियों पर पुनर्विचार करना होगा : जेटली

Last Updated 22 Nov 2014 09:18:56 PM IST

विदेशों में जमा काले धन को वापस लाने की चुनौती से जूझ रही सरकार ने कहा कि वह विभिन्न देशों के साथ हुई कुछ द्विपक्षीय कर संधियों पर फिर से गौर कर रही है.


वित्त मंत्री अरुण जेटली (फाइल फोटो)

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पीटीआई-भाषा मुख्यालय में संवाददाताओं के साथ बातचीत में कहा ‘‘निश्चित रूप से हम कर रहे हैं.’’  उनसे सवाल किया गया था कि क्या सरकार उन द्विपक्षीय संधियों पर फिर से गौर करेगी जिनकी वजह से सरकार को विदेश में काला धन जमा करने वालों के बारे में आसानी से सूचना नहीं मिल पा रही है.

जेटली ने कहा कि उन्होंने हाल ही में एक शिष्टमंडल स्विट्जरलैंड भेजा था और वह कुछ सकारात्मक पहल के साथ वापस लौटे हैं.

स्विट्जरलैंड सरकार के साथ वार्ता का हवाला देते हुए उन्होंने कहा ‘‘हमें एचएसबीसी सूची के अलावा स्वतंत्र रूप से साक्ष्य जुटाने हैं. मैं उनके (विभिन्न देशों के) पास नहीं जा सकता क्योंकि वे कहते हैं एचएसबीसी की सूची चुराई हुई है इसलिए मैं सहयोग नहीं करूंगा. इसलिए मैं चोरी की सूची के आधार पर आपके पास नहीं जा सकता. लेकिन यदि मैं चोरी की सूची में दर्ज कुछ नामों के बारे में आपको कुछ स्वतंत्र साक्ष्य पेश करता हूं तो क्या आप कुछ प्रमाण देंगे.’’

यह पूछने पर कि क्या इसका प्रावधान मौजूदा द्विपक्षीय संधियों में नहीं है, मंत्री ने कहा ‘‘हमने इसी के बारे में चर्चा की है. धीरे-धीरे सहयोग बढ़ रहा है. यदि आप अमेरिकी कानून पर नजर डालें तो वे चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा देश ऐसे कानून को स्वीकार करें जिसमें सूचना के स्वत: आदान-प्रदान की व्यवस्था हो.’’

भारत द्वारा ऐसी संधि पर हस्ताक्षर करने की संभावना से जुड़े सवाल पर मंत्री ने कहा ‘‘हम इसी पर काम कर रहे हैं. उच्चतम न्यायालय, पहले का फैसला, स्पष्टीकरण चाहते हैं. इसलिए विशेष जांच दल (एसआईटी) इस पर गौर कर रहा है.’’

विदेशों से काला धन वापस लाने से जुड़ी दिक्कतों के बारे में जेटली ने कहा कि एक तय प्रक्रि या होती है और सरकार को उस प्रक्रि या का अनुपालन करना होता है. उल्लेखनीय है कि भाजपा ने चुनाव के दौरान काला धन वापस लाने का वायदा किया था.

जेटली ने कहा ‘‘पूरी दुनिया आज ऐसे गैरकानूनी लेन-देन का पता लगाने के लिए एकजुट हो रही है. परंपरागत तौर पर वे अपराध से अर्जित धन के खिलाफ थे न कि कर चोरी वाले धन के.’’

उन्होंने कहा ‘‘आज दुनिया के एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक पहुंचने वाले कर चोरी के धन पर भी सूचनाओं का आदान-प्रदान हो रहा है. फिर यदि आप यह साबित कर पायें कि यह कानून के विरुद्ध है तो वे आपको इसके समर्थन में साक्ष्य देंगे. आपको प्रक्रिया से गुजरना होगा. इससे बचने का दूसरा कोई रास्ता नहीं है.’’
  
मंत्री ने देश-विदेश में जमा काले धन को बाहर निकालने के लिये माफी योजना लाये जाने के बारे में पूछे सवाल को टाल दिया. उन्होंने बिना ब्योरा दिए कहा ‘‘इस मामले में हर संस्थान को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी.’’

किसान विकास पत्र (केवीपी) पर कांग्रेस की आलोचना के बारे में पूछे गए सवाल पर जेटली ने ऐसी आशंकाओं को खारिज करते हुए कहा कि इसमें पर्याप्त सुरक्षा मानक अपनाये गये हैं. कांग्रेस ने कहा था कि केवीपी में सुरक्षा मानकों की कमी है और इससे इसमें नशीले पदार्थों की तस्करी करने वालों का धन भी लग सकता है.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने केवीपी की अधिसूचना पढ़े बिना ही टिप्पणी की है और गलत जानकारी या आधी-अधूरी जानकारी पर बहस नहीं हो सकती.

जेटली ने कहा ‘‘अधिसूचना में हमने कहा है कि आपको पत्र (किसान विकास) खरीदते समय अपना नाम और पता बताना होगा. इसलिए अपने ग्राहक को जानो (केवाईसी) से जुड़े मानदंड इसमें निहित हैं और यदि आप 50,000 रुपये से अधिक का पत्र खरीदते हैं तो आपको पैन कार्ड देना होगा.’’

उन्होंने कहा ‘‘इसलिए दलील ये है कि यदि नार्कोटिक डीलर और नार्को आतंकवाद में शामिल लोग इसे खरीदेंगे, तो उन्हें अपना पैन कार्ड नंबर देना होगा और फिर हम उन सबको गिरफ्तार कर लेंगे. आप गलत जानकारी या आधी-अधूरी जानकारी पर बहस नहीं कर सकते.’’

 



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