भारत और चीन का साथ आना एशिया के लिये बड़ी घटना: शी
चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने कहा कि भारत और चीन अपनी रणनीतिक और सहकारितापूर्ण भागीदारी को व्यापक बनाने पर सहमत हुए क्योंकि एशिया की समृद्धि तथा स्थिरता के लिये इन दोनों देशों का विकास सबसे महत्वपूर्ण है.
चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी. |
शी ने गुरुवार को दिल्ली में एक कार्यक्रम में कहा, \'\'मोदी और मैने व्यापक और गहरायी के साथ विचारों का आदान-प्रदान किया और हम द्विपक्षीय संबंधों तथा आपसी हित से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर एक व्यापक सहमति पर पहुंचे है. हम कई मुद्दों पर बहुत हद तक एक जैसा सोच रहे हैं. हम दोनों देशों के बीच रणनीतिक और सहकारितापूर्ण भागीदारी को मजबूत बनाने तथा विकास के लिये एक और करीबी भागीदारी तैयार करने पर सहमत हुए हैं.\'\'
एक चीनी नेता का हवाले से शी ने कहा, \'\'सही मायने में एशियाई सदी तभी आएगी जब चीन और भारत दोनों विकसित देश हो जाएंगे..जब भारत और चीन साथ आते हैं, यह एशिया और यहां तक दुनिया के लिये बड़ी घटना है.\'\'
उन्होंने कहा, \'\'एशिया में दो बड़े देश होने के नाते चीन और भारत की ऐतिहासिक जिम्मेदारी है और यह समय की दरकार है कि एशिया में शांति और स्थिरता को बनाये रखा जाए और समृद्धि तथा नई जीवंतता के लक्ष्यों को हासिल किया जाए.\'\'
शी तीन दिन की भारत यात्रा पर बुधवार को अहमदाबाद पहुंचे जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रोटोकाल तोड़ते हुए अपने गृह राज्य में उनका गर्मजोशी से स्वागत किया. गुरुवार सुबह दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में उनका भव्य स्वागत किया गया.
शी चिनफिंग ने कहा, \'\'प्रधानमंत्री मोदी ने मुझसे कहा है कि चीन और भारत दो जिस्म एक जान हैं. उन्होंने यह बात उस समय कही जब हम ब्राजील में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे थे. ये शब्द उदार और शांति प्रिय प्रकृति को अभिवयक्त करते हैं जिसे दो महान सभ्यता वाले देश साझा करते हैं और दोनों के बीच एक स्वभाविक रिश्ता है.\'\'
भारत ने चीन के साथ 5 साल का व्यापार और आर्थिक सहयोग समझौता किया. इसका मकसद व्यापार संतुलन में सुधार तथा देश में 20 अरब डालर का चीनी निवेश प्राप्त करना है.
पांच वर्षीय व्यापार और आर्थिक विकास योजना पर वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमन तथा उनके चीनी समकक्ष गाओ हुचेंगे ने प्रधानमंत्री मोदी तथा राष्ट्रपति शी की मौजूदगी में किये.
समझौते में चीन और भारत के बीच आर्थिक एवं व्यापारिक रिश्तों को संतुलित रूप से बढ़ावा देने तथा सतत विकास के लिये मध्यम अवधि की रूपरेखा रखी गयी है जो समानता और द्विपक्षीय लाभ के सिद्धांत पर आधारित है.
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