भारत के आर्थिक हालात में होगा सुधार:मनमोहन

Last Updated 03 Jan 2014 12:26:59 PM IST

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भारत के आर्थिक हालत आने वाले समय मे सुधरेंगे.


मनमोहन

प्रधानमंत्री ने कहा कि यूपीए के शासनकाल में समाज के सभी वर्गों का विकास हुआ है और हमने मंदी का जमकर मुकाबला किया है.

यूपीए सरकार के 10 साल के कार्यकाल में भारत की औसत आर्थिक वृद्धि दर बढ़कर 7.7 प्रतिशत रही जो इससे पिछले दशक में 6.2 प्रतिशत रही थी.

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अगुवाई में सरकार की उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए लेखा-जोखा रिपोर्ट ‘प्रगति व विकास के 10 वर्षों’ में कहा गया है, ‘यूपीए सरकार ‘2004-05 से 2013-14’ के कार्यकाल में दो वैश्विक नरमी के बावजूद औसत जीडीपी वृद्धि दर बढ़कर 7.7 प्रतिशत पहुंच गई.’

कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर निरंतर बढ़ती रही है और दसवीं व ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजनाओं के दौरान इस क्षेत्र की वृद्धि दर क्रमश: 2.5 प्रतिशत और 3.7 प्रतिशत रही और चालू 12वीं योजना में इसके 4 प्रतिशत का स्तर छू जाने की संभावना है.

रिपोर्ट कार्ड में आगे कहा गया है कि वर्तमान मूल्य पर देश का सकल घरेलू उत्पाद पिछले नौ वर्षों में करीब तीन गुना होकर 100.28 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया.  2004.05 में जीडीपी 32.42 लाख करोड़ रुपये के बराबर था.

इस प्रगति रिपोर्ट में कहा गया है, इसी तरह, इस दौरान प्रति व्यक्ति आय करीब तीन गुना हो गई है.

वर्ष 2012 में प्रति व्यक्ति आय बढ़कर 68,747 रुपये पहुंच गई जो 2004 में 24,143 रुपये थी.

आय प्रति व्यक्ति 20 फीसद

रिपोर्ट कार्ड में कहा गया है, ‘पिछले नौ वर्षों के दौरान प्रति व्यक्ति आय करीब 20 प्रतिशत की वार्षिक की औसत दर से बढ़ी है जो इस दौरान उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में वृद्धि दर से ऊपर रही है.’

ग्रामीण मजदूरी पर रिपोर्ट में कहा गया है कि यह पिछले साल तीन गुनी हो गई जिससे ग्रामीण इलाकों में ज्यादातर लोगों की क्रय क्षमता में सुधार आया है.

वृहद परियोजनाओं के संदर्भ में इसमें कहा गया है कि सरकार द्वारा परियोजनाओं में तेजी लाई गई है और 2013 में 5.7 लाख करोड़ रुपये के निवेश वाली 293 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है.

निगरानी समूह का गठन

अटकी पड़ी परियोजनाओं में तेजी लाने के लिए सरकार ने निवेश से संबद्ध मंत्रिमंडलीय समिति एवं परियोजना निगरानी समूह का गठन किया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, अति लघु, लघु व मध्यम उद्यमों को कर्ज का प्रवाह पिछले 7 वर्षों में करीब सात गुना हो गया. एमएसएमई क्षेत्र को कर्ज का आवंटन 2012 में 5.27 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया जो 2005 में 83,498 करोड़ रुपये था.

रिपोर्ट में कहा गया कि पिछले दो वर्षों में प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम से 80,000 अति लघु उद्यमों को मदद मिली जिससे 9.23 लाख लोगों के लिए रोजगार के अवसरों का सृजन हुआ.

वित्तीय समावेश की दिशा में अब अधिक संख्या में लोग बैंक सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं.

बैंक खातों की संख्या पिछले साल तक बढ़कर 77.32 करोड़ पहुंच गई जो 2004 में 43.97 करोड़ थी.


 



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