भारत-दक्षिण कोरिया में 9 समझौते, पॉस्को संयंत्र पर काम जल्द शुरू होगा

Last Updated 16 Jan 2014 07:37:57 PM IST

भारत और दक्षिण कोरिया ने संबंधों को नया आयाम देते हुए व्यापार, निवेश और रक्षा सहित कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का फैसला किया.


प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और दक्षिण कोरिया की राष्ट्रपति पार्क ग्यून ह्ये हाथ मिलाते हुए

इसी बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने घोषणा की कि दक्षिण कोरियायी कंपनी पोस्को की ओड़िशा में लंबे समय से अटकी इस्पात संयंत्र परियोजना पर काम आगामी सप्ताहों में शुरू हो जाएगा.

\"\"प्रधानमंत्री सिंह और दक्षिण कोरिया की राष्ट्रपति पार्क ग्यून ह्ये के बीच गुरुवार को दिल्ली में विभिन्न मुद्दों पर हुई लम्बी बातचीत में दोनों देशों ने साइबर क्षेत्र सहित विभिन्न क्षेत्रों में आपसी सहयोग के 9 करार किए. इस बैठक में दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत करने के उपायों पर विचार विमर्श किया और क्षेत्रीय व अंतरराष्ट्रीय महत्व के विषयों पर विचारों का आदान प्रदान किया.

बैठक के बाद प्रधानमंत्री ने बताया कि दोनों पक्षों के बीच दोहरे कराधान से बचाव की संधि में संशोधन को लेकर वार्ताएं पूरी हो चुकी है. सिंह ने पार्क के साथ मीडिया के समक्ष उपस्थित होकर कहा, ‘‘हमने अभी-अभी द्विपक्षीय हित और क्षेत्रीय व अंतरराष्ट्रीय महत्व के मसलों पर व्यापक विचार विमर्श पूरा किया है. इससे हमें दोनों देशों के बीच रणनीतिक भागीदारी को और अधिक सारगर्भित बनाने, इसमें और अधिक विषय वस्तु जोड़ने तथा एक नया आवेग देने का अवसर मिला है.’’
       
सिंह ने कहा कि दक्षिण कोरिया की राष्ट्रपति के साथ इस बातचीत में दोनों देशों की ‘राष्ट्रीय सुरक्षा संगठनों’ के बीच वार्षिक बैठकों के आयोजन की सहमति बनी है. इसके अलावा दोनों देशों के बीच साइबर मामलों पर वार्ता भी शुरू की जाएगी.
    
\"\"प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मुझे खुशी है कि पॉस्को की ओड़िशा में विशाल इस्पात परियोजना पर काम आगामी कुछ सप्ताह में शुरू हो जाएगा. परियोजना को पर्यावरणीय मंजूरी मिल चुकी है. परियोजना के लिए खनन अधिकार देने की प्रक्रिया भी काफी आगे बढ चुकी है.’’
     
प्रधानमंत्री सिंह ने कहा, ‘‘मैंने राष्ट्रपति पार्क से कहा है कि हमें उम्मीद है कि इस परियोजना से यह पुष्टि होगी कि आर्थिक वृद्धि व पर्यावरण संरक्षण, दोनों बात साथ-साथ हो सकती है.’’

बातचीत के दौरान दोनों पक्षों ने रक्षा व्यापार और सैन्य उपकरणों के संयुक्त उत्पादन पर भी विचार विमर्श किया. इसके तहत दोनों देशों के रक्षा अनुसंधान संगठनों के बीच सहयोग को और विस्तार दिया जाएगा. प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि दोनों देशों के बीच वगीकृत सैन्य सूचना के संरक्षण संबंधी करार से दोनों देशों के बीच रक्षा संपर्क और मजबूत हो सकेगा.

\"\"सिंह ने कहा, ‘‘विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र में आपसी सहयोग काफी लाभदायक साबित हुआ है. 2010 में गठित एक करोड़ डालर के संयुक्त कोष के जरिये कई व्यावहारिक परियोजनाओं का वित्त पोषण किया गया है.’’

शिखर स्तर की वार्ता के बाद संयुक्त व्यावहारिक अनुसंधान पर सहमति ज्ञापन (एमओयू) पर हुए दस्तखत के बारे में प्रधानमंत्री सिंह ने कहा कि इससे दोनों देशों के वैज्ञानिक एक साथ काम कर सकेंगे और हमारे आपसी लाभ के लिए प्रौद्योगिकियों का विकास कर सकेंगे.

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हम अंतरिक्ष विज्ञान व प्रौद्योगिकी के शांतिपूर्ण इस्तेमाल के क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ा रहे हैं.’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने दक्षिण कोरिया के नागरिकों को ‘आगमन पर वीजा’ सुविधा प्रदान करने का भी फैसला किया है. दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय मसलों विशेष रूप से कोरियायी प्रायद्वीप के घटनाक्रम पर भी विचार विमर्श किया.

\"\"प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति पार्क की भारत यात्रा से हमारी भागीदारी को एक नई गति मिली है. ‘‘मुझे भरोसा है कि आज जो बातचीत हुई है उससे आगामी वर्षों में विस्तार और रणनीतिक भागीदारी को बढ़ाने की रूपरेखा बन सकेगी.’’

प्रधानमंत्री के साथ वार्ता पर संतोष जताते हुए पार्क ने बताया कि उन्होंने सिंह से आग्रह किया है कि दक्षिण कोरियाई बैंकों को भारत में परिचालन की अनुमति दी जाए.

पार्क ने यह भी कहा कि दोनों देश रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ा सकते हैं. उत्तर कोरिया का स्पष्ट रूप से उल्लेख करते हुए पार्क ने कहा कि कोरिया प्रायद्वीप परमाणु हथियारों के खतरे का सामना कर रहा है और क्षेत्र में शांति व स्थिरता सुनिश्चित करने के प्रयास किए जाने चाहिए.



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