रिजर्व बैंक ने नहीं किया रेपो रेट,सीआरआर में बदलाव

Last Updated 18 Dec 2013 09:10:18 AM IST

खुदरा एवं थोक महंगाई दर में लगातार बढ़ोतरी के बीच रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति की मध्य तिमाही समीक्षा के दौरान दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं की है.


भारतीय रिजर्व बैंक

रिजर्व बैंक ने रपो दर 7.75 प्रतिशत और आरक्षित नकदी अनुपात ‘सीआरआर’ 4 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा है.

भारतीय रिजर्व बैंक यदि मध्य तिमाही समीक्षा में नीतिगत दरों में वृद्धि करता है तो केन्द्रीय बैंक के गवर्नर रघुराम राजन के पद ग्रहण करने के बाद यह लगातार तीसरी तिमाही समीक्षा है.

शीर्ष पर महंगाई दर

थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर नवंबर में बढ़कर 7.52 प्रतिशत पर पहुंच गई जो कि 14 महीने का शीर्ष स्तर है. महंगाई बढ़ानें में प्याज, टमाटर, आलू जैसे रोजमर्रा की खाने पीने की वस्तुओं के ऊंचे दाम का काफी योगदान रहा है.

दूसरी तरफ उपभोक्ता मूलय सूचकांक भी नौ महीने के उच्चस्तर तक पहुंचकर नवंबर में 11.24 प्रतिशत हो गया.

इसके विपरीत औद्योगिक उत्पादन में अक्टूबर माह के दौरान 1.8 प्रतिशत गिरावट दर्ज की गई. औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में पिछले चार महीने में पहली बार गिरावट दर्ज की गई.
क्रिसिल ने कहा ‘सबसे अहम यह है कि गैर-खाद्य महंगाई के साथ-साथ विनिर्माण क्षेत्र में महंगाई नवंबर में मामूली तौर पर बढ़ी है.

औद्योगिक क्षेत्र में गिरावट आने के बावजूद कीमतों के बढ़ते दबाव के चलते रिजर्व बैंक रेपो दर को 0.25 प्रतिशत बढ़ाकर 8 प्रतिशत कर सकता है.

जानकारों के अनुसार

खुदरा और थोक मूल्य दोनों स्तर पर महंगाई बढ़ने से महंगाई को काबू में रखना रिजर्व बैंक के लिये सबसे प्रमुख मुद्दा बन गया है और  इसके चलते बैंक रेपो दर में एक बार फिर वृद्धि कर सकती है.

एक्सिस बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री सौगत भट्टाचार्य का मानना है ‘रेपो दर में 0.25 प्रतिशत वृद्धि की ज्यादा संभावना है, लेकिन ऐसी स्थिति में यह भी नहीं कहा जा सकता कि 0.50 प्रतिशत की वृद्धि की कोई संभावना ही नहीं है.’

इंडियन ओवरसीज बैंक के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक एम. नरेन्द्र ने हालांकि, मौद्रिक नीति के बारे में पूछे जाने पर कहा कि यदि खाद्यान्न उत्पादन की स्थिति सुधरती है और खाद्य महंगाई में आने वाले दिनों में नरमी की उम्मीद बंधती है तो रिजर्व बैंक यथास्थिति भी रख सकता है.

एचएसबीसी के भारत और आसियान क्षेत्र के मुख्य अर्थशास्त्री लीफ लायबेकर एसकेसेन ने कहा कि खाद्य आपूर्ति में सुधार से आने वाले महीने में खाद्य महंगाई  नरम पड़ सकती है लेकिन ऊंची खुदरा महंगाई दर और मुख्य महंगाई अर्थव्यवस्था में जारी महंगाई के मजबूत दबाव का साक्षी है.

 



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